
Ahmedabad Plane Crash: अहमदाबाद में एयर इंडिया का प्लेन क्रैश क्यों हुआ? टेक ऑफ के तुरंत बाद आखिर ऐसी क्या दिक्कत हुई कि विमान चंद सेकेंड में आग में गोले में बदल गया? इस हादसे की वजह विमान की तकनीकी खराबी थी या फिर कुछ और... अहमदाबाद विमान हादसे से जुड़ी सवालों की फेहरिस्त लंबी है. हर कोई इन सभी सवालों का जवाब जानना चाहता है. हालांकि आधिकारिक जवाब जांच के बाद सामने आएगा. जिसमें अभी समय लग सकता है. क्रैश साइट से ब्लैक बॉक्स मिल चुका है. जिसके बाद इस विमान के हादसे की जांच की रफ्तार तेज होगी.
इससे पहले शुक्रवार को NDTV ने एक्सपर्ट के हवाले से विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने की हर संभावित वजहों की तलाश की. विजुअल के जरिए यह बताया गया कि कैसे इस विमान के साथ क्या कुछ हुआ होगा? आइए समझने की कोशिश करते हैं कैसे क्या कुछ होगा.
ट्रेंड कॉमशियल पायलट पुष्कर सैलार ने विमान के उड़ान भरने की सभी तकनीकी पहलूओं को समझाया...
टेकऑफ से पहले क्या-क्या देखा जाता है, पायलट ने बताया
पायलट पुष्कर ने बताया कि टेकऑफ से पहले हम लोग चेकलिस्ट यूज करते है. इसमें सीरीज ऑफ आइटम होते है. फ्लैप्स विंग का एक पार्ट होता है. इसका स्विच कॉकपिट में पायलट के सामने होता है. इन सब को चेक करने के बाद हमे क्लियरेंस मिलता है तब टेक ऑफ किया शुरू जाता है. फ्लैप्स की सेटिंग वेदर पर भी डिपेंड करती है.
MAY DAY कॉल क्या है? इस कॉल के बाद एयर ट्रैफिक कंट्रोलर क्या मदद करता है?
पायलट पुष्कर ने बताया कि MAY DAY कॉल का मतलब है कि आप बहुत बड़ी इमरजेंसी सिचुएशन में है. विमान उड़ान के समय पायलट एयर ट्रैफिक कंट्रोलर के संपर्क में रहता है. कॉकपिट में MAY DAY कॉल का एक स्विच होता है. इस स्विच को दबाते ही हम रेडियो फ्रिक्वेंसी के जरिए एयर ट्रैफिक कंट्रोलर को बताते है कि हम किस तरह की इमरजेंसी में है. हमें क्या मदद चाहिए? MAY DAY कॉल मिलते ही एयर ट्रैफिक कंट्रोलर उड़ान भर रहे सभी दूसरे एयरक्रॉप्ट को डायवर्ट कर देता है. MAY DAY कॉल वाले विमान को हाई प्रायोरिटी में लेता है.
कॉकपिट में मौजूद स्क्रीन का क्या काम होता है, पायलट ने बताया?
कॉकपिट में मौजूद जितने भी स्क्रीन होते हैं, उस पर प्लेन से जुड़ी हर एक जानकारी पायलट और को-पायलट को मिलती है. सभी तरह की वॉर्निग भी इसी स्क्रीन पर होती है. हर एक इमरजेंसी सिचुएशन के लिए अलग-अलग चेकलिस्ट बनी होती है. जो अलग-अलग स्थितियों में पायलट को फॉलो करना होता है.
अहमदाबाद में क्रैश हुए एयर इंडिया के विमान के साथ क्या हुआ होगा?
पायलट पुष्कर ने बताया कि मुझे लगता है कि इस विमान के पायलट ने भी वो सभी चीजें की होगी. लेकिन शायद उन्हें पर्याप्त समय नहीं मिला होगा. मालूम हो कि प्लेन हादसे से जुड़ा जो CCTV वीडियो सामने आया है, उसमें साफ दिख रहा कि मात्र उड़ान भरने के मात्र 50 सेकेंड बाद ही प्लेन क्रैश कर जाता है.

