
नई दिल्ली:
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन की लिखी पुस्तक ‘मातोश्री’ का लोकार्पण किया. इसके बाद पुस्तक पर आधारित नाटक का मंचन भी किया गया. यह पुस्तक इंदौर की महारानी अहिल्या बाई होल्कर के जीवन पर आधारित है. पुस्तक के लोकार्पण के पश्चात इस पर आधारित 105 मिनट के नाटक का मंचन बालयोगी सभागार में किया जायेगा. इस दौरान प्रधानमंत्री के अलावा केंद्रीय मंत्री, सांसद एवं अन्य लोग भी उपस्थित थे.
इस पुस्तक में इंदौर की महारानी अहिल्या बाई होल्कर के जीवन एवं समयकाल को दर्शाया गया है जिन्होंने सुशासन के उच्च आदशरे को अपनाया था और जिससे भारत में एक दूरदर्शी, समृद्ध और शांतिपूर्ण राज्य की स्थापना हुई थी. देवी अहिल्या बाई होल्कर के शासन के दौरान ज्ञान, करूणा और सदाचार को प्रमुखता दी गई.
सुमित्रा महाजन द्वारा लिखित नाटक ‘मातोश्री’ में रानी अहिल्या बाई होल्कर के जीवन की 15 महत्वपूर्ण घटनाओं को दर्शाया गया है.
लोकसभा अध्यक्ष अहिल्या बाई को अपना आदर्श मानती है और इनके जीवन पर आधारित कई नाटकों में हिस्सा भी लिया है.
‘सभी के कल्याण’ की भावना से संचालित शासन करने की अद्वितीय प्रतिभा के बल पर अहिल्या बाई ने अपनी प्रजा और राज्य से बाहर प्रशंसकों का दिल जीता था. आज भी लोग उनके गरिमामयी जीवन को आदर्श मानते हैं. इंदौर की इस महान शासिका ने अपने राज्य में सभी के लिए बिना किसी भय और पक्षपात के अपना सर्वोच्च योगदान देने के लिए प्रेरित किया था.
इनके समय में महिलाएं स्वयं को आर्थिक एवं सामाजिक प्रक्रिया में भागीदार करने में सक्षम मानती थी, किसानों का जीवन शांतिपूर्ण था, कलाकार रचनात्मक कार्य कर रहे थे और प्रजा का प्रत्येक व्यक्ति प्रोत्साहित और संरक्षित महसूस कर रहा था.
न्यूज एजेंसी भाषा से इनपुट
इस पुस्तक में इंदौर की महारानी अहिल्या बाई होल्कर के जीवन एवं समयकाल को दर्शाया गया है जिन्होंने सुशासन के उच्च आदशरे को अपनाया था और जिससे भारत में एक दूरदर्शी, समृद्ध और शांतिपूर्ण राज्य की स्थापना हुई थी. देवी अहिल्या बाई होल्कर के शासन के दौरान ज्ञान, करूणा और सदाचार को प्रमुखता दी गई.
सुमित्रा महाजन द्वारा लिखित नाटक ‘मातोश्री’ में रानी अहिल्या बाई होल्कर के जीवन की 15 महत्वपूर्ण घटनाओं को दर्शाया गया है.
लोकसभा अध्यक्ष अहिल्या बाई को अपना आदर्श मानती है और इनके जीवन पर आधारित कई नाटकों में हिस्सा भी लिया है.
‘सभी के कल्याण’ की भावना से संचालित शासन करने की अद्वितीय प्रतिभा के बल पर अहिल्या बाई ने अपनी प्रजा और राज्य से बाहर प्रशंसकों का दिल जीता था. आज भी लोग उनके गरिमामयी जीवन को आदर्श मानते हैं. इंदौर की इस महान शासिका ने अपने राज्य में सभी के लिए बिना किसी भय और पक्षपात के अपना सर्वोच्च योगदान देने के लिए प्रेरित किया था.
इनके समय में महिलाएं स्वयं को आर्थिक एवं सामाजिक प्रक्रिया में भागीदार करने में सक्षम मानती थी, किसानों का जीवन शांतिपूर्ण था, कलाकार रचनात्मक कार्य कर रहे थे और प्रजा का प्रत्येक व्यक्ति प्रोत्साहित और संरक्षित महसूस कर रहा था.
न्यूज एजेंसी भाषा से इनपुट
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