जलवायु परिवर्तन ने हिमाचल प्रदेश में सेब के उत्पादन को कैसे किया बुरी तरह प्रभावित
हिमाचल प्रदेश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 5 फीसदी से अधिक का योगदान देने वाला सेब व्यापार 2023 में जलवायु परिस्थितियों से बुरी तरह प्रभावित रहा.
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पिछले साल मार्च और अगस्त के बीच हिमाचल प्रदेश में बाढ़, भूस्खलन और बादल फटने से भारी नुकसान देखने को मिला. इससे न केवल घर, कार और सड़क बल्कि राज्य के सेब उत्पादन को भी बुरी तरह नुकसान हुआ. राज्य का सेब व्यापार इसके कुल सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 5 फीसदी से अधिक है. लेकिन इस साल बारिश के कारण हुई तबाही से सेब का उत्पादन सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ.
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सेब एक समशीतोष्ण (Temperate) फसल है, जिसे ठंडी जलवायु की आवश्यकता होती है. इसकी अच्छी उपज काफी हद तक मानसून और बर्फबारी पर निर्भर रहती है. हालांकि, 2023 में इसे दोहरी मार झेलनी पड़ी. क्योंकि सर्दियों के मौसम में बहुत कम या न के बराबर बर्फबारी हुई. इसके बाद फूल आने के समय बारिश हो गई. जबकि फलों पूरी तरह से विकसित होने के बाद ओले पड़ने और भूस्खलन के चलते फसल बर्बाद हो गई.
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दूसरी ओर, कोतगढ़ गांव के एक 86 वर्षीय अनुभवी किसान हरि चंद रोच ने कहा कि कम ठंड में पनपने वाली किस्मों को उगाना इस समस्या का एक उपाय है. इसके अलावा फलों के पेड़ की ग्रोथ के लिए डालों की ग्राफ्टिंग करने का तरीका भी अपनाया जा रहा है. क्योंकि इस प्रक्रिया से लगभग आधे समय में फल पककर तैयार हो जाते हैं. लेकिन रोच अधिकतम उपज के लिए ठंडे तापमान और धूप की आवश्यकता पर जोर देते हैं.