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ग्रामीण भारत में एकल महिलाओं का नेटवर्क एक स्थायी कल के लिए कर रहा है काम

एकल नारी शक्ति संगठन की शुरुआत साल 1999 में एकल महिलाओं को शिक्षित करने, सशक्त बनाने और सामूहिक रूप से अन्याय और लैंगिक भेदभाव के खिलाफ लड़ने और लैंगिक पूर्वाग्रह को तोड़ने के लिए हुई थी.

  • भारत के कई हिस्सों में विधवा, तलाकशुदा और अविवाहित महिलाओं को बहिष्कृत कर दिया जाता है. उन्हें मूल अधिकारों से भी वंचित कर दिया जाता है और उनके साथ उनके लिंग और वैवाहिक स्थिति के आधार पर भेदभाव किया जाता है. सम्मान और न्याय के साथ जीने के उनके अधिकार की रक्षा करने में मदद करने के लिए, राजस्थान में महिलाओं के एक समूह ने साल 1999 में एकल महिला नेटवर्क 'एकल नारी शक्ति संगठन' (ईएनएसएस) शुरू किया था.
  • नेटवर्क में एक लाख से अधिक सदस्य हैं. यह गुजरात, झारखंड और हिमाचल प्रदेश सहित पूरे भारत में 10 राज्यों में काम कर रहे हैं. ग्रामीण एकल महिलाओं में लीडरशिप के गुण विकसित करना ईएनएसएस के मुख्य लक्ष्यों में से एक है.
  • एकल नारी शक्ति संगठन का ध्यान स्थिरता पर है क्योंकि इसके आधे से अधिक सदस्य किसान या खेत मजदूर हैं जो जलवायु पर बहुत अधिक निर्भर हैं. इसी बात को ध्यान में रखते हुए एकल नारी शक्ति संगठन के लोग जैविक खेती के बारे में जागरूकता बढ़ा रहे हैं. सदस्य न केवल लोगों को यूरिया और अन्य रासायनिक उर्वरकों के पर्यावरण और मनुष्यों पर हानिकारक प्रभावों के बारे में बता रहे हैं, बल्कि जानवरों के कचरे, कीचड़ और कीड़ों जैसे से जैविक खाद भी तैयार कर रहे हैं और अपने गांवों में किसानों को दे रहे हैं.
  • एकल नारी शक्ति संगठन लोगों के बीच स्थिरता के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए अपने-अपने गांवों में बैठकों, समूह चर्चाओं और लोक गीतों और कला का इस्तेमाल कर बदलाव का बिगुल बजा रहा है.
  • एकल नारी शक्ति संगठन महिलाओं को असमानताओं से ऊपर उठाने पर काम कर रहा है. इनका यह काम यही दर्शा रहा है कि जेंडर इक्वलिटी और सशक्तिकरण क्लाइमेट चेंज को हराने के लिए कितना जरूरी है.
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