Advertisement

सेंट्रल विस्टा योजना को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल काम रोकने से किया इनकार

मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्राधिकरण को कानून के मुताबिक काम करने से कैसे रोक सकते हैं. अगर अदालत के मामले की सुनवाई के दौरान सरकार प्रोजेक्ट पर काम जारी रखती है तो ये उसके जोखिम और कीमत पर है.

Advertisement
Read Time: 10 mins
सुप्रीम कोर्ट में मामले की अगली सुनवाई 7 जुलाई को होगी
नई दिल्ली:

केंद्र की प्रस्तावित सेंट्रल विस्टा योजना (Central Vista project) को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने दोटूक लहजे में कहा है कि फिलहाल प्रोजेक्ट पर काम नहीं रुकेगा. मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्राधिकरण को कानून के मुताबिक काम करने से कैसे रोक सकते हैं. अगर अदालत के मामले की सुनवाई के दौरान सरकार प्रोजेक्ट पर काम जारी रखती है तो ये उसके जोखिम और कीमत पर है. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को याचिका में बदलाव करने की इजाजत दी. शीर्ष अदालत ने केंद्र को जवाब दाखिल करने को कहा है और अगली सुनवाई सात जुलाई को होगी.गौरतलब है कि 30 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने प्रोजेक्ट पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था. 

Advertisement

दरअसल सुप्रीम कोर्ट में केंद्र द्वारा विस्टा के पुनर्विकास योजना के बारे में भूमि उपयोग में बदलाव को अधिसूचित करने के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है. केंद्र की ये योजना 20 हजार करोड़ रुपये की है. 20 मार्च, 2020 को केंद्र ने संसद, राष्ट्रपति भवन, इंडिया गेट, नॉर्थ ब्लॉक और साउथ ब्लॉक जैसी संरचनाओं द्वारा चिह्नित लुटियंस दिल्ली के केंद्र में लगभग 86 एकड़ भूमि से संबंधित भूमि उपयोग में बदलाव को अधिसूचित किया. आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय द्वारा जारी मार्च 2020 की अधिसूचना को रद्द करने के लिए अदालत से आग्रह करते हुए, याचिकाकर्ता का तर्क दिया है कि यह निर्णय अनुच्छेद 21 के तहत एक नागरिक के जीने के अधिकार के विस्तारित संस्करण का उल्लंघन है. इसे एक क्रूर कदम बताते हुए राजीव सूरी का दावा है यह लोगों को अत्यधिक क़ीमती खुली जमीन और ग्रीन इलाके का आनंद लेने से वंचित करेगा

सेंट्रल विस्टा में संसद भवन, राष्ट्रपति भवन, उत्तर और दक्षिण ब्लॉक की इमारतें, जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालयों और इंडिया गेट जैसी प्रतिष्ठित इमारतें हैं. केंद्र सरकार एक नया संसद भवन, एक नया आवासीय परिसर बनाकर उसका पुनर्विकास करने का प्रस्ताव कर रही है जिसमें प्रधानमंत्री और उपराष्ट्रपति के अलावा कई नए कार्यालय भवन होंगे. दिल्ली हाईकोर्ट में  राजीव शकधर की एकल पीठ ने 11 फरवरी को आदेश दिया था कि दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) को भूमि उपयोग में प्रस्तावित परिवर्तनों को सूचित करने से पहले उच्च न्यायालय का रुख करना चाहिए. आदेश दो याचिकाओं में पारित किया गया, एक राजीव सूरी द्वारा और दूसरा लेफ्टिनेंट कर्नल अनुज श्रीवास्तव द्वारा दायर किया गया. सूरी ने सरकार द्वारा प्रस्तावित परिवर्तनों को इस आधार पर चुनौती दी कि इसमें भूमि उपयोग में बदलाव और जनसंख्या घनत्व के मानक शामिल हैं और इस तरह के बदलाव लाने के लिए डीडीए अपेक्षित शक्ति के साथ निहित नहीं है. हालांकि बाद में डिवीजन बेंच ने आदेश पर रोक लगा दी. सुप्रीम कोर्ट ने पूरे मामले को बड़ा सार्वजनिक हित देखते हुए अपने पास सुनवाई के लिए रख लिया.

Advertisement

Featured Video Of The Day
Rajkot Gaming Zone Fire में सामने आ रही बड़ी लापरवाही, Fire Department से नहीं मिला था NOC

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे: