दिल्ली के रविदास मंदिर गिराए जाने के मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली, हरियाणा और पंजाब सरकार को कानून- व्यवस्था बनाए रखने के निर्देश दिए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोर्ट के आदेशों को राजनीतिक रंग न दिया जाए. इस धरती पर कोर्ट के आदेशों का कोई भी राजनीतिक दल राजनीति के लिए फायदा नहीं उठा सकता. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत डीडीए तुगलकाबाद स्थित रविदास मंदिर को ढहा दिया था. इसके बाद से ही ये मुद्दा राजनीतिक रंग ले चुका है.
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस नवीन सिन्हा ने 8 अप्रैल 2019 को इस जमीन के संबंध में एक आदेश दिया था, जिसमें कहा था हम दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले को सही मानते हुए याचिकाकर्ता की अपील को ख़ारिज करते हैं. साथ ही यह आदेश दिया गया कि प्राधिकरण यह सुनिश्चित करे कि अगले दो महीने में इस जमीन को खाली करा लिया जाए. अगर ऐसा नहीं किया जाता तो इसे सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना करार दिया जाएगा.
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सुप्रीम कोर्ट में चली इस केस की सुनवाई पर नजर डालें तो दो अगस्त 2019 को 'गुरु रविदास जयंती समारोह समिति' ने कोर्ट को यह सूचना दी थी कि मंदिर परिसर को खाली कर दिया गया है. लेकिन जब इस पर डीडीए से रिपोर्ट मांगी गई तो पाया गया कि 'गुरु रविदास जयंती समारोह समिति' ने कोर्ट में गलत सूचना दी. 9 अगस्त 2019 के अपने फ़ैसले में जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस एम आर शाह ने 'गुरु रविदास जयंती समारोह समिति' को फटकार लगाते हुए यह पूछा था कि क्यों ना समिति के पदाधिकारियों के खिलाफ कोर्ट की अवमानना पर सुनवाई की जाए.
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