ओडिशा रथ यात्रा के लिए खास इंतजाम.
- पुरी में 27 जून को जगन्नाथ रथ यात्रा के लिए सुरक्षा इंतजाम किए गए हैं.
- इस साल रथ यात्रा में पहली बार NSG की तैनाती होगी.
- भीड़ प्रबंधन के लिए AI और CCTV का उपयोग किया जाएगा.
ओडिशा के पुरी में 27 जून को होने वाली जगन्नाथ रथ यात्रा (Puri Rath YATRA Security) के लिए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं. ओडिशा के डीजीपी वाईबी खुरानिया ने बताया कि रथा यात्रा में पहली बार NSG तैनात की जाएगी. ऑपरेशन सिंदूर के बाद यह फैसला लिया गया है. वहीं भीड़ मैनेजमेंट के लिए AI का इस्तेमाल किया जाएगा. इतिहास में पहली बार है जब रथ यात्रा में AI का इस्तेमाल किया जा रहा है. CCTV में भी आर्टिफिशल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल किया जाएगा, जिसके जरिए ये पता लग सकेगा कि कौन कहां जा रहा है या कितनी भीड़ है. उसी के हिसाब से रूट डायवर्जन किए जाएंगे.
रथ यात्रा के लिए बनाया गया चैटबॉट
एक चैट बोट की व्यवस्था की गई है. जिसमें भक्त जो पूरी की तरफ आना चाहते हैं, दर्शन करने के लिए वो देख पाएंगे और जान पाएंगे कि कौन सा रास्ता उनके लिए ठीक है. उसमें कहीं रुकावट है या नहीं है. अगर रुकावट है तो डायवर्जन क्या उपलब्ध है. जब वो पूरी पहुंच जाते हैं या पूरी के पास पहुंच जाते हैं, तो कहां-कहां पर पार्किंग की व्यवस्था है. उसमें उनके लिए स्पेस है या नहीं. उस हिसाब से वो अपना ट्रिप प्लान कर सकते हैं.
रथयात्रा के लिए सुरक्षा एकदम कड़ी
- पहली बार नेशनल सिक्योरिटी गार्ड को डिप्लॉय करा जा रहा है. उनकी क्विक एक्शन टीम मौजूद रहेंगी. उनके स्नाइपर मौजूद रहेंगे.
- कंट्रोल की व्यवस्था की गई है, जहां पर सभी एजेंसी के सीनियर ऑफिसर्स राउंड द क्लॉक मौजूद रहेंगे.
- अगर कहीं कोई भी असुविधा होती है, कोई प्रॉब्लम दिखती है. उसका तुरंत समाधान करा जाएगा.
- सभी इंटेलिजेंस इनपुट्स को ध्यान में रखते हुए विशेष सिक्योरिटी अरेंजमेंट किए गए हैं. रैपिड एक्शन फोर्स, सीआरपीए, बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स का डिप्लॉयमेंट होगा.
10 हजार पुलिसकर्मी, ड्रोन्स की होगी तैनाती
ओडिशा के डीजीपी वाईबी खुरानिया ने बताया, सभी इंटेलिजेंस रिपोर्ट्स को ध्यान में रखते हुए इस बार पहली बार नेशनल सिक्योरिटी गार्ड और उनके स्नाइपर्स, रैपिड एक्शन फोर्स, CRPF को रथ यात्रा में तैनात किया जा रहा है. वहीं ड्रोन्स का इस्तेमाल कई गुना ज्यादा किया जा रहा है. किसी भी तरह के ड्रोन को देखकर उसे मार गिराने की भी तैयारी है. इस साल पुलिसकर्मी भी हर साल से कई गुना ज्यादा तैनात किए गए हैं.
महिलाओं और बच्चों के लिए खास इंतजाम
इस साल रथ यात्रा में सुरक्षा-व्यवस्था के लिहाज से 10,000 पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं. रथ यात्रा में महिलाओं और बच्चों के लिए विशेष व्यवस्था की गई है. थोड़ी-थोड़ी दूर पर इस तरह की व्यवस्था की गई है कि बच्चों और महिलाओं को हर तरह की मदद दी जा सके.
