Parenting tips : पेरेंट्स के रूप में आपका ध्यान हमेशा इस बात पर रहता है कि आप अपने बच्चे की परवरिश के लिए क्या कुछ अच्छा कर सकें ताकि आपका लाडला और लाडली एक अच्छे इंसान बनें.. लेकिन आप इस बात को अनदेखा कर देते हैं कि आपको माता-पिता होने के नाते ऐसी कौन सी बात और व्यवहार है, जिसे बच्चे के सामने करने से बचना चाहिए. इसलिए, अगर आप अपने बच्चे से प्यार करते हैं और उसे एक बेहतर भविष्य देना चाहते हैं, तो फिर आपको इस आर्टिकल में बताई जा रही 5 बातों को उनके सामने करने से बचना चाहिए.
जानिए किन आदतों को समय रहते सुधार लेने से रिश्ते में नहीं आती दरार, बना रहता है प्यार
बच्चों के सामने क्या बात नहीं करनी चाहिए
पहली बात - बड़ों का आपमानआप चाहते हैं कि आपका बच्चा बड़े-बुजुर्गों का आदर और सम्मान करे तो आपको भी उसके सामने अपने से बड़ों को रिस्पेक्ट देनी होगी. शालीनता से बात करनी होगी यहां तक कि छोटों से भी आपको उतने ही प्यार और दुलार से पेश आना होगा. तभी आपका बच्चा रिश्ते और भावनाएं कितनी जरूरी हैं समझेगा.
दूसरी बात - उनकी बात को ध्यान से सुनेंजब आपके बच्चे आपसे बात करने की कोशिश कर रहे हों, तो एक अच्छे श्रोता की तरह उनकी बात को पूरा सुनें. उन्हें अपनी बात कहने का पूरा मौका दीजिए. जब उनकी बात पूरी हो जाए उसके बाद आपको जो भी समझाना है समझाएं. बच्चे को बच्चा समझकर उसकी बात को नजरअंदाज न करें.
तीसरी बात- निगेटिव वर्ड का यूज न करेंवहीं, कई बार माता-पिता बच्चे की गलती करने पर बेवकूफ, पागल, या तुम बिगडैल बच्चे हो, जैसे शब्दों का इस्तेमाल कर देते हैं, जो कि उनके मेंटल हेल्थ पर बुरा असर डालती है. ऐसा आपका बार-बार कहने से बच्चा उसे सही समझने लगेगा. अपने आपको हीनभावना से देखना शुरू कर देगा. इसलिए, आपको अपने बच्चे को इन बातों को कहने से बचना चाहिए.
चौथी बात- ज्यादा रोक-टोकइसके अलावा आप अपने बच्चे को हर बात में रोक-टोक करने लगेंगे तो उसको सेल्फ डाउट शुरू हो जाएगा. उसके अंदर निर्णय लेने की क्षमता कमजोर हो जाएगी. इसलिए आपको पेरेंट्स के तौर पर जब बच्चा कुछ नया करने की बात करे तो उसे करने दें. आपको लगता है कि वो जो कह रहा है ठीक नहीं है, तो आप उस पर नजर बनाए रखें ताकि कुछ गलत होने से पहले आप उसपर रोक लगा सकें. इसके बाद आप उसे समझाएं कि उसका यह नया काम ठीक नहीं है.
पांचवीं बात- पहले खुद में बदलाव लाएंअकसर माता-पिता अपने बच्चे को फोन न देखने, हरी सब्जी खाने, दूसरों की बुराई न करने, जैसी नसीहत देते रहते हैं लेकिन खुद में वो बदलाव नहीं करते हैं, जिससे बच्चा कंफ्यूज रहता है कि आखिर मुझे क्यों मना किया जा रहा है. मेरा करना गलत लेकिन मम्मी पापा का सही कैसे है? इसलिए आप जो बच्चे से उम्मीद करते हैं पहले खुद करके दिखाएं. क्योंकि बच्चे के लिए आप ही रोल मॉडल होते हैं. बच्चे आपसे ही अच्छी और बुरी आदतें सीखते हैं.
अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.
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