Parenting Advice: जमाना बदल चुका है और बदले जमाने के साथ ही यह सोच भी बदल चुकी है कि शादी के बाद बेटी को निबाह करना पड़ता है या फिर घर-परिवार से किसी ना किसी तरह निभानी ही पड़ती है. लेकिन, बेटी पर एक नए परिवार को अपनाने और अपना बनाने की जिम्मेदारी जरूर होती है. माता-पिता (Parents) शादी के समय बेटी को बहुत कुछ समझाते और सिखाते हैं लेकिन अगर कुछ बेहद जरूरी बातें उससे ना कहीं जाए तो बेटी (Daughter) खुद को ससुराल में अकेला महसूस कर सकती है या फिर परिवार के साथ सामंजस्य बिठाने में उसे मुश्किल आती है. कुछ चीजें होती ही ऐसी हैं जो सिर्फ माता-पिता ही बेटी को सिखा सकते हैं. जानिए कौनसी हैं वो बातें जो आपको अपनी बेटी से शादी से पहले जरूर कहनी चाहिए और सिखानी चाहिए.
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शादी से पहले बेटी से कहें ये बातें | Things To Tell Your Daughter Before Marriage
सम्मान की भावना ना खोनाकई बार नए परिवार में लोग भी अलग होते हैं जो घर में आए नए सदस्य को खरी-खोटी कहने से पहले जरा नहीं सोचते. लेकिन, बेटी को समझाएं कि छोटी-मोटी कुछ खटपट होती भी है तो वो संयम से काम ले और सम्मान (Respect) की भावना ना खोए. बेटी को अपनी बात जरूर कहनी चाहिए लेकिन उसी तरह से जैसे वह अपने माता-पिता से कहती थी, गुस्से से लेकिन सम्मान के साथ.
आर्थिक रूप से स्वतंत्र रहनानया घर-परिवार हो सकता है कि मायके से ज्यादा समृद्ध हो और हो सकता है कि पति की सैलरी इतनी अच्छी हो कि आपकी बेटी को कभी दोबारा काम करने की जरूरत ना पड़े. लेकिन, बेटी को समझाएं कि आर्थिक रूप से स्वतंत्र (Financially Indipendant) बने रहना जरूरी होता है. अगर वह अपनी जरूरतें अपने पैसों से पूरी करेगी तो ऐसी बहुत सारी परेशानियां हैं जिनसे उसे कभी दोचार नहीं होना पड़ेगा, खासकर उसे यह ताना कभी नहीं सुनना पड़ेगा कि उसने जो पहना हुआ है वह भी उसका खुद का खरीदा हुआ नहीं है.
रिश्तों को समय देनाबेटी को समझाएं कि रिश्तों को रातोंरात नाम देना आसान होता है लेकिन रिश्ते रातोंरात बन नहीं सकते हैं. इसीलिए एक या दो दिनों में ही यह कहना कि मुझे सास पसंद नहीं या ननद और देवर से चिढ़ है, सरासर गलत है. बेटी को समझाएं कि उसे रिश्तों को पनपने का और बेहतर होने का समय देना होगा जिससे वह सभी से घुल-मिल सके और अपना खिलखिलाता आशियाना बसा सके.
दूसरे के नजरिए को समझनाबहुत से इंसान पूरी जिंदगी बिता देते हैं लेकिन दूसरे के नजरिए (Point of view) को समझना नहीं सीख पाते. लेकिन, बेटी को यह सिखाना जरूरी है कि दूसरे के नजरिए को किस तरह समझते हैं. अगर वह बस यह सोचती रहेगी कि उसके साथ हमेशा गलत हो रहा है या फिर उसी को दोष दिया जाता है तो वह खुद भी कभी खुश नहीं रह पाएगी. बेटी को यह समझना होगा कि कभी-कभी उसकी गलती भी हो सकती है और यह समझने के लिए दूसरे व्यक्ति का क्या नजरिया है यह पहचानना जरूरी है.
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