![गोवा में सरकार का गठन : दिग्विजय सिंह के 'कुप्रबंधन' के चलते राज्य कांग्रेस में असंतोष, बैठक में हुई तीखी बहस... गोवा में सरकार का गठन : दिग्विजय सिंह के 'कुप्रबंधन' के चलते राज्य कांग्रेस में असंतोष, बैठक में हुई तीखी बहस...](https://i.ndtvimg.com/i/2017-03/goa-congress-meet_650x400_41489467814.jpg?downsize=773:435)
कुछ विधायकों का कहना है कि दिग्विजय सिंह ने सरकार बनाने के लिए तेजी से कदम नहीं उठाए...
पणजी:
बीजेपी को गोवा की राज्यपाल मृदुला सिन्हा की ओर से सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किए जाने के एक दिन बाद ही राज्य कांग्रेस में उथलपुथल मच गई. कांग्रेस के कुछ मुख्य विधायकों ने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं पर हमला बोल दिया है. खबर के अनुसार मंगलवार सुबह हुई बैठक में नवनिर्वाचित विधायकों की कांग्रेस महासचिव और गोवा प्रभारी दिग्विजय सिंह से तीखी बहस हो गई. हालांकि सिंह नाराज विधायकों को शांत कराने की कोशिश करते रहे. इन विधायकों का आरोप है कि वरिष्ठ नेताओं ने सरकार बनाने के लिए छोटी पार्टियों से संपर्क करने के मामले में लचीला रुख अपनाया, जिसका फायदा बीजेपी ने उठा लिया. इससे विधायकों में नाराजगी है. खास बात यह कि विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है.
गौरतलब है कि गोवा विधानसभा चुनावों में कांग्रेस 40 में से 17 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी है और खबरों के अनुसार उसे एक निर्दलीय का भी समर्थन हासिल था. संख्याबल पर नजर डालें तो कांग्रेस बहुमत के लिए आवश्यक 21 सीटों से महज तीन सीट पीछे थी. कांग्रेस की तुलना में बीजेपी के पास महज 13 सीटें थीं. ऐसे में कांग्रेस के लिए बहुमत जुटाना ज्यादा कठिन काम नहीं था, फिर भी उसकी ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए और बीजेपी को सरकार बनाने का आमंत्रण मिल गया.
पार्टी के शीर्ष नेतृत्व पर सवाल उठाने वाले प्रमुख नेताओं में से एक हैं विश्वजीत पी राणे, जो पिछली विधानसभा में विपक्ष के नेता रहे हैं. राणे को कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री के दावेदारों में से भी एक बताया जा रहा था.
राणे के निशाने पर कांग्रेस महासचिव और गोवा प्रभारी दिग्विजय सिंह हैं. वैसे सिंह ने बीजेपी पर विधायकों की खरीद-फरोख्त का आरोप भी लगाया है. सिंह ने ट्वीट किया था, 'जनबल पर धनबल जीत गया. मैं गोवा के लोगों से माफी मांगता हूं कि हम सरकार बनाने के लिए समर्थन नहीं जुटा सके.' पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम ने भी बीजेपी पर सवाल उठाया था.
राणे को लगता है कि कांग्रेस पार्टी के नेताओं को अपनी गलती स्वीकार करनी होगी. राणे ने NDTV से कहा, 'मेरी राय में यह पूरी तरह से हमारी लीडरशिप के कुप्रबंधन का नतीजा है.'
राणे ने जोर देते हुए कहा, 'चुनावों में कांग्रेस को सरकार बनाने के लिए जनादेश मिला था, लेकिन हमने मौका गंवा दिया और ऐसा हमारे नेताओं की मूर्खता की वजह से हुआ है.'
कांग्रेस विधायकों की बैठक से नाराज होकर निकलने के बाद राणे ने कहा कि पार्टी को उन्हें हल्के में नहीं लेना चाहिए. उन्होंने कहा, 'मुझ पर समर्थक विधायकों का कोई न कोई ठोस कदम उठाने को लेकर जबर्दस्त दबाव है, लेकिन मैं केवल अपनी नेता सोनिया गांधी के कारण रुका हुआ हूं.'
