
Ahmedabad Plane Crash: 12 जून को अहमदाबाद में हुए विमान हादसे में 265 लोगों की जान गई. इसमें 241 लोग वो थे, जो एयर इंडिया की लंदन जा रही विमान में सवार थे. इस विमान में क्रू मेंबर सहित कुल 242 लोग सवार थे. सौभाग्य से विंडो सीट पर बैठा एक शख्स इस भयंकर हादसे में जीवित बचा. अहमदाबाद में हुए विमान हादसे के बाद हवाई यात्रा कितनी सुरक्षित (How safe is Air travel) इस पर चर्चा होने लगी है. इस हादसे के बाद से सोशल मीडिया पर कई लोगों ने हवाई यात्रा को लेकर अपने डर को भी जाहिर किया. कुछ लोगों ने कहा कि वो यात्रा के दौरान हनुमान चालीसा का पाठ करते रहे तो कुछ लोगों ने फ्लाइट लैंड करने के बाद LANDED SAFELY जैसे पोस्ट किए. जाहिर है जान की फ्रिक हर किसी को होती ही है.
लेकिन अहमदाबाद प्लेन क्रैश के बीच यह समझना जरूरी है कि हवाई यात्रा कितनी सुरक्षित है? 2024 में दुनिया भर में हवाई यात्रा करने वालों की संख्या 475 करोड़ से अधिक थी. इस साल ये आंकड़ा 5 अरब से अधिक होने की उम्मीद है. आइये आंकड़ों के जरिए जानते हैं कि हवाई यात्रा कितनी सुरक्षित है.
2014 में सबसे अधिक 904 लोगों की मौत
ये आंकड़े संयुक्त राष्ट्र से जुड़ी संस्था इंटरनेशलन सिविल एविएशन ऑर्गनाइजेशन के हैं. 2005 में 824 लोगों ने विमान हादसों में जान गंवाई. 2008 में मरने वालों का आंकड़ा घटकर 524 हो गया. 2013 में मरने वालों की संख्या घटकर 173 हो गई लेकिन अगले साल यानि कि 2014 विमान हादसों के लिए काला साबित हुआ. इस साल 904 लोगों ने अपनी जान गंवाई.
2020 में 298 लोगों ने अपनी जान गंवाई. 2023 में 72 लोगों की जान विमान हादसे में गई. साफ है कि विमान हादसे में मरने वालों की संख्या में समय के साथ काफी कमी आई है.
कमर्शियल प्लेन से जुड़े एक्सीडेंट, पिछले 20 साल का आंकड़ा
एविएशन इंडस्ट्री का लक्ष्य है कि विमान हादसों में किसी की भी मौत ना हो. ये लक्ष्य इंडस्ट्री 2030 तक हासिल करना चाहती है. दुनिया भर में कुल कितने कमर्शियल प्लेन से जुड़े एक्सीडेंट हुए उसका पिछले 20 सालों का आंकड़ा समझने की कोशिश करते हैं.

2005 में 119 विमान हादसे हुए, 2008 में संख्या बढ़कर 138 हो गई, 2012 में ये 100 से नीचे आ गई. 2016 में विमान हादसों की संख्या घटकर 75 हो गई , 2023 में कुल 66 विमान दुर्घटना हुई. यानि कि समय के साथ विमान दुर्घटना की संख्या में कमी आई है.
अब जरा एक्सीडेंट रेट के आंकड़ों को समझने की कोशिश करते हैं
हादसों की दर यानि कि प्रति 10 लाख उड़ान पर होने वाली दुर्घटनाओं की संख्या कितनी रही. 2005 में ये दर 4.4 थी जो 2010 में घटकर 4.2 हो गई. 2015 में ये आंकड़ा घटकर 2.8 हो गया, 2020 में हादसे की दर घटकर 2.1 हो गई. 2023 में ये आंकड़ा 1.9 हो गया . साफ दिखता है कि पिछले 20 सालों में हादसों में कमी आई है.

आंकड़ों के जरिए समझते हैं कि जानलेवा विमान हादसे फ्लाइट के किस फेज में होते हैं? ये विश्लेषण बोइंग कंपनी ने 2015 से 2024 के आंकड़ों के आधार पर किया है
लैंडिंग-टेकऑफ या हवा में, कब होते हैं हवाई हादसे?
- आधे जानलेवा हादसे लैंडिंग-टेकऑफ के वक्त होते हैं.
- 37 फीसदी जानलेवा हादसे लैंडिंग के समय हुए.
- टेकऑफ करते हुए 13 फीसदी जानलेवा हादसे.
- लैंडिंग के लिए फाइनल अप्रोच करते समय 10 फीसदी हादसे.
- विमान जब उड़ान की शुरुआत के बाद ऊंचाई पकड़ता है और फ्लैप्स बंद करता है, ये समय भी जानलेवा हादसों के लिए 10 फीसदी जिम्मेदार है.
- समतल उड़ान के समय भी 10 फीसदी हादसे
- टैक्सी , लोड/अनलोड , पार्किंग , टो करते समय भी 10 फीसदी जानलेवा हादसे होते हैं.
- प्रारंभिक चढ़ान के समय 7 फीसदी जानलेवा हादसे हुए.
- नीचे उतरते समय ( जब विमान लैंडिंग के लिए ऊंचाई कम करता है ) 3 फीसदी जानलेवा हादसे हुए.
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