
- जस्टिस यशवंत वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में अंतरिम जांच पैनल की रिपोर्ट को चुनौती देते हुए उसकी निष्पक्षता पर सवाल उठाए हैं.
- उन्होंने तीन जजों की आंतरिक जांच कमेटी की रिपोर्ट को अमान्य करने की मांग की है.
- यशवंत वर्मा का आरोप है कि उन्हें बिना व्यक्तिगत सुनवाई के दोषी ठहराया गया और जांच पैनल ने निष्पक्ष प्रक्रिया का पालन नहीं किया.
आवास से जले नोट मिलने के मामले में जस्टिस यशवंत वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. सूत्रों के अनुसार उन्होंने अंतरिम जांच पैनल रिपोर्ट को चुनौती दी है. साथ ही जस्टिस वर्मा ने मांग की है कि सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की आंतरिक जांच कमेटी की रिपोर्ट को अमान्य करार दिया जाए.
सूत्रों के अनुसार जस्टिस जशवंत वर्मा ने तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना द्वारा प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को 8 मई को की गई सिफारिश को रद्द करने की भी मांग की है. जस्टिस वर्मा को हटाने का प्रस्ताव लाने की थी सिफारिश. ये याचिका संसद के मानसून सत्र से ठीक पहले दाखिल की गई है,
जस्टिस वर्मा ने अपनी दलील में कहा है कि उन्हें व्यक्तिगत सुनवाई का मौका दिए बिना ही दोषी ठहराया गया है. एक तीन सदस्यीय जांच पैनल पर आरोप लगाया है कि उसने उन्हें पूरी और निष्पक्ष सुनवाई का मौका दिए बिना ही प्रतिकूल निष्कर्ष निकाले.
एक कमेटी मूलभूत तथ्यों, खासकर 14 मार्च को प्रथम दृष्टया जांचकर्ताओं द्वारा देखे कथित कैश से संबंधित तथ्यों की जांच करने में विफल रही.जो दोषसिद्धि स्थापित करने के लिए आवश्यक होते. वर्मा ने कहा कि भले ही आउटहाउस में नकदी पाई गई हो, लेकिन स्वामित्व, प्रामाणिकता और अन्य सामग्री तथ्यों को स्थापित करने के लिए आगे की जांच जरूरी है.
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