कांग्रेस तथा भाजपा में 'अपनों' के लिए टिकट दिलाने की होड़ मची हुई है
नई दिल्ली:
यूपी की तरह उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस तथा भाजपा में 'अपनों' के लिए टिकट दिलाने की होड़ मची हुई है. 15 फरवरी को होने वाले चुनावों में मुख्यमंत्री हरीश रावत से लेकर पूर्व मुख्यमंत्रियों भुवन चंद्र खंडूरी, विजय बहुगुणा जैसे नेता अपनी राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने की जुगत में हैं.
उत्तराखंड में राजनेताओं के अपने बच्चों के लिए टिकट हासिल करने का प्रयास तब सामने आ रहा है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सार्वजनिक रूप से परिवारवाद से परहेज करने की सलाह दे चुके हैं. रोचक बात यह है कि टिकट बांटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय भी खुद परिवारवाद के विरोध में हैं.
परिवारवाद को आगे बढ़ाने की मुहिम में सबसे आगे प्रदेश के मुख्यमंत्री रावत दिखायी दे रहे हैं. रावत इस बार स्वयं के अलावा अपने दो पुत्रों, एक पुत्री और पत्नी को भी चुनावी समर में उतारना चाहते हैं.
कांग्रेस सूत्रों ने बताया कि रावत के दोनों पुत्र - वीरेंद्र और आनंद रावत कुमांउ क्षेत्र से किस्मत आजमाना चाहते हैं जबकि पुत्री अनुपमा और उनकी मां गढ़वाल के हरिद्वार जिले से जोर आजमाइश करना चाहते हैं . यह माना जा रहा है कि रावत स्वयं भी दो विधानभा क्षेत्रों से चुनाव लड़ना चाहते हैं .
इसके अलावा रावत के कई अन्य सगे-संबंधी, करण माहरा और राज्यसभा सांसद महेंद्र सिंह माहरा भी टिकट पाने की दौड़ में हैं. इसके अतिरिक्त रावत के एक दर्जन से भी अधिक कट्टर समर्थक टिकट के प्रबल दावेदार हैं जिनमें विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल, सल्ट से पूर्व विधायक रणजीत सिंह रावत, कपकोट से ललित फर्सवाण, धारचूला से हरीश धामी और अल्मोड़ा से मनोज तिवारी शामिल हैं.
वित्त मंत्री इंदिरा हृदयेश भी अपने पुत्र सुमित तथा सिंचाई मंत्री यशपाल आर्य भी अपने पुत्र संजीव को विधानसभा में भेजना चाहते हैं. कुल मिलाकर आगामी चुनावों में कांग्रेस में कुमांउ क्षेत्र का वर्चस्व रहने की पूरी संभावना बनती दिख रही है.
दूसरी तरफ, भाजपा भी परिवारवाद से अछूती नहीं दिख रही है. इस दौड़ में सबसे आगे गढ़वाल क्षेत्र के कर्णप्रयाग से पूर्व मुख्यमंत्री भुवनचंद खंडूरी की पुत्री रितु भूषण खंडूरी दिखायी दे रही हैं. इसके अलावा, पिछले साल मुख्यमंत्री रावत के खिलाफ बगावत की अगुवाई करने वाले पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा भी अपने पुत्र साकेत या सौरभ के लिये अपनी सीट सितारगंज से टिकट मांग रहे हैं.
कांग्रेस से भाजपा में आये पूर्व केंद्रीय मंत्री सतपाल महाराज भी जहां खुद के लिये चौबटटाखाल से टिकट के दावेदार हैं वहीं उनकी पत्नी और प्रदेश की पूर्व उद्यान मंत्री अमृता रावत रामनगर से टिकट मांग रही हैं.
उत्तराखंड में राजनेताओं के अपने बच्चों के लिए टिकट हासिल करने का प्रयास तब सामने आ रहा है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सार्वजनिक रूप से परिवारवाद से परहेज करने की सलाह दे चुके हैं. रोचक बात यह है कि टिकट बांटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय भी खुद परिवारवाद के विरोध में हैं.
परिवारवाद को आगे बढ़ाने की मुहिम में सबसे आगे प्रदेश के मुख्यमंत्री रावत दिखायी दे रहे हैं. रावत इस बार स्वयं के अलावा अपने दो पुत्रों, एक पुत्री और पत्नी को भी चुनावी समर में उतारना चाहते हैं.
कांग्रेस सूत्रों ने बताया कि रावत के दोनों पुत्र - वीरेंद्र और आनंद रावत कुमांउ क्षेत्र से किस्मत आजमाना चाहते हैं जबकि पुत्री अनुपमा और उनकी मां गढ़वाल के हरिद्वार जिले से जोर आजमाइश करना चाहते हैं . यह माना जा रहा है कि रावत स्वयं भी दो विधानभा क्षेत्रों से चुनाव लड़ना चाहते हैं .
इसके अलावा रावत के कई अन्य सगे-संबंधी, करण माहरा और राज्यसभा सांसद महेंद्र सिंह माहरा भी टिकट पाने की दौड़ में हैं. इसके अतिरिक्त रावत के एक दर्जन से भी अधिक कट्टर समर्थक टिकट के प्रबल दावेदार हैं जिनमें विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल, सल्ट से पूर्व विधायक रणजीत सिंह रावत, कपकोट से ललित फर्सवाण, धारचूला से हरीश धामी और अल्मोड़ा से मनोज तिवारी शामिल हैं.
वित्त मंत्री इंदिरा हृदयेश भी अपने पुत्र सुमित तथा सिंचाई मंत्री यशपाल आर्य भी अपने पुत्र संजीव को विधानसभा में भेजना चाहते हैं. कुल मिलाकर आगामी चुनावों में कांग्रेस में कुमांउ क्षेत्र का वर्चस्व रहने की पूरी संभावना बनती दिख रही है.
दूसरी तरफ, भाजपा भी परिवारवाद से अछूती नहीं दिख रही है. इस दौड़ में सबसे आगे गढ़वाल क्षेत्र के कर्णप्रयाग से पूर्व मुख्यमंत्री भुवनचंद खंडूरी की पुत्री रितु भूषण खंडूरी दिखायी दे रही हैं. इसके अलावा, पिछले साल मुख्यमंत्री रावत के खिलाफ बगावत की अगुवाई करने वाले पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा भी अपने पुत्र साकेत या सौरभ के लिये अपनी सीट सितारगंज से टिकट मांग रहे हैं.
कांग्रेस से भाजपा में आये पूर्व केंद्रीय मंत्री सतपाल महाराज भी जहां खुद के लिये चौबटटाखाल से टिकट के दावेदार हैं वहीं उनकी पत्नी और प्रदेश की पूर्व उद्यान मंत्री अमृता रावत रामनगर से टिकट मांग रही हैं.
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