डीआरडीओ एक बार फिर विवाद में आ गया है क्योंकि परमाणु आयुध ले जाने में सक्षम ‘अग्नि-5’ मिसाइल कार्यक्रम के परियोजना निदेशक आरके गुप्ता को वहां से हटा दिया गया है जिसके बाद उन्होंने रक्षा मंत्रालय से शिकायत कर निशाना बनाए जाने का आरोप लगाया है।
डीआरडीओ सूत्रों ने इस तबादले को ‘नियमित’ प्रक्रिया बताया है जबकि अधिकारी ने आरोप लगाया है कि उन्हें संगठन के दो वरिष्ठ अधिकारियों ने चुनिंदा तरीके से निशाना बनाया है। उन अधिकारियों में पूर्व प्रमुख अविनाश चंदर भी शामिल हैं जिनका सेवाकाल 31 जनवरी को समाप्त हो गया।
अंतर महाद्वीपीय मिसाइल का 31 जनवरी को सफल परीक्षण किए जाने के कुछ ही दिन बाद यह घटना हुई है। गुप्ता ने मंत्रालय से शिकायत की है कि उन्हें 9 जनवरी की तारीख वाला एक पत्र 2 फरवरी को उस वक्त मिला जब वह मिसाइल के सफल परीक्षण के बाद अपने कार्यालय पहुंचे।
उन्होंने डीआरडीओ का अतिरिक्त प्रभार रखने वाले रक्षा सचिव आरके माथुर को लिखे पत्र में कहा है, 'बड़ी ही विनम्रता और आदर के साथ, मैं आपके संज्ञान में लाना चाहता हूं कि दो फरवरी को मुझे अग्नि-5 के परियोजना निदेशक के पद से अलग कर दिया गया। मैं स्तब्ध हूं कि इस तरह का बुरा सलूक एक ऐसे वरिष्ठ अधिकारी के साथ किया गया जिसका पूरे सेवा काल में एक बेहतरीन रिकॉर्ड रहा है।'
दिलचस्प बात यह है कि कार्यकाल पूरा होने से 15 महीने पहले अचानक ही चंदर का अनुंबध सरकार द्वारा खत्म किए जाने के सिलसिले में गुप्ता का नाम सामने आया था। उस वक्त यह अफवाह उड़ी थी कि चंदर को हटाए जाने का कारण अलग-अलग लोगों द्वारा की गई तीन शिकायतें हैं जिनमें गुप्ता भी शामिल हैं। हालांकि उन्होंने इस तरह का कोई कार्य करने से इनकार किया था।
डीआरडीओ सूत्रों ने जोर देते हुए कहा है कि ऐसे तबादले नियमित प्रक्रिया होती है, जब कोई परियोजना अलग चरण में पहुंच जाती है। एक सूत्र ने बताया, 'अग्नि-5 अब विकास के चरण में नहीं है। यह उत्पादन और शामिल करने के चरण में है तथा इस तरह तबादला एक नियमित प्रक्रिया है चूंकि किसी अधिकारी की सेवाएं कहीं और ली जा सकेंगी।'
उत्पादन कार्य की देखरेख के लिए एक नया व्यक्ति लाने की भी बात कही गई।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं