
Hair Care Products: सिर पर घुंघराले बाल बेहद खूबसूरत लगते हैं. एक समय था जब लड़कियां बालों को स्ट्रेट करने के लिए स्ट्रेटनर्स और प्रेस तक का इस्तेमाल कर लेती थीं. वहीं, पार्लर में भी बालों को स्ट्रेट करवाने के लिए लाइनें लगाई जाती थीं. लेकिन, आजकल लड़कियां अपने कर्ली हेयर (Curly Hair) को फ्लॉन्ट करने लगी हैं. सोशल मीडिया पर वेवी हेयर को किस तरह स्टाइल करना है और कर्ली हेयर रूटीन किस तरह अपनाना है इसके कई वीडियो वायरल होते रहते हैं जिससे बाजार में भी कर्ली हेयर केयर प्रोडक्ट्स (Curly Hair Care Products) की मांग बढ़ने लगी है. लगभग 16 प्रतिशत भारतीय लड़कियों के बाल कर्ली हैं जिनमें 8 प्रतिशत का कहना है कि उनके बाल वेवी हैं., लेकिन, स्ट्रेट बालों से ज्यादा कर्ली हेयर प्रोडक्ट्स खरीदने में जेब खाली हो जाती है. कर्ली हेयर स्टाइलिंग के लिए भी अलग-अलग प्रोडक्ट्स खरीदने पड़ते हैं जिनमें शैंपू, कंडीशनर, हेयर बटर, हेयर जैल और स्टाइलिंग मूस शामिल हैं. यह प्रोडक्ट्स छोटे से बड़े ब्रांड्स महंगी लागतों पर बेचते हैं.
दामों में है कई प्रतिशत का अंतर
कर्ली हेयर मास्क खरीदने की ही बात की जाए तो नॉर्मल मास्क के मुकाबले कर्ली हेयर मास्क 50 से 100 प्रतिशत तक मंहगे होते हैं. प्रीमियम कर्ली हेयर मास्क देखे जाएंतो डव का नॉर्मल मास्क 486 रुपए का है तो वहीं कर्ली हेयर मास्क 585 रुपए का आता है. दोनों में 99 रुपए यानी 20 प्रतिशत का अंतर है. वेला का नॉर्मल मास्क 810 रुपए का आता है और कर्ली हेयर मास्क की कीमत 1,260 है, जिसका अंतर 450 रुपए यानी 56 प्रतिशत है. वहीं, लोरियल का नॉर्मल हेयर मास्क 891 रुपए का है और कर्ली हेयर मास्क 2,400 रुपए का आता है. लोरियल के इन दोनों हेयर मास्क के बीच 1,509 रुपए का फर्क है जोकि 169 प्रतिशत का अंतर बनता है.
इंडस्ट्री के लोगों ने शेयर किए सीक्रेट्सएल्केमिक ब्यूटी की ईशा महाबल और कर्ल टॉक्स की क्रिस्टिना क्रिस्चियन से की गई बातचीत से इस प्राइज डिफरेंस और कर्ली हेयर इंडस्ट्री किस तरह से काम करती है इसे बेहतर तरह से समझा जा सकता है.
इंग्रीडिएंट्स की क्वालिटीकर्ली हेयर प्रोडक्ट्स के महंगे होने की एक वजह है इनके महंगे इंग्राडिएंट्स. ईशा महाबल ने बताया कि, सिलिकोन या पैरा बींस के कोई नो-गो एलिमेंट्स नहीं हैं. वहीं, क्लेंजर और शैंपू (Curly Hair Shampoo) के लिए बेस इंग्रीडिएंट सल्फेट चुनना होता है. इनके ऑल्टर्नेटिव ढूंढे जाते हैं तो वो महंगे ही होते हैं. सिलिकोन आमतौर पर नॉन कर्ली हेयर सीरम और क्रीम्स में इस्तेमाल किया जाता है जो बालों को स्मूदनिंग इफेक्ट देता है और इसीलिए कर्ली हेयर प्रोडक्ट्स में इसका इस्तेमाल नहीं किया जाता क्योंकि यह बालों को ड्राई और फ्रिजी बनाता है.
कम बैचेस और बड़े बिल्सएक और ध्यान देने वाला फैक्टर यह है कि कर्ली हेयर प्रोडक्ट्स के ज्यादातर ब्रांड्स स्मॉल बिजनेसेस हैं. ये इन प्रोडक्ट्स को स्मॉल बैचेस में बनाते हैं. मास प्रोडक्शन वाले प्रोडक्ट्स की लागत कम होती है लेकिन कर्ली हेयर प्रोडक्ट्स स्मॉल बैचेस में बनते हैं तो इनकी लागत कई गुना तक बढ़ जाती है.
एक्सपर्टाइज और एक्सक्लुजिविटीकर्ली हेयर को स्टाइल करने में टाइम लगता है और बहुत से सैलून अब भी ऐसे हैं जो कर्ली हेयर को हैंडल करना नहीं जानते हैं. एक रेग्यूलर हेयर कट से आधे से एक घंटा ज्यादा कर्ली हेयर को काटने में वक्त लगता है. ऐसे में एक्सपर्ट्स के पास जाना भी जेब पर भार को बढ़ाता है. वहीं, जो प्रोडक्ट्स वे इस्तेमाल कर रहे हैं उनके चार्जेस भी वे कस्टमर से लेते हैं. ईशा कहती हैं कि फिलहाल कर्ली हेयर यूनिक कैटेगरी में आते हैं और इसीलिए उपलब्धता कम है, लेकिन आने वाले समय में कर्ली हेयर शायद इतने यूनिक ना हों और कम से कम सैलून में एक व्यक्ति तो ऐसा होगा जो कर्ली हेयर को हैंडल करना जानता होगा.
मिन्टेल ग्लोबल कंज्यूमर रिसर्च के अनुसार, 42 प्रतिशत भारतीय कंज्यूमर्स आयदिन नए प्रोडक्ट्स के साथ एक्सपेरिमेंट्स करते रहते हैं. ऐसे में क्रिस्टिना का कहना है कि कर्ली हेयर प्रोडक्ट्स से जेब पर मार ना पड़े इसके लिए लोगों को मार्केटिंग हाइप को समझना होगा. इंग्रीडिएंट्स पर ध्यान देकर प्रोडक्ट्स लेने होंगे. कर्ली हेयर को स्टाइल करने के लिए जरूरी नहीं है कि आप बहुत महंगे प्रोडक्ट्स ही खरीदें, कई बार प्रोडक्ट्स से ज्यादा आपकी टेक्नीक मैटर करती है. अपने कर्ल्स को आप किस तरह से अच्छे से स्टाइल कर सकते हैं इसपर ध्यान दें बजाय एक के बाद एक महंगे प्रोडक्ट्स खरीदने के.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं