सुप्रीम कोर्ट परिसर में हाल ही में मिट्टी कैफे का उद्धाटन किया गया. सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ ने इसका शुभारंभ किया, लेकिन रविवार को संविधान दिवस के मौके पर सुप्रीम कोर्ट परिसर में डॉ भीमराव अम्बेडकर की प्रतिमा के अनावरण में शामिल होने के बाद सीजेआई की पत्नी कल्पना दास अकेली ही मिट्टी कैफे पहुंच गईं.यहां उन्होंने खरीदारी की और मिट्टी कैफे के स्टाफ से वादा किया कि एक दिन वो कॉफी पीने भी यहां आएंगी.
कल्पना दास ने बताया कि उन्होंने दिल्ली के हंसराज कॉलेज में मिट्टी कैफ का उद्घाटन किया था. इस दौरान वो काफी देर तक कैफे के स्टाफ से बातचीत भी करती रहीं.
दरअसल, दिव्यांग लोगों द्वारा संचालित पहला कैफे सुप्रीम कोर्ट परिसर में खोला गया है. शुभारंभ के बाद से ही कैफे में काफी भीड़भाड़ देखी जाती है. यहां तक कि लंच के समय इसमें बैठने के लिए भी जगह नहीं होती. वकील व सुप्रीम कोर्ट कर्मचारी भी कैफे की तारीफ कर रहे हैं.
सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ की पहल पर ये कैफे खोला गया है. कार्यक्रम के दौरान सुप्रीम कोर्ट के अन्य जज भी मौजूद रहे. इस कैफे का संचालन एक NGO द्वारा किया जा रहा है, जो देशभर में दिव्यांग लोगों के कल्याण के लिए काम करती है. बता दें कि CJI डी वाई चंद्रचूड़ दिव्यांगों के अधिकारों के हमेशा से ही पक्ष में रहे हैं और उनके लिए कई बड़े आदेश भी जारी किए हैं. उन्होंने दो बेटियों को भी फोस्टर केयर के लिए लिया हुआ है.
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने बताया कि ‘मिट्टी कैफे' ने देश के विभिन्न हिस्सों में 38 कैफे खोले हैं. शीर्ष अदालत के परिसर में पहले से ही कई भोजनालय और कैफेटेरिया हैं जो अदालत में रोजाना आने वाले वकीलों और वादियों की जरूरतों को पूरा करते हैं, लेकिन मिट्टी कैफे को लेकर लोगों में खास आकर्षण है.
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