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This Article is From Apr 27, 2019

लोकसभा चुनाव में पीएम मोदी ने अपनाया गुजरात फार्मूला, काटे 102 सांसदों के टिकट

बीजेपी अभी तक 437 उम्मीदवारों का ऐलान कर चुकी है. उसके अभी लोक सभा में 270 सांसद हैं. इनमें से 102 सांसदों को दोबारा टिकट नहीं दिया गया है.

लोकसभा चुनाव में पीएम मोदी ने अपनाया गुजरात फार्मूला, काटे 102 सांसदों के टिकट
बीजेपी द्वारा करीब 38 प्रतिशत सांसदों के टिकट काट दिए गए हैं
नई दिल्ली:

बीजेपी ने इस बार बड़ी संख्या में अपने मौजूदा सांसदों के टिकट काटे हैं. ऐसा इन सांसदों के खिलाफ उनके चुनाव क्षेत्रों में गुस्से को कम करने के लिए किया गया है. बीजेपी अभी तक 437 उम्मीदवारों का ऐलान कर चुकी है. उसके अभी लोक सभा में 270 सांसद हैं. इनमें से 102 सांसदों को दोबारा टिकट नहीं दिया गया है. यानी करीब 38 प्रतिशत सांसदों के टिकट काट दिए गए हैं. बीजेपी ने बड़ी संख्या में टिकट काटने का फार्मूला नरेंद्र मोदी के गुजरात का मुख्यमंत्री रहते हुए वहां के विधानसभा चुनावों में इस्तेमाल किया था. पार्टी को इसका फायदा भी मिला था. यही वजह है कि इस फार्मूले को अब लोक सभा में भी लागू किया गया है. बीजेपी ने छत्तीसगढ़ में सभी दस मौजूदा सांसदों के टिकट काट दिए हैं. इसके अलावा उत्तर प्रदेश में भी बड़ी संख्या में सांसदों के टिकट काटे गए हैं.

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मध्य प्रदेश, राजस्थान और महाराष्ट्र में भी कई सांसदों को दोबारा मौका नहीं मिला है. इनमें लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, शांता कुमार, सुमित्रा महाजन, बीसी खंडूरी, कलराज मिश्र जैसे वे दिग्गज नेता भी शामिल हैं जिन्हें 75 वर्ष की उम्र पूरी होने के कारण बीजेपी ने दोबारा टिकट नहीं दिया है.ऐसा करने में कांग्रेस भी पीछे नहीं है. कांग्रेस के हालांकि सांसद कम हैं. फिर भी उसने अपने 16 सांसदों को दोबारा टिकट नहीं दिया है. यानी करीब 33 प्रतिशत कांग्रेस सांसदों को दोबारा मौका नहीं मिल सका है.  

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अशोक यूनिवर्सिटी की मदद से जुटाए गए आंकड़ों से पता चला है कि अगर नए उम्मीदवारों की बात करें तों बीजेपी ने 243 नए उम्मीदवारों को मौका दिया है. जबकि कांग्रेस ने 304 नए उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं. हालांकि दोनों ही पार्टियों के टिकट काटने के तरीके में एक समानता देखी गई है. दोनों ही राष्ट्रीय पार्टियों ने सत्ता विरोधी लहर को कम करने के लिए गाज अनुसूचित जाति और जनजाति के सांसदों पर ज्यादा गिराई है. बीजेपी के पास मौजूदा लोक सभा में आरक्षित वर्ग के 63 सांसद हैं. इनमें से 33 सांसदों को दोबारा मौका नहीं दिया गया है. यानी 52 प्रतिशत से भी अधिक दलित आदिवासी सांसद दोबारा टिकट नहीं पा सके हैं. जबकि सामान्य वर्ग के 33 प्रतिशत से अधिक सांसदों के ही टिकट काटे गए हैं. बीजेपी ने सामान्य वर्ग के 69 जबकि आरक्षित वर्ग के 33 सांसदों के टिकट काटे हैं.

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कांग्रेस ने भी ऐसा ही किया है. कांग्रेस के आरक्षित वर्ग के सात सांसद हैं जिनमें से तीन को चुनाव में खड़ा नहीं किया गया है. यह आंकड़ा करीब 43 प्रतिशत है. जबकि कांग्रेस ने सामान्य वर्ग के 23 प्रतिशत सांसदों के ही टिकट काटे हैं. कांग्रेस ने सामान्य वर्ग के 13 जबकि आरक्षित वर्ग के तीन सांसदों के टिकट काटे हैं.

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