बोइंग 787 का कॉकपिट कैसा दिखता है...
बोइंग 787 ड्रीमलाइनर को सबसे अत्याधुनिक विमान माना जाता है. 2011 में यह एयरक्रॉप्ट लॉन्च हुआ था. दुनिया भर में यात्री विमानों में बोइंग 787 का यूज होता है. भारत में 33 बोइंग 787 है. जिसमें से 30 तो एयर इंडिया के पास मौजूद है. कॉकपिट में बैठे पायलट को 270 डिग्री का व्यू देखने को मिलता है. सिर्फ पीछे का 90 डिग्री पार्ट वो देख नहीं पाते.
क्रैश के बाद ब्लैक बॉक्स की तलाश इतनी शिद्दत से क्यों होती है, इसका मिलना कितना जरूरी?
मालूम हो कि अहमदाबाद क्रैश हुए एयर इंडिया विमान का ब्लैक बॉक्स मिल चुका है. यह बीजे मेडिकल कॉलेज की बिल्डिंग की छत पर मिला है. ब्लैक बॉक्स अमूमन ऑरेंज रंग का होता है. कॉकपिट में पायलट, को-पायलट के बीच की बातचीत, एयर ट्रैफिक कंट्रोलर से बातचीत का पूरी रिकॉर्डिंग होती है. साथ ही उस दौरान कॉकपिट में क्या कुछ हुआ होगा कि उसकी सीसीटीवी फुटेज भी होती है.
आग-पानी सब में सुरक्षित, ब्लैक बॉक्स की खासियतें जानिए
ब्लैक बॉक्स मजबूत धातू टाइटेनियम से बना होता है. यह आग-पानी सब में सुक्षित होता है. गहरे पानी में 30 दिन तक यह सुरक्षित रह सकता है. 1100 डिग्री तापमान में भी यह सुरक्षित रहता है. इसे तलाशने में समय जरूर लगता है. लेकिन एक बार इसे मिलने के बाद प्लेन की रफ्तार, ऊंचाई, फ्लाइट रूट की जानकारी, पायलट की बातचीत उनके द्वारा लिए गए फैसले की भी जानकारी होती है.
बोइंग 787 विमान के फीचर्स, 15 साल में पहली बार क्रैश
बोइंग के 787 विमान के 15 साल के इतिहास में यह पहला क्रैश है. ये मिड-साइज, ट्विन-इंजन, वाइड-बॉडी जेट है, जो लंबी दूरी की उड़ानों के लिए डिजाइन किया गया है. ये एक बार में 14,000 किमी तक उड़ सकता है. ये 200-250 यात्रियों को ले जा सकता है और करीब 14,000 किमी तक उड़ सकता है. यानी दिल्ली से न्यूयॉर्क या टोक्यो जैसे लंबे रूट्स आसानी से कवर कर सकता है.
अहमदाबाद प्लेन क्रैश: विमान में के किस हिस्से में होता है ब्लैक बॉक्स, जानिए पूर्व पायलट कैप्टन राकेश राय से #AhmedabadPlaneCrash | #AirIndiaFlightCrash | #GujaratPlaneCrash | #BlackBox | @DeoSikta | @awasthis pic.twitter.com/JPpGwjjDG9
— NDTV India (@ndtvindia) June 13, 2025
अहमदाबाद प्लेन क्रैश: एविएशन एक्सपर्ट ने बताया आखिरी लम्हों मे क्या हुआ होगा?
एयर इंडिया के रिटायर कैप्टन राकेश राय पिछले साल ही रिटायर हुए है. कैप्टन राकेश राय पिछले साल तक बोइंग 787 ड्रीमलाइनर उड़ा रहे थे. उन्होंने कॉकपिट की कहानी के साथ-साथ इस हादसे पर भी बात की. राकेश राय ने बताया कि बाए तरफ की सीट पर पायलट बैठते हैं, जिनको पायलट इन कमांड बोलते है. दाहिने तरफ की सीट पर को-पायलट बैठते है. इन दोनों की ड्यूटी अलग-अलग होती है. उन्होंने यह बताया कि पायलट फ्लाइंग और पायलट मॉनिटरिंग का काम समझना जरूरी है.
