सतनाम सिंह से बात करती हुईं एनडीटीवी की बरखा दत्त
कोहलियां (पंजाब):
भारत-पाकिस्तान सीमा से सटे एक दूरदराज इलाके में बसे कोहलियां गांव में आज फौजी पहरे पर तैनात हैं। यही वह जगह है, जहां 31 दिसंबर की रात को उन आतंकवादियों ने अपना पहला शिकार किया था, जिन्होंने अगले दिन पठानकोट एयरफोर्स बेस पर घातक और खतरनाक हमला किया।
टैक्सी ड्राइवर इकागर सिंह को कुछ हथियारबंद लोगों ने रात को रोका। जब उन्होंने इकागर की कार कब्जाने की कोशिश की तो उसने विरोध किया, और पाकिस्तान से आए माने जा रहे उन आतंकवादियों ने इकागर का गला रेत दिया, और उसके शव को सड़क पर फेंककर चले गए। हालांकि वे इकागर की टैक्सी में बहुत दूर नहीं जा सके, क्योंकि उसका एक टायर फट गया।
इकागर सिंह के भाई हवलदार सतनाम सिंह ने एनडीटीवी से बात करते हुए कहा कि, वह सब रिपोर्ट बिल्कुल निराधार हैं जो यह कह रही हैं कि टैक्सी ड्राइवर को सीमा पार पाकिस्तान से फोन कॉल आया था जिसके बाद उसने अपने टैक्सी आतंकियों को उपलब्ध कराई। आरोप तो यह भी लगा कि सीमा पार से हो रहे ड्रग्स के धंधे में यह गाड़ी चालक संभावित तौर पर लिप्त रहा होगा। सतनाम सिंह का कहना है कि उसके भाई को बदनाम किया जा रहा है। सतनाम का कहना है कि जिस पुलिसवाले ने आतंकियों के सामने घुटने टेक दिए उसकी सराहना हो रही है, जबकि जिस टैक्सी ड्राइवर ने आतंकियों से लोहा लिया और मारा गया उसकी बदनामी की जा रही है।
इसी के बाद फौजी वर्दी पहने हुए एके-47 राइफलों से लैस इन आतंकवादियों ने उनकी तरफ आ रही एक एसयूवी को रोका। नीली बत्ती लगी यह महिन्द्रा एक्सयूवी दरअसल पुलिस की गाड़ी थी, और उसमें एक मंदिर से लौट रहे पुलिस सुपरिन्टेंडेंट सलविंदर सिंह, उनका रसोइया और उनका एक जौहरी दोस्त राजेश वर्मा सवार थे। सलविंदर सिंह ने NDTV को बताया, "हमने सोचा, वह पुलिस बैरिकेड है.... लेकिन चार-पांच लोग हमारी गाड़ी में घुस आए और मेरी एसयूवी को अगवा कर लिया... उन्होंने लाइट भी बंद कर दी..."
