 
                                            Jemimah Rodrigues: आईसीसी महिला वनडे वर्ल्ड कप 2025 (Women's World Cup 2nd Semifinal) के सेमीफाइनल में भारत ने ऑस्ट्रेलिया को 5 विकेट से हराकर इतिहास रच दिया. इस मैच में जेमिमा रोड्रिग्स ने नाबाद 127 रन की शानदार पारी खेली. यह महिला वनडे वर्ल्ड कप के इतिहास में पहली बार था जब किसी टीम ने 300 से ज्यादा का लक्ष्य सफलतापूर्वक चेज किया. लेकिन इस जीत के पीछे सिर्फ बल्ले की ताकत नहीं थी या ये जीत न सिर्फ मैदान पर बड़ी थी, बल्कि जेमिमा की जिंदगी में भी एक गहरी जीत थी.
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'मैं हर दिन रोती थी…'
मैच के बाद जेमिमा ने बताया कि टूर्नामेंट की शुरुआत उनके लिए बहुत मुश्किल थी. उन्होंने कहा, 'टूर्नामेंट की शुरुआत में मैं बहुत एंग्जायटी से जूझ रही थी. कई बार मैच से पहले मैं अपनी मां को फोन करके रोती थी, बस रोती ही रहती थी. जब आप एंग्जायटी से गुजर रहे होते हैं, तो सब कुछ सुन्न लगता है. आप समझ ही नहीं पाते हैं कि क्या करें.'
जेमिमा ने आगे कहा, 'मेरे साथ एक अच्छी बात यह थी कि मेरे मम्मी-पापा, अरुंधति (रेड्डी), स्मृति (मंधाना), राधा (यादव), सब मेरे साथ खड़े रहे. कई बार मैं अरुंधति के सामने रो पड़ती थी. स्मृति बस मेरे पास खड़ी रहती थी, कुछ नहीं कहती थी, लेकिन उसकी मौजूदगी बहुत मायने रखती थी. मैं खुशकिस्मत हूं कि मेरे पास ऐसे दोस्त हैं जिन्हें मैं परिवार कह सकती हूं.'
क्या होती है एंग्जायटी?विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, दुनिया में करीब 359 मिलियन लोग एंग्जायटी डिसऑर्डर से जूझ रहे हैं, जिनमें महिलाओं की संख्या ज्यादा है. यह एक मानसिक स्थिति है जिसमें व्यक्ति लगातार डर, बेचैनी और तनाव महसूस करता है.
एंग्जायटी का पता कैसे चलता है?
एंग्जायटी आम चिंता से अलग होती है. इसमें व्यक्ति को लगातार चिंता या डर महसूस होना,  किसी भी बात पर फोकस नहीं कर पाना, दिल की धड़कन का अचानक तेज हो जाना, अचानक पसीना आने लगना, बिना काम के भी हर समय थकान महसूस होना,  अचानक पेट या पैट में दर्द, घबराहट या उल्टी जैसा एहसास , छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा या चिड़चिड़ापन होना जैसे लक्षण नजर आते हैं. 
अगर एक से दो बार ऐसा होता है, तो मामला सामान्य हो सकता है. लेकिन अगर ये लक्षण लंबे समय तक बने रहें, तो यह एंग्जायटी डिसऑर्डर है.
एंग्जायटी से बाहर कैसे निकलें?WHO की रिपोर्ट बताती हैं, एंग्जायटी का इलाज संभव है. अगर आप इस तरह की स्थिति से गुजर रहे हैं, तो सबसे पहले खुद को शांत करने की कोशिश करें और मदद मांगने में हिचकिचाएं नहीं. किसी भरोसेमंद व्यक्ति या मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ से बात करें.
इन बातों का रखें ध्यान- रोज थोड़ी देर योग और मेडिटेशन करें. इससे आपका दिमाग शांत होगा और आप खुद को बेहतर महसूस करेंगे. रोजाना थोड़ी देर टहलना भी मूड बेहतर करता है.
- हेल्दी चीजें खाएं. खानपान का भी मेंटल हेल्थ पर सीधा असर पड़ता है.
- रोज कम से कम 7 से 8 घंटे की नींद लें. पर्याप्त नींद मानसिक स्वास्थ्य के लिए जरूरी है.
- इन सब से अलग शराब या नशे से दूरी बनाएं. ये चीजें एंग्जायटी को बढ़ा सकती हैं.
अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.
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