जब उनसे पूछा गया कि क्या वह पार्टी छोड़ने के बारे में सोच रहे हैं, तो पांच बार मुख्यमंत्री रहे प्रतापसिंह राणे के पुत्र विश्वजीत ने कहा, 'मेरे दिमाग में कई विचार आ रहे हैं. कई बार मुझे लगता है कि मैं गलत पार्टी में हूं.'
अन्य असंतुष्ट विधायकों में से एक जेनिफर मोनसराटे ने पत्रकारों से कहा कि हमारे केंद्रीय नेताओं को बीजेपी नेता और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की तरह जोरदार प्रयास करने चाहिए थे. उन्होंने यह भी बताया कि कैसे पार्टी के हाथ से सरकार बनाने का आसान-सा मौका चला गया. गौरतलब है कि गडकरी ने गोवा पहुंचते ही अन्य दलों से बातचीत शुरू कर दी थी और देखते ही देखते बीजेपी के पक्ष में माहौल बना लिया.
गौरतलब है कि गोवा विधानसभा चुनावों में कांग्रेस 40 में से 17 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी है और खबरों के अनुसार उसे एक निर्दलीय का भी समर्थन हासिल था. संख्याबल पर नजर डालें तो कांग्रेस बहुमत के लिए आवश्यक 21 सीटों से महज तीन सीट पीछे थी. कांग्रेस की तुलना में बीजेपी के पास महज 13 सीटें थीं. ऐसे में कांग्रेस के लिए बहुमत जुटाना ज्यादा कठिन काम नहीं था, फिर भी उसकी ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए और बीजेपी को सरकार बनाने का आमंत्रण मिल गया.
पार्टी के शीर्ष नेतृत्व पर सवाल उठाने वाले प्रमुख नेताओं में से एक हैं विश्वजीत पी राणे, जो पिछली विधानसभा में विपक्ष के नेता रहे हैं. राणे को कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री के दावेदारों में से भी एक बताया जा रहा था.
राणे के निशाने पर कांग्रेस महासचिव और गोवा प्रभारी दिग्विजय सिंह हैं. वैसे सिंह ने बीजेपी पर विधायकों की खरीद-फरोख्त का आरोप भी लगाया है. सिंह ने ट्वीट किया था, 'जनबल पर धनबल जीत गया. मैं गोवा के लोगों से माफी मांगता हूं कि हम सरकार बनाने के लिए समर्थन नहीं जुटा सके.' पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम ने भी बीजेपी पर सवाल उठाया था.
राणे को लगता है कि कांग्रेस पार्टी के नेताओं को अपनी गलती स्वीकार करनी होगी. राणे ने NDTV से कहा, 'मेरी राय में यह पूरी तरह से हमारी लीडरशिप के कुप्रबंधन का नतीजा है.'
राणे ने जोर देते हुए कहा, 'चुनावों में कांग्रेस को सरकार बनाने के लिए जनादेश मिला था, लेकिन हमने मौका गंवा दिया और ऐसा हमारे नेताओं की मूर्खता की वजह से हुआ है.'
कांग्रेस विधायकों की बैठक से नाराज होकर निकलने के बाद राणे ने कहा कि पार्टी को उन्हें हल्के में नहीं लेना चाहिए. उन्होंने कहा, 'मुझ पर समर्थक विधायकों का कोई न कोई ठोस कदम उठाने को लेकर जबर्दस्त दबाव है, लेकिन मैं केवल अपनी नेता सोनिया गांधी के कारण रुका हुआ हूं.'
जब उनसे पूछा गया कि क्या वह पार्टी छोड़ने के बारे में सोच रहे हैं, तो पांच बार मुख्यमंत्री रहे प्रतापसिंह राणे के पुत्र विश्वजीत ने कहा, 'मेरे दिमाग में कई विचार आ रहे हैं. कई बार मुझे लगता है कि मैं गलत पार्टी में हूं.'
अन्य असंतुष्ट विधायकों में से एक जेनिफर मोनसराटे ने पत्रकारों से कहा कि हमारे केंद्रीय नेताओं को बीजेपी नेता और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की तरह जोरदार प्रयास करने चाहिए थे. उन्होंने यह भी बताया कि कैसे पार्टी के हाथ से सरकार बनाने का आसान-सा मौका चला गया. गौरतलब है कि गडकरी ने गोवा पहुंचते ही अन्य दलों से बातचीत शुरू कर दी थी और देखते ही देखते बीजेपी के पक्ष में माहौल बना लिया.
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