श्रीनगर:
जम्मू-कश्मीर के लोगों को हल्के में नहीं लेने के खिलाफ चेताते हुए राज्य के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने रविवार को केंद्र से कहा कि वह उनसे राजनीतिक तौर पर बातचीत करे।
उमर ने कहा ‘जाने अनजाने हमने राज्य में लोगों को यह अहसास कराया है कि जब संकट आता है, केवल तभी उनसे बातचीत की जाती है।’ मुख्यमंत्री ने उदाहरण दिया कि जब उग्रवाद चरम पर था तब अलगाववादियों से तथा वर्ष 2008 और 2010 में आंदोलनों के बाद आम लोगों से बातचीत की गई थी।
उमर चाहते हैं कि जब अनुकूल स्थिति हो तो लोगों से बातचीत की जाए। उन्होंने कहा कि राज्य के लोगों की दिलचस्पी शांति और स्थिति सामान्य करने में है।
जम्मू-कश्मीर में अपनी पार्टी नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस की गठबंधन सरकार की पिछले करीब साढ़े चार साल से अगुवाई कर रहे उमर ने प्रेस ट्रस्ट को दिए साक्षात्कार में कई मुद्दों पर बातचीत की।
43 वर्षीय उमर मानते हैं कि इन वषरें में कई बार वह तनाव से गुजरे और खुद से ही सवाल किया ‘मैं यहां कर क्या रहा हूं।’ लेकिन वह यह भी मानते हैं कि उनकी सरकार ने कई सकारात्मक कदम भी उठाए हैं।
नवंबर 2014 से पहले राज्य में विधानसभा चुनाव होने हैं और उमर के सामने विवादास्पद सशस्त्र बल विशेष अधिकार कानून (एएफएसपीए), उग्रवाद से जुड़ी घटनाएं तथा राज्य में शांतिपूर्ण स्थिति के लिए राज्य के लोगों के साथ राजनीतिक वार्ता करने में केंद्र की असफलता जैसे मुद्दे हैं।
उमर ने कहा कि कश्मीर के लोग नहीं चाहते कि उन्हें हल्के में लिया जाए। उन्होंने कहा ‘मुझे लगता है कि कई स्तर पर हमें हल्के तौर पर ले लिया जाता है।’
उमर ने कहा ‘जाने अनजाने हमने राज्य में लोगों को यह अहसास कराया है कि जब संकट आता है, केवल तभी उनसे बातचीत की जाती है।’ मुख्यमंत्री ने उदाहरण दिया कि जब उग्रवाद चरम पर था तब अलगाववादियों से तथा वर्ष 2008 और 2010 में आंदोलनों के बाद आम लोगों से बातचीत की गई थी।
उमर चाहते हैं कि जब अनुकूल स्थिति हो तो लोगों से बातचीत की जाए। उन्होंने कहा कि राज्य के लोगों की दिलचस्पी शांति और स्थिति सामान्य करने में है।
जम्मू-कश्मीर में अपनी पार्टी नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस की गठबंधन सरकार की पिछले करीब साढ़े चार साल से अगुवाई कर रहे उमर ने प्रेस ट्रस्ट को दिए साक्षात्कार में कई मुद्दों पर बातचीत की।
43 वर्षीय उमर मानते हैं कि इन वषरें में कई बार वह तनाव से गुजरे और खुद से ही सवाल किया ‘मैं यहां कर क्या रहा हूं।’ लेकिन वह यह भी मानते हैं कि उनकी सरकार ने कई सकारात्मक कदम भी उठाए हैं।
नवंबर 2014 से पहले राज्य में विधानसभा चुनाव होने हैं और उमर के सामने विवादास्पद सशस्त्र बल विशेष अधिकार कानून (एएफएसपीए), उग्रवाद से जुड़ी घटनाएं तथा राज्य में शांतिपूर्ण स्थिति के लिए राज्य के लोगों के साथ राजनीतिक वार्ता करने में केंद्र की असफलता जैसे मुद्दे हैं।
उमर ने कहा कि कश्मीर के लोग नहीं चाहते कि उन्हें हल्के में लिया जाए। उन्होंने कहा ‘मुझे लगता है कि कई स्तर पर हमें हल्के तौर पर ले लिया जाता है।’
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं
उमर अब्दुल्ला, कश्मीर, केंद्र सरकार, राजनीतिक बातचीत, Omar Abdullah, Political Talks, Centre Government, Kashmiri Residents