
Success Story: आंखों से लाचार कोडरमा के डोमचांच के रहने वाले रोशन कुमार ने जेपीएससी में सफलता पाते हुए 340 में रैंक हासिल किया है. उनका चयन झारखंड वित्त सेवा के लिए किया गया है. आर्थिक बंदिशों के साथ-साथ शारीरिक मजबूरियों से पार पाते हुए रोशन ने यह सफलता हासिल की है. वो कहते हैं न कि कुछ कर गुजरने की तमन्ना हो और सच्ची लगन से मेहनत की जाए तो कोई भी बाधा सफलता को नहीं रोक सकती. कुछ ऐसा ही कर दिखाया है कोडरमा के डोमचांच के रहने वाले रौशन ने. रौशन विजुअल डिसएबिलिटी निस्टेगमस की बीमारी से ग्रसित है, इस बीमारी में रोशन के आंखों की पुतलियां स्थिर नहीं रहती है, जिसके कारण उसे कोई भी चीज उसे धुंधली नजर आती है, बावजूद इसके रोशन ने परिवार, मित्र और गुरुजनों की मदद से मेहनत की और जेपीएससी की परीक्षा पास करते हुए 340वे रैंक के साथ झारखंड वित्त सेवा के लिए चयनित किए गए हैं.
इसकी मदद से दी जेपीएससी की परीक्षा
डोमचांच नगर के रहने वाले विनोद कुमार और नीतू देवी के छोटे पुत्र रोशन को विजुअल डिसेबिलिटी होने के कारण उसे एग्जाम पेपर लिखने के लिए स्कराइब की सुविधा मिली. बतौर स्कराइब एग्जाम पेपर उसकी छोटी बहन स्नेहा ने लिखा। अपने भाई को सबसे बड़ा इंस्पिरेशन मानने वाली स्नेहा राखी से पहले एक बड़े अधिकारी के रूप में अपने भाई के चयनित होने से खुश है और कहा कि तैयारी उसके भाई की थी, जिसे उसने सिर्फ पन्नों पर उतार दिया.
यूट्यूब से सुनकर कर थे पढ़ाई
रोशन ने जेपीएससी की तैयारी यूट्यूब और पीडीएफ मेटेरियल के जरिए की. क्योंकि छोटे-छोटे अक्षर उसे बिल्कुल दिखाई नहीं देते थे. ऐसे में यूट्यूब वीडियो और पीडीएफ मेटेरियल को अपने टैब पर जूम करके वह पढ़ाई करते थे. फिलहाल रोशन बंगाल के वर्दमान जिले में बतौर कनिष्ठ सांख्यिकी अधिकारी कार्यरत है और जेपीएससी की रिजल्ट निकलने पर अपने घर पहुंचकर खुशियां सेलिब्रेट की. जहां पूरे घर वालों ने उसकी सफलता का जश्न उसके साथ मिलकर मनाया. उसके दृष्टिहीन पिता विनोद कुमार ने उसकी मेहनत और लगन को सफलता का प्रतिफल बताया.
टूटे फूटे मकान में रहकर लड़ी संघर्ष की लड़ाई
टूटे-फूटे और जर्जर हो चुके मकान में 6 बाई 4 के कमरे में बिना किसी सुख सुविधा के शारीरिक लाचारी के बावजूद जिस तरह से रोशन ने सफलता हासिल की है, आज उसके संघर्षों की प्रशंसा हर कोई कर रहा है.
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