कॉकपिट के योक का काम कार की स्टेयरिंग जैसा
कॉकपिट का कुछ पार्ट पायलट फ्लाइंग मॉनिटर करता है जबकि कुछ पार्ट पायलट फ्लाइंग मॉनिटर करता है. कॉकपिट में काले रंग का योक कार की स्टेयरिंग जैसा होता है. इसका काम भी अमूमन वहीं होता है. टेकऑफ के साथ-साथ लैडिंग तक की सारी मॉनटरिंग और स्पीड का कंट्रोल इसी से होता है.
600 फीट की ऊंचाई पर जाने के बाद प्लेन के साथ कुछ हुआ होगा
एयर इंडिया के प्लेन क्रैश का CCTV वीडियो दिखाते हुए रिटायर कैप्टन राकेश राय ने कहा कि टेकऑफ रॉल को देखकर लगता है कि यह एक नॉर्मल टेकऑफ है. सीसीटीवी वीडियो देखकर लगता है कि कोई तकनीकी दिक्कत नहीं थी. जब तक जहाज ऊपर जाता नजर आ रहा है तब तक कोई खराबी नजर नहीं आती. जो कुछ भी हुआ है, वो 600 फीट की ऊंचाई तक जाने के बाद ही हुआ है. जहाज नीचे आने लगा है.
रिटायर कैप्टन राकेश राय ने विमान हादसे से जुड़े कारणों को बताया
रिटायर कैप्टन राकेश राय ने आगे कहा कि इस हादसे में प्रश्न यह है कि जहाज के जो अंडर कैजुअल चक्के है, वो हमेशा नीचे रहे है. इसे समझाते हुए उन्होंने बताया, "टेकऑफ रोल पर एक स्पीड होती है, जिसे हम लोग VR बोलते है. (Velocity Rotation) यह वो स्पीड है, जिस स्पीड पर हम जहाज के नोज को ऊपर उठाने की कोशिश करते है."
पॉजिटिव रेट और गियर अप क्या होता है
उन्होंने आगे बताया कि जैसे ही हम नोज को ऊपर ले जाने की कोशिश करते हैं पायलट मॉनिटरिंग एक कॉल देता है- पॉजिटिव रेट. मतलब कि हम ऊपर उठ रहे हैं. फिर पायलट फ्लाइंग भी इसे चेक करता है और कहता है- गियर अप. यह सारी चीजें 50 फीट की ऊंचाई तक जाते-जाते हो जाता है. लेकिन इस विमान का अंडर कैरेज 600 फीट तक नीचे रहा है. यह एक प्रश्न है. ऐसा क्यों हुआ होगा.
कैप्टन राकेश राय ने हादसे से जुड़ी दो बड़ी आशंकाएं क्या जताई
अंडर कैरेज के नीचे रहने के संभावित कारणों पर रिटायर कैप्टन राकेश राय ने बताया कि इसके कई कारण हो सकते है.या तो कोई बर्ड हिट हुआ है. जिसके बाद लस्ट ऑफ थ्रस्ट हुआ है. और उस कंफ्यूजन में ये गियर ऊपर करना भूल गए हो. एक संभावना यह है.
उस केस में जब तक ये रियललाइज करेंगे कि गियर मेरा ऊपर नहीं गया है और इंजन फेल कर गया है तब उस केस में एयरक्रॉफ्ट उड़ नहीं सकेगा. वो धीरे-धीरे फिर नीचे आने लगेगा. जो इस तस्वीर में दिख रहा है. क्योंकि लैंडिंग गियर स्पीड ब्रेक का भी करता है.
दूसरी संभावना यह भी हो सकती है कि जो पायलट मॉनिटरिंग है, उसने गलती से अंडर कैरेज ऊपर करने के बदले फ्लेप्स ऊपर कर दिया होगा. रिटायर कैप्टन राकेश राय ने कहा कि यह ह्यूमन एरर की थ्योरी है. उन्होंने यह भी कहा कि मैं यह नहीं कह रहा कि यही हुआ होगा. यह हो सकता है, इसकी थ्योरी है. उन्होंने यह भी बताया कि फ्लेप ऊपर करने के बाद सडेन लॉस ऑफ थ्रस्ट होगा.
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