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फूलमती ने क्लाइमेट चेंज से लड़ने हेतु राज्य के कृषि में सस्टेनेबल फ्रंट का किया आगाज़

मध्य प्रदेश के सिंगरौली जिले के एक छोटे से गांव गोडबहरा में अधिकांश लोगों की आजीविका कृषि और खेती पर निर्भर करती है. गांव में समुदाय अपनी आजीविका को प्रभावित करने वाले कठोर जलवायु परिवर्तन के साथ तालमेल नहीं बिठा पाए. इसका समाधान किसी के पास नहीं था तभी, फूलमती और उनके पति ने केंद्रीकृत नर्सरी स्थापित करने का फैसला किया. जिससे गांव के लोगों को एक निरंतर स्रोत और कृषि के लिए एक अधिक स्थायी मोर्चा प्राप्त करने में मदद मिल पाई.

  • फूलमती की कहानी बदलाव में विश्वास करने और सामूहिक एक्शन लाने का एक प्रमाण है. उन्होंने अपने गांव को नई प्रक्रियाओं को विकसित करने में मदद की.
  • फूलमती और उनके पति ने महसूस किया कि उनका गांव मौसम के मिजाज पर अत्यधिक निर्भर था जो लगातार बदल रहा था और इसलिए सभी के लिए राजस्व का एक निरंतर स्रोत होना मुश्किल-सा हो गया था.
  • फूलमती ने नारियल हस्क पीट में 10,000 पेड़, नारियल की भूसी से बनी मिट्टी, और बाकी उठी हुई क्यारियों में लगाकर एक केंद्रीकृत नर्सरी की दिशा में अपना काम करना शुरू कर दिया.
  • फूलमती ने कृषि सखियों के साथ जांच करना सुनिश्चित किया, जो किसानों को केंद्रीकृत नर्सरी तक जाने में मदद करती हैं और कइयों को उद्यमी बनने के लिए तैयार की जाती हैं, यह सुनिश्चित करने के लिए कि किसान खेती की प्रक्रिया का सही ढंग से पालन कर रहे हैं या नहीं.
  • केंद्रीकृत नर्सरी के रूप में फूलमती की एक्टिव एक्शन ने उन सभी को अपने नुकसान को कम करने में मदद की. फूलमती के प्रयासों के परिणाम स्वरूप सराय तहसील में जल संसाधनों में वृद्धि हुई, जिसके बाद ग्रामीणों और पंचायत सदस्यों की सामूहिक योजना थी, जिसे PRADAN द्वारा मदद दी गई थी.
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