 
                                            Parenting Tips: हर माता-पिता चाहते हैं कि उनका बच्चा हेल्दी रहे. अब, बच्चे के जन्म के पहले 6 महीने तक केवल मां का दूध ही सबसे अच्छा और जरूरी आहार होता है. इस समय तक बच्चे के लिए मां के दूध में मौजूद पोषक तत्व ही पर्याप्त होते हैं. 6 महीने पूरे होने के बाद ही बच्चे को सेमी सॉलिड खाना देना शुरू किया जाता है. ऐसे में पेरेंट्स के मन में कई सवाल होते हैं. जैसे 6 महीने बाद बच्चे को क्या खिलाया जा सकता है और क्या चीज देने से बचना चाहिए. एक और ऐसा ही सवाल है कि बच्चे के खाने में मसाला कब से डालें? क्या 6 महीने बाद बच्चे को मसाले वाला खाना दिया जा सकता है? आइए एक्सपर्ट से जानते हैं इसका जवाब-
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क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
इसे लेकर मशहूर पीडियाट्रिशियन संदीप गुप्ता ने अपने इंस्टाग्राम हैंडल पर एक वीडियो शेयर किया है. वीडियो में डॉक्टर बताते हैं, 6 महीने बाद शुरुआत में बच्चे को सादा और हल्का खाना देना बेहतर होता है ताकि उसका पेट उसे आसानी से पचा सके. जैसे– चावल की प्यूरी, दाल का पानी, सेब, गाजर या चीकू की प्यूरी. इससे बच्चा नए स्वादों के साथ धीरे-धीरे एडजस्ट हो पाता है.
जब बच्चा 7 से 8 महीने का हो जाए, तब आप उसके खाने में बहुत हल्के मसाले शामिल कर सकते हैं. इस समय थोड़ी-थोड़ी मात्रा में हल्दी, जीरा, धनिया या हींग डालकर खाना बना सकते हैं. लेकिन यह ध्यान रखना जरूरी है कि एक साथ सभी मसाले न डालें. पहले एक मसाले से शुरू करें और कुछ दिन बाद दूसरा मसाला जोड़ें, ताकि बच्चे को कोई एलर्जी या रिएक्शन न हो.
8 महीने के बाद बच्चा मसालों के हल्के स्वाद को पहचानने लगता है. इसलिए ये मसाले उसके भोजन में स्वाद और पाचन दोनों में मदद करते हैं. वहीं, जब बच्चा 1 साल का हो जाए, तब आप काली मिर्च जैसे हल्के तीखे मसाले बहुत कम मात्रा में डाल सकते हैं.
हमेशा ध्यान रखें कि बच्चों का पेट बहुत संवेदनशील होता है, इसलिए मसाले हमेशा सीमित मात्रा में ही डालें और ताजे मसालों का इस्तेमाल करें. बाजार के तैयार मसाला मिक्स या बहुत तीखे मसालों से बचें.
इस तरह धीरे-धीरे बच्चे को मसालेदार स्वाद की आदत डालने से न सिर्फ उसका स्वाद विकसित होता है बल्कि पाचन तंत्र भी मजबूत होता है.
अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.
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