सज गई भगवान जगन्नाथ की नगरी पुरी
भगवान जगन्नाथ की नगरी पुरी एक बार फिर तैयार है एक ऐसे उत्सव की गवाह बनने को, जो न केवल आस्था का प्रतीक है बल्कि भारत की सांस्कृतिक धरोहर का जीवंत रूप भी है. पुरी रथ यात्रा 2025 का शुभारंभ शुक्रवार, 27 जून को होगा. इस महोत्सव में भगवान जगन्नाथ, उनके भ्राता बलभद्र और बहन सुभद्रा भव्य रथों में सवार होकर गुंडिचा मंदिर की ओर नौ दिवसीय यात्रा पर निकलते हैं.
प्रमुख तिथियां और अनुष्ठान
- 12 जून – स्नान पूर्णिमा: 108 कलशों से भगवानों का पावन अभिषेक
- 13-26 जून – अनवसर काल: स्नान के पश्चात भगवान विश्राम में रहते हैं और दर्शन नहीं देते
- 26 जून – गुंडिचा मार्जना: रथ यात्रा के पूर्व गुंडिचा मंदिर की पवित्र सफाई
- 27 जून – रथ यात्रा दिवस: भव्य शोभायात्रा का आरंभ
- 1 जुलाई – हेरा पंचमी: देवी लक्ष्मी का अपने स्वामी को बुलाने मंदिर आगमन
- 4 जुलाई – बहुदा यात्रा: भगवानों की वापसी यात्रा
- 5 जुलाई – सुणा बेशा और नीलाद्री विजय: स्वर्णाभूषणों से सुसज्जित भगवानों की पुनः मंदिर में प्रतिष्ठा
रथ यात्रा के अनुष्ठानों का गहन धार्मिक महत्व
छेड़ा पहाड़ा
पुरी के गजपति महाराज स्वयं सोने की झाड़ू लेकर रथों की सफाई करते हैं, यह संकेत है कि भगवान के समक्ष राजा और प्रजा समान हैं.
रथ खींचना
हजारों श्रद्धालु रस्सियों से लकड़ी के विशाल रथ खींचते हैं. यह भक्ति, सेवा और ईश्वर से जुड़ाव का प्रतीक माना जाता है.
गुंडिचा यात्रा
तीनों विग्रह पुरी के श्रीमंदिर से निकलकर लगभग 3 किलोमीटर दूर स्थित गुंडिचा मंदिर (माता का मायका) में नौ दिन निवास करते हैं, जहां वे आम भक्तों को मुक्त रूप से दर्शन देते हैं.
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
पुरी रथ यात्रा की परंपरा 12वीं से 16वीं शताब्दी के बीच आरंभ मानी जाती है. एक मान्यता के अनुसार यह यात्रा भगवान श्रीकृष्ण द्वारा अपनी माता के मायके जाने का प्रतीक है. वहीं, एक अन्य धारणा के अनुसार इसे राजा इन्द्रद्युम्न ने आरंभ किया था. कालांतर में गजपति राजाओं के संरक्षण में इस उत्सव को भव्यता मिली.
आधुनिक युग में रथ यात्रा
हर वर्ष यह उत्सव लाखों श्रद्धालुओं को पुरी खींच लाता है. लेकिन यह केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि सामाजिक समरसता, सांस्कृतिक गर्व और आध्यात्मिक ऊर्जा का महासंगम है. टेलीविजन, यूट्यूब और सोशल मीडिया पर अब यह उत्सव विश्वभर में देखा जाता है, जिससे इसकी दिव्यता और महत्व वैश्विक रूप ले चुका है.
रथ यात्रा का समापन नीलाद्री विजय से होता है, जब भगवान वापस श्रीमंदिर में प्रवेश करते हैं और रथों का विधिवत विसर्जन कर अगले वर्ष के लिए तैयारियां शुरू हो जाती हैं.
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