एसपी सलविंदर सिंह के मुताबिक, "उन्होंने हमें गोली मार देने की धमकी दी... हमारी आंखों पर पट्टी बांध दी गई, मुंह बंद कर दिया गया, और हमें बांध दिया गया था..." इसके बाद आतंकवादियों ने उन लोगों से दो फोन भी ले लिए थे, जबकि एक फोन को सलविंदर सिंह ने छिपा लिया था। इसके बाद आतंकवादियों ने एसपी ओर रसोइये को छोड़ दिया, और जौहरी को साथ लेकर चले गए। बाद में उन्होंने राजेश वर्मा का भी गला रेतकर सड़क पर फेंक दिया, लेकिन वह बच गया।
इसके बाद पुलिस के जिस साथी को एसपी ने फोन कर वारदात की जानकारी दी, उसने उसे हथियारबंद लूट की वारदात मानकर कार्रवाई की, जो बहुत महंगी गलती साबित हुई, और उसी के बाद पठानकोट एयरफोर्स बेस पर हमला हुआ, और सात जवान शहीद हुए। कई घंटे तक कोई अलर्ट नहीं भेजा गया, और तब तक आतंकवादी जांचकर्ताओं के मुताबिक संभवत: दो गुटों में एयरफोर्स बेस में घुसने में कामयाब हो गए।
टैक्सी ड्राइवर इकागर सिंह को कुछ हथियारबंद लोगों ने रात को रोका। जब उन्होंने इकागर की कार कब्जाने की कोशिश की तो उसने विरोध किया, और पाकिस्तान से आए माने जा रहे उन आतंकवादियों ने इकागर का गला रेत दिया, और उसके शव को सड़क पर फेंककर चले गए। हालांकि वे इकागर की टैक्सी में बहुत दूर नहीं जा सके, क्योंकि उसका एक टायर फट गया।
इकागर सिंह के भाई हवलदार सतनाम सिंह ने एनडीटीवी से बात करते हुए कहा कि, वह सब रिपोर्ट बिल्कुल निराधार हैं जो यह कह रही हैं कि टैक्सी ड्राइवर को सीमा पार पाकिस्तान से फोन कॉल आया था जिसके बाद उसने अपने टैक्सी आतंकियों को उपलब्ध कराई। आरोप तो यह भी लगा कि सीमा पार से हो रहे ड्रग्स के धंधे में यह गाड़ी चालक संभावित तौर पर लिप्त रहा होगा। सतनाम सिंह का कहना है कि उसके भाई को बदनाम किया जा रहा है। सतनाम का कहना है कि जिस पुलिसवाले ने आतंकियों के सामने घुटने टेक दिए उसकी सराहना हो रही है, जबकि जिस टैक्सी ड्राइवर ने आतंकियों से लोहा लिया और मारा गया उसकी बदनामी की जा रही है।
इसी के बाद फौजी वर्दी पहने हुए एके-47 राइफलों से लैस इन आतंकवादियों ने उनकी तरफ आ रही एक एसयूवी को रोका। नीली बत्ती लगी यह महिन्द्रा एक्सयूवी दरअसल पुलिस की गाड़ी थी, और उसमें एक मंदिर से लौट रहे पुलिस सुपरिन्टेंडेंट सलविंदर सिंह, उनका रसोइया और उनका एक जौहरी दोस्त राजेश वर्मा सवार थे। सलविंदर सिंह ने NDTV को बताया, "हमने सोचा, वह पुलिस बैरिकेड है.... लेकिन चार-पांच लोग हमारी गाड़ी में घुस आए और मेरी एसयूवी को अगवा कर लिया... उन्होंने लाइट भी बंद कर दी..."
एसपी सलविंदर सिंह के मुताबिक, "उन्होंने हमें गोली मार देने की धमकी दी... हमारी आंखों पर पट्टी बांध दी गई, मुंह बंद कर दिया गया, और हमें बांध दिया गया था..." इसके बाद आतंकवादियों ने उन लोगों से दो फोन भी ले लिए थे, जबकि एक फोन को सलविंदर सिंह ने छिपा लिया था। इसके बाद आतंकवादियों ने एसपी ओर रसोइये को छोड़ दिया, और जौहरी को साथ लेकर चले गए। बाद में उन्होंने राजेश वर्मा का भी गला रेतकर सड़क पर फेंक दिया, लेकिन वह बच गया।
इसके बाद पुलिस के जिस साथी को एसपी ने फोन कर वारदात की जानकारी दी, उसने उसे हथियारबंद लूट की वारदात मानकर कार्रवाई की, जो बहुत महंगी गलती साबित हुई, और उसी के बाद पठानकोट एयरफोर्स बेस पर हमला हुआ, और सात जवान शहीद हुए। कई घंटे तक कोई अलर्ट नहीं भेजा गया, और तब तक आतंकवादी जांचकर्ताओं के मुताबिक संभवत: दो गुटों में एयरफोर्स बेस में घुसने में कामयाब हो गए।
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