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Kargil Vijay Diwas Speech: करगिल विजय दिवस पर बच्चे स्कूल में दे सकते हैं यह भाषण

इ्स साल भारत 25वां करगिल विजय दिवस मनाने जा रहा है. इस दिन स्कूल में बच्चों को स्पीच देनी हो तो यहां से आइडिया लिया जा सकता है. 

Kargil Vijay Diwas Speech: करगिल विजय दिवस पर बच्चे स्कूल में दे सकते हैं यह भाषण
हर साल 26 जुलाई के दिन करगिल विजय दिवस मनाया जाता है. 

Kargil Vijay Diwas 2024: भारत ने 26 जुलाई, 1999 में पाकिस्तानी सेना को खदेड़ते हुए करगिल में विजय पताका फहराया था. इसके बाद से ही हर साल 26 जुलाई के दिन भारत करगिल विजय दिवस मनाता है. यह दिन उन सैनिकों की बहादुरी को समर्पित है जिन्होंने भारत को जीत दिलाई थी, साथ ही यह उन शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करने का दिन है जिन्होंने देश के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए थे. करगिल दिवस के दिन स्कूल, कॉलेज, सरकारी व गैर-सरकारी शैक्षिक और अन्य संस्थानों में समारोह आयोजित किए जाते हैं. स्कूल की बात करें तो इस दिन बच्चों को करगिल विजय दिवस पर भाषण (Kargil Vijay Diwas Speech) देना होता है या फिर निबंध (Essay) वगैरह लिखने के लिए कहे जाते हैं. ऐसे में बच्चे यहां दी गई स्पीच से आइडिया ले सकते हैं. 

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करगिल विजय दिवस का भाषण | Kargil Vijay Diwas Speech 

सभी को सुप्रभात, आदरणीय प्रिंसिपल, टीचर्स और मेरे साथियों, आज करगिल विजय दिवस है. इस मौके पर सभी को संबोंधित करते हुए मुझे गौरांवित महसूस हो रहा है. यह दिन हमारे सैनिकों और शहीदों को उनकी बहादुरी और देश के लिए समर्पण के लिए सम्मानित करने का है. 

करगिल विजय दिवस भारत के इतिहास की एक महत्वपूर्ण घटना है. यह युद्ध भारत (India) और पाकिस्तान के बीच साल 1999 हुआ था. पाकिस्तानी सेना भारत की सीमा पर घुसपैठ कर रही थी और LOC का कुछ हिस्सा अपने कब्जे में कर चुकी थी. इसपर भारतीय सेना ने सैन्य अभियान चलाया और चुनौतियों से लड़कर पाकिस्तानी सेना का डटकर सामना किया. हमारे सैनिक उंचाइयों तक चढ़ाई करके गए, मौसम की मार झेली, कई-कई दिनों तक सिर्फ लड़ते रहे लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. यह उनका हौसला ही था जिसने भारत को विजय दिलाई थी. 

करगिल की लड़ाई को भारतीय सेना के द्वारा लड़ी गई सबसे कठिन लड़ाइयों में गिना जाता है. दुश्मन को खदेड़ते हुए भारतीय सेना ने देश की रक्षा की थी. भारतीय सेना का यह ओप्रेशन विजय लगभग तीन महीनों तक चला था और सेना ने टाइगर हिल को 26 जुलाई, 1999 में वापस अपने कब्जे में लेते हुए जीत का परचम फहराया था. 

करगिल विजय दिवस की कई वीरगाथाएं भी हैं जिनमें कैप्टन विक्रम बतरा की कहानी को हौसले और देशप्रेम के प्रतीक के रूप में देखा जाता है. कैप्टन विक्रम बतरा ने कहा था, यह दिल मांगे मोर. कैप्टन विक्रम बतरा ने देश के लिए अपने प्राण गंवाए थे लेकिन अपने साथियों के साथ देश को जीत का तोहफा दे गए. हर साल करगिल दिवस हमारी सेना के इसी त्याग, समर्पण, देशप्रेम और जज्बे को समर्पित है. 
धन्यवाद, 

जय हिंद!

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