नई दिल्ली : अब यह साफ हो गया है कि कांग्रेस का नए अध्यक्ष राहुल गांधी होंगे। इसके लिए अप्रैल में कांग्रेस का एक अधिवेशन शिमला में बुलाया जाएगा, जहां देशभर से आए 8,000 से अधिक प्रतिनिधि राहुल को पार्टी अध्यक्ष चुनेंगे।
वहीं, कांग्रेस पार्टी में राहुल गांधी के समर्थन में कांग्रेसी नेताओं के बयान आने शुरू हो गए हैं। पार्टी के वरिष्ठ नेता कमलनाथ ने एनडीटीवी से कहा कि राहुल गांधी को पूरी जिम्मेदारी देने का वक्त आ गया है। उन्होंने कहा है कि पार्टी में फैसला लेने वाले दो नहीं, एक हों। साथ ही कमलनाथ ने कहा कि अब सोनिया गांधी को पीछे हट जाना चाहिए और राहुल गांधी को कमान अपने हाथ में ले लेनी चाहिए।
बताया जा रहा है कि अध्यक्ष के रूप में नियुक्त होने के बाद राहुल गांधी कांग्रेस कार्यसमिति का गठन करेंगे, जिसमें कई नए चेहरों को शामिल किया जाएगा। कार्यसमिति कांग्रेस की फैसले लेने वाली सबसे बड़ी समिति है, जिसमें 24 सदस्यों के अतिरिक्त कुछ विशेष आमंत्रित सदस्य भी होते हैं, और ज़रूरत पड़ने पर इनमें कांग्रेस-शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों को भी बुलाया जाता है।
कार्यसमिति का पिछला चुनाव वर्ष 1997 में कोलकाता अधिवेशन के दौरान हुआ था, जिसमें कई दिग्गज नेता हार गए थे। फिर आधे कार्यसमिति के सदस्य मनोनीत होने लगे और आधे का चुनाव होता था, लेकिन अब सारे सदस्य कांग्रेस अध्यक्ष द्वारा मनोनीत किए जाते हैं।
राहुल गांधी के लिए सबसे बड़ी चुनौती यही होगी कि वह कार्यसमिति किस तरह बनाते हैं, और किसकी छुट्टी करते हैं। इसके अलावा राज्यों के प्रदेश अध्यक्ष भी बदले जाएंगे, और वहां भी नई समितियां बनेंगी। राहुल की चुनौती यह भी रहेगी कि वह कितने नए लोगों को पार्टी में अच्छे पदों पर ला पाते हैं।
सूत्रों की मानें तो राहुल गांधी लोकसभा चुनाव की हार के बाद ही पार्टी अध्यक्ष बनना चाहते थे, लेकिन किसी वजह से उस समय वह टल गया था। अब राहुल जब छुट्टी से लौटकर आएंगे तो कई नेताओं की छुट्टी होना तय है। जब राहुल के पिता राजीव गांधी को कांग्रेस की कमान मिली थी, तो एक बिल्कुल नई कांग्रेस बनी थी और अब राहुल से भी यही उम्मीदें हैं।
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