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दशहरा का असली नाम क्या है? क्‍या सच में 99% लोगों को नहीं पता है यह वाला नाम, 2 सेकंड में बता द‍िया तो जीन‍ियस हैं आप

दशहरा का पूरा नाम क्या है? दशहरा नवरात्रि और दुर्गा पूजा के अंत में मनाया जाता है. यह त्योहार अच्छाई की बुराई पर जीत का प्रतीक है. अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग रीति-रिवाजों से इसे सेलिब्रेट किया जाता है. इस बार यह फेस्टिवल गुरुवार, 2 अक्टूबर को है.

दशहरा का असली नाम क्या है? क्‍या सच में 99% लोगों को नहीं पता है यह वाला नाम, 2 सेकंड में बता द‍िया तो जीन‍ियस हैं आप
दशहरा का दूसरा नाम क्या है?

Dussehra Facts: देशभर में दशहरा की धूम है. यूपी से लेकर बिहार और दिल्ली से लेकर कोलकाता तक चमक-दमक देखने को मिल रही है. 2 अक्टूबर 2025 को पूरे देश में यह त्योहार बड़े ही उत्साह से मनाया जाएगा. यह त्योहार सिर्फ रावण दहन या विजय की कहानी तक सीमित नहीं है. हर साल लोग इसका बेसब्री से इंतजार करते हैं और बड़े ही रौनक के साथ सेलिब्रेट करते हैं, लेकिन क्या आप इस त्योहार को पूरी तरह जानते हैं, क्या आप इसके पीछे की असली कहानी, इसका असली नाम जानते हैं. अगर नहीं तो इस आर्टिकल में जानिए दशहरा के बारें में वो सबकुछ, जिनसे अब तक आप अनजान हैं...

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दशहरा का असली नाम क्या है

दशहरा का असली नाम विजयादशमी है. संस्कृत में इसे विजयादशमी कहा जाता है, जिसका मतलब है 'विजय का दसवां दिन', यह नाम ही इस त्योहार का मूल संदेश बताता है, अच्छाई की बुराई पर जीत. हिंदी में इसे आमतौर पर दशहरा कहा जाता है, जबकि भोजपुरी, मैथिली और नेपाली में दशहरा या दशईं कहा जाता है.

विजयादशमी कब मनाया जाता है

विजयादशमी हर साल नवरात्रि और दुर्गा पूजा के आखिरी दिन मनाया जाता है. यह त्योहार न सिर्फ धार्मिक, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से विशेष महत्व रखता है. यह दिन अच्छाई की बुराई पर विजय का प्रतीक होता है और पूरे भारत में उत्सव, रंगोली, पूजा और रावण दहन के साथ मनाया जाता है.

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दशहरा और रामायण का क्या संबंध है

उत्तर भारत में दशहरा मुख्य रूप से रामायण की कहानी से जुड़ा है. मान्यता है कि इस दिन भगवान राम ने रावण पर विजय पाया था. इस विजय का प्रतीक स्वरूप लोग रावण, मेघनाथ और कुंभकर्ण के पुतले बनाकर जलाते हैं. यह परंपरा अच्छाई की जीत और बुराई के विनाश को दिखाती है.

दक्षिण भारत में विजयादशमी क्यों खास है

दक्षिण भारत में विजयादशमी को रावण पर राम की विजय का प्रतीक मानकर मनाया जाता है. इस दिन अनेक मंदिरों और स्कूलों में विशेष आयोजन होते हैं. यह दिन बच्चों के लिए भी अहम माना जाता है. छोटे-छोटे स्टूडेंट्स और कलाकार अपनी पढ़ाई और कला की शुरुआत इस दिन शुभ मानते हैं.

पश्चिम बंगाल और बिहार में दशहरा कैसे मनाया जाता है

पश्चिम बंगाल और बिहार जैसे राज्यों में दशहरा दुर्गा पूजा के अंतिम दिन विजयादशमी के रूप में मनाया जाता है. लोग माता दुर्गा की मूर्तियों का विसर्जन करते हैं,मिठाइयां बांटते हैं और अपने परिवार-दोस्तों के साथ उत्सव मनाते हैं. इस दिन सामाजिक मेलजोल और सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं.

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दशहरा का मुख्य संदेश क्या है

दशहरा या विजयादशमी का मुख्य संदेश 'अच्छाई की बुराई पर जीत' है. यह हमें यह सिखाता है कि जीवन में सही और गलत के बीच अंतर करना और अच्छाई का पक्ष लेना जरूरी है. यही कारण है कि यह त्योहार सिर्फ धार्मिक नहीं, बल्कि जीवन मूल्यों और नैतिक शिक्षा का प्रतीक भी माना जाता है.

रावण दहन की परंपरा का क्या महत्व है

उत्तर भारत में रावण दहन की परंपरा इस बात का प्रतीक है कि बुराई चाहे कितनी भी शक्तिशाली क्यों न हो, अच्छाई की जीत जरूर होती है. लोग रावण के पुतले जलाकर भगवान राम की विजय को याद करते हैं. यह परंपरा सामाजिक और सांस्कृतिक शिक्षा भी देती है, साथ ही बच्चों और युवाओं में साहस और भक्ति की भावना को बढ़ाती है.

नवरात्रि और दशहरा का संबंध क्या है

दशहरा, नवरात्रि के आखिरी दिन मनाया जाता है. नवरात्रि में नौ दिन देवी दुर्गा की पूजा की जाती है और दसवें दिन विजयादशमी या दशहरा मनाया जाता है. यह दिन देवी दुर्गा द्वारा महिषासुर पर विजय का भी प्रतीक है.

दशहरा के दिन किसकी पूजा होती है

विजयादशमी के दिन माता दुर्गा और भगवान राम की पूजा की जाती है. माता दुर्गा के लिए विशेष पूजा और विसर्जन कार्यक्रम होते हैं, जबकि राम के लिए रावण दहन और रामलीला आयोजित की जाती है. इस तरह यह त्योहार धार्मिक और सांस्कृतिक दोनों तरह मनाया जाता है.

विजयादशमी क्यों अहम है

विजयादशमी सिर्फ आतिशबाजी, रौशनी, मनोरंजन और मेलों का त्योहार नहीं है. यह दिन सामाजिक मेलजोल, परिवारिक एकता, भक्ति और सांस्कृतिक परंपराओं को बनाए रखने का अवसर है. इससे हम अपने बच्चों और आने वाली पीढ़ी को अच्छाई की सीख और भारतीय संस्कृति का महत्व समझा सकते हैं.

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