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Success Story: 1000 फ्रैक्चर के बावजूद नहीं मानी हार, व्हीलचेयर और ऑक्सीजन सपोर्ट पर दी UPSC

Success Story: लतीशा अंसारी ने दिखाया कि इरादे मजबूत हों तो कोई बाधा बड़ी नहीं होती. जन्म से कमजोर हड्डियों और सांस लेने में कठिनाई होने के बावजूद, उन्होंने व्हीलचेयर और ऑक्सीजन सपोर्ट के साथ यूपीएससी की परीक्षा दी.

Success Story: 1000 फ्रैक्चर के बावजूद नहीं मानी हार, व्हीलचेयर और ऑक्सीजन सपोर्ट पर दी UPSC
नई दिल्ली:

UPSC Story: यूपीएससी परीक्षा देश ही नहीं दुनिया की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक है. हर साल लाखों की संख्या में छात्र इसमें शामिल होते हैं, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि कोई व्हीलचेयर पर बैठकर, ऑक्सीजन सपोर्ट पर रहकर भी इस परीक्षा को दे सकता है. लतीशा अंसारी ने यही कर दिखाया. केरल की जुझारू लड़की ना सिर्फ अपने सपनों के पीछे दौड़ी, बल्कि हर चुनौती को पार करते हुए बताया कि सपने तो हर कोई देखता है लेकिन उन्हें सच वही करता है, जिसमें जिद और जुनून है. आइए जानते हैं लतीशा अंसारी की कहानी..

हिम्मत की मिसाल

लतीशा अंसारी केरल की रहने वाली थीं. साल 2019 में उनका नाम यूपीएससी प्रीलिम्स के दौरान खूब सुर्खियों में आया, लेकिन उनकी कहानी सामान्य नहीं थी. हजार से ज्यादा हड्डियों के फ्रैक्चर, व्हीलचेयर पर बैठकर ऑक्सीजन सपोर्ट के साथ परीक्षा देना, काफी चुनौती वाला रहा. उनकी हिम्मत और जज्बा यह दिखाता है कि अगर इरादे मजबूत हों तो शारीरिक कमजोरियां भी रास्ते में बाधा नहीं बन सकतीं.

जन्म से जुझारू थीं लतीशा अंसारी

लतीशा को जन्म से ही टाइप-2 ओस्टियोजेनिसिस इम्परफेक्टा (हड्डियों की कमजोरी) थी. 2018 से पल्मनरी हाइपरटेंशन ने उनकी सांस लेने की क्षमता भी प्रभावित कर दी थी. ऐसे हालात में कोई भी साधारण इंसान हार मान सकता था, लेकिन लतीशा ने कभी हार नहीं मानी. उनके माता-पिता ने हर कदम पर उनका साथ दिया और पढ़ाई में मदद की. यही समर्थन उनके हौसले की सबसे बड़ी ताकत बन गया.

पढ़ाई में भी स्ट्रगल

लतीशा की लाइफ कभी आसान नहीं रही. उन्हें स्कूल में एडमिशन तक कठिनाई से मिला. कई स्कूलों ने शारीरिक स्थिति देखते हुए उन्हें एडमिशन देने से मना कर दिया, लेकिन लतीशा ने हार नहीं मानी. उन्होंने मुश्किलों से जूझते हुए पोस्ट ग्रेजुएशन तक की डिग्री हासिल की. यूपीएससी प्रीलिम्स खत्म होते ही उन्हें अस्पताल में भर्ती होना पड़ा। उन्हें परीक्षा केंद्र में पोर्टेबल ऑक्सीजन कंसेंट्रेशन की सुविधा मुफ्त में दिलाने के लिए कोट्टायम के जिला कलेक्टर ने काफी मदद की.

कम उम्र में हुआ निधन

लतीशा के इलाज में हर महीने करीब ₹25,000 खर्च होते थे. लेकिन अपने छोटे से जीवन में उन्होंने बड़े सपने देखे और उन्हें पूरा करने की कोशिश की. 16 जून 2021 को मात्र 27 साल की उम्र में उनका निधन हो गया. उनकी कहानी हर किसी के लिए मिसाल बन गई. उन्होंने बताया कि शारीरिक अक्षमता कोई बाधा नहीं, बल्कि हौसले और जज्बे की परीक्षा है.

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