कानपुर:
इंदौर-पटना एक्सप्रेस ट्रेन में बीती रात दीपिका त्रिपाठी अपने 45 रिश्तेदारों के साथ सफर कर रही थी. कुछ घंटे पहले उनकी नींद लगी थी कि अचानक आधी रात को उन्हें एक ज़ोर के झटका लगा जिसके बाद वह अंधेरे से घिर गईं. थोड़ी ही देर बाद उन्हें एहसास हुआ कि उनका कोच आधा हवा में लटका हुआ है. दीपिका और उसके माता पिता जो दूसरे कोच में थे इस दुर्घटना में बाल बाल बचे. मीडिया से बात करते हुए दीपिका बताती हैं 'मैं जैसे तैसे करके कोच से बाहर निकली और तब मुझे पता चला कि आखिर हुआ क्या है. हमें हमारे पांच रिश्तेदार नहीं मिल रहे हैं.'
पढ़ें कानपुर ट्रेन हादसे से जुड़ी अहम खबर
बता दें कि पश्चिमी उत्तरप्रदेश में रफ्तार से जा रही इंदौर-पटना एक्सप्रेस ट्रेन के 14 कोच ट्रैक से उतर गए जिसमें 90 से ज्यादा लोग हमेशा के लिए नींद के आगोश में चले गए. 150 से ज्यादा लोग इस हादसे में घायल हुए हैं. हालांकि मृतकों की संख्या के बढ़ने का आशंका है और सर्वाधिक दुर्घटनाग्रस्त हुए कोचों में लोगों के बचने की संभावना कम होती जा रही है.
ये हैं हेल्पलाइन नंबर
करीब 60 साल के बिंद कुमार त्रिपाठी भी इस हादसे में बाल बाल बचे हैं. यह बताते हुए उनका गला भर आता है कि 'मेरे दोस्त पहली और दूसरी कोच में थे. वह बुरी तरह घायल हुए हैं. भगवान ने मुझे बचा लिया.' सुबह सुबह जब राहत दल मौके पर पहुंचा तब तक लगभग पूरी ट्रेन ट्रैक से उतर चुकी थी और सारे कोच बिखर चुके थे. सामान भी इधर उधर बिखर चुका था.
मुआवज़ें का ऐलान
पीएम मोदी ने इस हादसे में हुई मौतों पर वह अपने दर्द को शब्दों में बयां नहीं कर सकते. उन्होंने दुर्घटना में मारे गए लोगों के परिजन को दो दो लाख रुपये और गंभीर रूप से घायल हुए लोगों को पचास पचास हजार रुपये की अनुग्रह राशि देने का ऐलान किया. रेल मंत्री ने जांच के आदेश दे दिए हैं. मृतकों के परिवार और घायलों को केंद्र सरकार और राज्य सरकारों द्वारा अलग अलग मुआवज़े का ऐलान किया गया. कुल मिलाकर मृतकों के परिवार को अभी तक 12.5 लाख के मुआवज़े दिए जाने की बात कही गई है.
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बता दें कि पश्चिमी उत्तरप्रदेश में रफ्तार से जा रही इंदौर-पटना एक्सप्रेस ट्रेन के 14 कोच ट्रैक से उतर गए जिसमें 90 से ज्यादा लोग हमेशा के लिए नींद के आगोश में चले गए. 150 से ज्यादा लोग इस हादसे में घायल हुए हैं. हालांकि मृतकों की संख्या के बढ़ने का आशंका है और सर्वाधिक दुर्घटनाग्रस्त हुए कोचों में लोगों के बचने की संभावना कम होती जा रही है.
ये हैं हेल्पलाइन नंबर
करीब 60 साल के बिंद कुमार त्रिपाठी भी इस हादसे में बाल बाल बचे हैं. यह बताते हुए उनका गला भर आता है कि 'मेरे दोस्त पहली और दूसरी कोच में थे. वह बुरी तरह घायल हुए हैं. भगवान ने मुझे बचा लिया.' सुबह सुबह जब राहत दल मौके पर पहुंचा तब तक लगभग पूरी ट्रेन ट्रैक से उतर चुकी थी और सारे कोच बिखर चुके थे. सामान भी इधर उधर बिखर चुका था.
मुआवज़ें का ऐलान
पीएम मोदी ने इस हादसे में हुई मौतों पर वह अपने दर्द को शब्दों में बयां नहीं कर सकते. उन्होंने दुर्घटना में मारे गए लोगों के परिजन को दो दो लाख रुपये और गंभीर रूप से घायल हुए लोगों को पचास पचास हजार रुपये की अनुग्रह राशि देने का ऐलान किया. रेल मंत्री ने जांच के आदेश दे दिए हैं. मृतकों के परिवार और घायलों को केंद्र सरकार और राज्य सरकारों द्वारा अलग अलग मुआवज़े का ऐलान किया गया. कुल मिलाकर मृतकों के परिवार को अभी तक 12.5 लाख के मुआवज़े दिए जाने की बात कही गई है.
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