
नई दिल्ली:
अडाणी पोर्ट एंड सेज लि. (एपीसेज) पर लगाया गया 200 करोड़ रुपये का जुर्माना रद्द करने संबंधी खबर को सरकार ने खारिज किया है और कहा है कि उल्टे कंपनी पर पहले से ज्यादा गंभीर जिम्मेदारी थोपी गयी है।
मीडिया की रिपोर्टों के अनुसार कंपनी पर यह जुर्माना मुंदड़ा बंदरगाह के निर्माण के दौरान पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के लिए लगाया गया था। केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने दावा कि कंपनी पर जुर्माना रद्द करने संबंधी खबरें गलत हैं जबकि ‘कंपनी पर और अधिक गंभीर’ दायित्व डाला गया है जिसकी लागत की कोई सीमा नहीं है।
खबरों के अनुसार पूर्ववर्ती संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार ने 2013 में कंपनी पर गुजरात में मुंदड़ा बंदरगाह के निर्माण के दौरान पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के लिए 200 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था। खबरों में कहा गया है कि मौजूदा राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार ने इस जुर्माने को रद्द कर दिया है।
मंत्रालय ने एक बयान में कहा है कि मीडिया की रिपोर्टों में जो निष्कर्ष निकाला गया है वह सही नहीं है। मौजूदा सरकार ने 200 करोड़ रुपये का जुर्माना रद्द नहीं किया है। मंत्रालय का निर्णय उससे 200 करोड़ रुपये मांगने से अधिक सख्त है क्योंकि इस मामले में सुनीता नारायण समिति ने नुकसान की भरपाई करने और आगे पर्यावरण संरक्षण के लिए जो सिफारिश की है, एपीसेज को उसका पूरा बोझ उठाना पड़ेगा और यह सिर्फ 200 करोड़ रुपये तक सीमित नहीं रहेगा।
मंत्रालय ने कहा, ‘‘यह पूरी तरह स्पष्ट है कि पर्यावरण मंत्रालय ने अपनी 200 करोड़ रुपये क्षतिपूरक कोष की मांग को वापस नहीं लिया है। सरकार ने पूरी तरह सही कानूनी रूपरेखा के तहत यह आदेश पारित किया है और कंपनी पर अधिक गंभीर दायित्व लगाया है जिसकी लागत की सीमा नहीं है।’’
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
मीडिया की रिपोर्टों के अनुसार कंपनी पर यह जुर्माना मुंदड़ा बंदरगाह के निर्माण के दौरान पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के लिए लगाया गया था। केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने दावा कि कंपनी पर जुर्माना रद्द करने संबंधी खबरें गलत हैं जबकि ‘कंपनी पर और अधिक गंभीर’ दायित्व डाला गया है जिसकी लागत की कोई सीमा नहीं है।
खबरों के अनुसार पूर्ववर्ती संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार ने 2013 में कंपनी पर गुजरात में मुंदड़ा बंदरगाह के निर्माण के दौरान पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के लिए 200 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था। खबरों में कहा गया है कि मौजूदा राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार ने इस जुर्माने को रद्द कर दिया है।
मंत्रालय ने एक बयान में कहा है कि मीडिया की रिपोर्टों में जो निष्कर्ष निकाला गया है वह सही नहीं है। मौजूदा सरकार ने 200 करोड़ रुपये का जुर्माना रद्द नहीं किया है। मंत्रालय का निर्णय उससे 200 करोड़ रुपये मांगने से अधिक सख्त है क्योंकि इस मामले में सुनीता नारायण समिति ने नुकसान की भरपाई करने और आगे पर्यावरण संरक्षण के लिए जो सिफारिश की है, एपीसेज को उसका पूरा बोझ उठाना पड़ेगा और यह सिर्फ 200 करोड़ रुपये तक सीमित नहीं रहेगा।
मंत्रालय ने कहा, ‘‘यह पूरी तरह स्पष्ट है कि पर्यावरण मंत्रालय ने अपनी 200 करोड़ रुपये क्षतिपूरक कोष की मांग को वापस नहीं लिया है। सरकार ने पूरी तरह सही कानूनी रूपरेखा के तहत यह आदेश पारित किया है और कंपनी पर अधिक गंभीर दायित्व लगाया है जिसकी लागत की सीमा नहीं है।’’
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं
अडाणी पोर्ट एंड सेज लि., एपीसेज, 200 करोड़ का जुर्माना, गौतम अडाणी, अडाणी समूह, Adani Port And Special Economic Zone, APSEZ, 200 Crores Fine, Gautam Adani, Adani Group