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This Article is From Apr 28, 2017

विश्व टीकाकरण सप्ताह: : यूनिसेफ ने कहा, 'अभी तक 10 मिलियन बच्चे अभी भी टीकाकरण से वंचित'

विश्व टीकाकरण सप्ताह: : यूनिसेफ ने कहा, 'अभी तक 10 मिलियन बच्चे अभी भी टीकाकरण से वंचित'
भारत को पोलियो मुक्त करने में यूनिसेफ का बड़ा योगदान है
नई दिल्ली: हमारे शरीर में टीके की महत्ता का अंदाजा कम होती शिशु मृत्यु दर से लगाया जा सकता है. टीकाकरण को लेकर जागरूकता फैलाने के लिए अप्रैल माह का अंतिम सप्ताह हर साल विश्व टीकाकरण सप्ताह यानी 'वर्ल्ड इम्युनाइजेशन वीक' के रूप में मनाया जाता है. स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा भारत के सभी बच्चों के लिए वर्ष 2020 तक टीकाकरण के दायरे में लाने के मकसद से 25 दिसंबर, 2014 को मिशन इंद्रधनुष का शुभारंभ किया गया. मिशन इंद्रधनुष में 2020 तक 90 फीसद बच्चों को टीकाकरण के दायरे में लाने का लक्ष्य है.

बच्चों के अधिकारों और उनकी सुरक्षा के लिए संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) द्वारा बड़े पैमाने पर कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं. युनिसेफ ने दावा किया है कि दुनिया में करीब आधे बच्चोँ तक उसने जीवन रक्षक टीका पहुंचाया है. यूनीसेफ ने कहा कि 2016 में दुनिया के करीब 100 देशों के बच्चों के लिए टीके की 2.5 अरब खुराक खरीद कर इन टीकों को पांच साल से कम उम्र के बच्चों के लिए पहुंचाया है. इन आंकड़ों से यूनीसेफ दुनिया में बच्चों के लिए टीकों का सबसे बड़ा खरीदार बन गया है.

संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने एक प्रेस ब्रीफिंग में कहा कि नाइजीरिया, पाकिस्तान और अफगानिस्तान अब भी पोलियो से प्रभावित देशों में हैं. इन देशों में किसी भी अन्य देश की तुलना में पोलियो की खुराक अधिक पहुंचाई गई है. उन्होंने बताया कि यूनिसेफ द्वारा विभिन्न टीकों की 450 मिलियन खुराक नाइजिरिया, 150 मिलियन खुराक अफगानिस्तान और 395 मिलियन खुराक पाकिस्तान के लिए आपूर्ति की गई हैं.भारत को पोलियो मुक्त करने में यूनिसेफ का बहुत बड़ा योगदान है. 

उन्होंने कहा कि टीकाकरण से पांच साल से कम उम्र के बच्चों की उन बीमारियों से मौत में काफी कमी आई है, जिनकी रोकथाम टीकों से की जा सकती है. टीके की वजह से पोलियो दुनिया से समाप्त होने की कगार पर है.

न्यूयार्क में यूनिसेफ के टीकाकरण अभियान के प्रमुख डॉ. रॉबिन नंदी ने कहा कि दुनिया में किसी भी हालत में और कहीं भी रह रहे बच्चों का टीकाकरण उनका अधिकार है. उन्होंने कहा कि 1990 से टीकाकरण की वजह से शिशु मृत्यु दर में काफी कमी दर्ज की गई है, लेकिन बावजूद इसके आज भी हर साल 1.5 मिलियन बच्चों की मौत उन बीमारियों से होती है जिनकी रोकथाम के टीका बाजार में मुहैया हैं.

उन्होंने कहा कि अब भी दुनियाभर में करीब 1.94 करोड़ बच्चे हैं, जो संघर्षों, कमजोर स्वास्थ्य प्रणाली, गरीबी या सामाजिक विषमताओं की वजह से टीकाकरण से वंचित रह जाते हैं. उन्होंने बताया कि टीकाकरण द्वारा डिप्थीरिया, खसरा, काली खांसी, निमोनिया, पोलियो, रोटावायरस दस्त, रूबेला और टिटनेस लगभग 25 तरह की बीमारियों को रोका जा सकता है.

(इनपुट आईएएनएस से भी)

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