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बच्चों में कब्ज की पहचान कैसे करें? पिड़ियाट्रिशियन ने बताया छोटे बच्चे को कब्ज हो जाए तो क्या करना चाहिए

Constipation In Kids: डॉक्टर ने कुछ संकेत बताए हैं, जिनपर ध्यान देकर आप बच्चे में कब्ज की समस्या को पहचान सकते हैं, साथ ही डॉक्टर ने बच्चों में कब्ज का कारण और इससे निजात पाने के तरीके भी बताए हैं. आइए जानते हैं इनके बारे में-

बच्चों में कब्ज की पहचान कैसे करें? पिड़ियाट्रिशियन ने बताया छोटे बच्चे को कब्ज हो जाए तो क्या करना चाहिए
कैसे पता चलेगा कि बच्चे को कब्ज है?

Constipation In Kids: बड़ों के साथ-साथ छोटे बच्चों में भी कब्ज की समस्या काफी आम है. लेकिन यहां परेशानी की बात यह होती है कि अधिकतर माता-पिता बच्चों में इस दिक्कत को पहचान नहीं पाते हैं. इससे समय के साथ तकलीफ बढ़ती जाती है. इसी कड़ी में पिड़ियाट्रिशियन मोहित सेठी ने अपने इंस्टाग्राम हैंडल पर एक वीडियो शेयर किया है. इस वीडियो में डॉक्टर ने कुछ संकेत बताए हैं, जिनपर ध्यान देकर आप बच्चे में कब्ज की समस्या को पहचान सकते हैं, साथ ही डॉक्टर ने बच्चों में कब्ज का कारण और इससे निजात पाने के तरीके भी बताए हैं. आइए जानते हैं इनके बारे में- 

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कैसे पता चलेगा कि बच्चे को कब्ज है?

  • इस सवाल का जवाब देते हुए डॉक्टर सेठी बताते हैं, सबसे पहले, अगर बच्चा दो दिन से ज्यादा गैप लेकर पॉटी कर रहा है, तो यह कब्ज का पहला संकेत हो सकता है.
  • इसके अलावा अगर बच्चा पॉटी करते समय बहुत जोर लगाता है, रोता है या उसे दर्द होता है, तो ये भी कब्ज के कारण हो सकता है.
  • कई बार मल सख्त होने की वजह से हल्की ब्लीडिंग भी हो सकती है. 
  • अगर बच्चा लंबे समय से पेट दर्द की शिकायत कर रहा है या पॉटी का प्रेशर आने पर उसे रोकने की कोशिश करता है, तो ये सभी लक्षण बताते हैं कि बच्चा कब्ज से जूझ रहा है.
छोटे बच्चों में कब्ज क्यों होती है?

डॉक्टर सेठी बताते हैं कि 9 से 12 महीने के बच्चों में कब्ज का सबसे बड़ा कारण ज्यादा दूध पीना है. कई बच्चे एक दिन में 1 लीटर से ज्यादा दूध पी लेते हैं. कुछ माता-पिता इतने छोटे बच्चों को गाय का दूध भी दे देते हैं, जिससे उनका पेट और पाचन तंत्र प्रभावित होता है. ज्यादा दूध पीने से बच्चे कम खाना खाते हैं, उनकी डाइट में फाइबर की कमी हो जाती है और कब्ज की समस्या बढ़ जाती है.

बड़े बच्चों में कब्ज के कारण

थोड़े बड़े बच्चों में कब्ज का एक आम कारण जंक फूड है. चिप्स, पिज्जा, बर्गर जैसी चीजें पेट में फाइबर नहीं पहुंचातीं, जिससे मल सख्त हो सकता है और बच्चा आसानी से पॉटी नहीं कर पाता है.

टॉयलेट ट्रेनिंग का सही समय

इन सब से अलग डॉक्टर कहते हैं, कब्ज का एक और कारण गलत या देरी से दी गई टॉयलेट ट्रेनिंग भी है. कई बच्चे पॉटी आने के बावजूद उसे रोकते रहते हैं, क्योंकि उन्हें सही तरीके से टॉयलेट जाना नहीं आता. डॉक्टर के मुताबिक, 18 महीने की उम्र से बच्चों को पॉटी ट्रेनिंग देना शुरू कर देना चाहिए. हालांकि, कई बच्चे 2 से 2.5 साल की उम्र तक डायपर में ही पॉटी करते रहते हैं. ये गलत है, धीरे-धीरे उन्हें आदत डालना जरूरी है.

क्या करें जब बच्चे को कब्ज हो जाए?
  • बच्चे को कम से कम दूध दें और उसकी जगह हल्का खाना, फल और दालें दें.
  • बच्चे की डाइट में फाइबर बढ़ाएं. जैसे केला (पका हुआ), पपीता, ओट्स, सब्जियों का सूप, आदि
  • पानी की मात्रा बढ़ाएं, ताकि मल नरम रहे.
  • बच्चे को रोज थोड़ा-बहुत खेलने और चलने-फिरने दें.
  • इन सब से अलग प्यार से और धैर्य के साथ बच्चे को टॉयलेट ट्रेनिंग दें.

इन कुछ छोटी-छोटी बातों पर ध्यान देकर आप बच्चों में कब्ज की समस्या को आसानी से दूर कर सकते हैं. 

अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.

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