Importance of Cleanliness During Chhath Puja: छठ पूजा सूर्य देव और छठी मैय्या की पूजा का पर्व है. छठ पूजा का यह पर्व दीवाली से ठी 6 दिन बाद मनाया जाता है. इसलिए इसे छठ के नाम से जाना जाता है. माना जाता है कि छठ पूजा का पर्व रामायण काल से भी पुराना है. माता सीता और भगवान राम ने भी वनवास के बाद इसे किया था. यह पूजा चार दिनों की होती है जो पारंपरिक रूप से गंगा नदी के किनारे पर की जाती है. पूजा शुरू होने से एक दिन पहले, व्यक्ति को खुद को शुद्ध करने के लिए गंगा नदी में डुबकी लगानी चाहिए और आगे के अनुष्ठानों के लिए थोड़ा पानी घर लाना चाहिए.
प्रसाद बनाने वाली जगह की कैसे करें सफाई (How to Clean the Place for Prasad Preparation)
छठ पर्व से पहले घर की सफाई को सबसे जरूरी काम माना जाता है. हालांकि, दीपावली के समय ही ज्यादातर लोग अपने घरों की साफ-सफाई पूरी कर लेते हैं, लेकिन छठ के मौके पर सफाई का महत्व और भी बढ़ जाता है. इस पर्व में व्रत धारियों को पूर्ण पवित्रता और शुद्धता के साथ पूजा करनी होती है. घर के सभी सदस्य मिलकर हर कोने की सफाई करते हैं, खासकर उस जगह की जहां पूजा की जाएगी और जहां छठ का प्रसाद बनाया जाएगा. इन जगहों को खासतौर पर साफ-सुथरा और पवित्र रखा जाता है ताकि पूजा विधि शुद्धता के साथ पूरी हो सके.

Photo Credit: ANI
छठ पूजा पर कैसे करें घर और खुद की साफ-सफाई (How to Clean Yourself and Home for Chhath Puja)
छठ पूजा के पहले दिन अपने घर और आस-पास की अच्छी तरह से सफाई करें. घर में गंगाजल का छिड़काव करें. इसके बाद दिन में केवल एक बार भोजन करें. घर के हर कोने और घर में इस्तेमाल होने वाली हर वस्तु को शुद्ध करें.
छठ घाट की साफ-सफाई (Cleaning of Chhath Ghat)
छठ पूजा में नदियों, तालाबों और अन्य जल स्रोतों का पवित्र महत्व होता है, क्योंकि इसी जल में खड़े होकर सूर्यदेव को अर्घ्य अर्पित किया जाता है. इस कारण, पूजा से पहले घाटों की सफाई और सजावट एक जरूरी परंपरा मानी जाती है. श्रद्धालु छठ से पहले ही पूरी भक्ति और निष्ठा के साथ घाटों को साफ-सुथरा करने में जुट जाते हैं. इस दौरान स्थानीय प्रशासन भी लोगों की सहायता करता है, ताकि श्रद्धालुओं के लिए एक साफ और पवित्र वातावरण तैयार किया जा सके.
घाट की सफाई के दौरान कुछ खास बातों का ध्यान रखना जरूरी (Important Steps for Ghat Cleaning)
घाट की धुलाई: सबसे पहले पूरे घाट को अच्छी तरह धोया जाता है ताकि वहां कीचड़, कचरा या किसी भी प्रकार की अशुद्धि न रह जाए. इस प्रक्रिया से पूजा स्थल पूरी तरह साफ हो जाता है.
गंगा जल से शुद्धिकरण: सफाई पूरी होने के बाद पूरे घाट पर गंगा जल का छिड़काव किया जाता है. यह परंपरा घाट को पवित्र बनाने और नेगेटिव एनर्जी को दूर करने के उद्देश्य से निभाई जाती है.
गोबर का लेप: इसके बाद घाट की मिट्टी को गाय के गोबर से लीपा जाता है. माना जाता है कि गोबर से वातावरण में पवित्रता और पॉजिटिव एनर्जी का संचार होता है.
सजावट: सफाई के बाद घाट को सुंदर रूप देने के लिए केले के पौधों, गन्ने और रंग-बिरंगी सजावटी लड़ियों से सजाया जाता है. जिन केले के पौधों से फल काटे जा चुके होते हैं, उनका उपयोग शुभ माना जाता है. इनसे सजाया गया सुंदर दिखाई देता है, जिससे पूजा स्थल का वातावरण और भी पवित्र बन जाता है.
कैसे करें जलाशय की सफाई (How to Clean Water Bodies for Chhath)
छठ पूजा के समय जहां एक ओर घाट की सफाई की जाती है, वहीं दूसरी ओर जलाशयों की सफाई पर भी खास ध्यान दिया जाता है. नदियों, तालाबों और अन्य जल स्रोतों के अंदर तक सफाई की जाती है ताकि व्रत रखने वाली महिलाएं जब अर्घ्य अर्पित करने के लिए जल में उतरे, तो उन्हें किसी प्रकार की दिक्कत या चोट ना लगे. जरूरी होता है कि जलाशय के तल से पत्थर, कांच या बाकी हानिकारक वस्तुएं पूरी तरह हटा दी जाएं. इससे पूजा स्थल सुरक्षित, साफ हो जाता है.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं