नागरिकता कानून के खिलाफ यूपी में हुए प्रदर्शन के दौरान यूपी पुलिस ने बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया था. साथ ही पुलिस ने दंगा करने की धाराओं के तहत कई लोगों पर मामला भी दर्ज किया. लेकिन अब यूपी पुलिस के इस कदम की आलोचना हो रही है. ऐसा इसलिए क्योंकि यूपी पुलिस पर जानबूझकर बेगुनाहों को जेल में डालने का आरोप लग रहा है. इस मामले में गुरुवार को कोर्ट में सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने बिजनौर में गिरफ्तार 83 लोगों में से 48 को जमानत दे दी. साथ ही कोर्ट ने पुलिस को फटकार भी लगाई. कोर्ट की फटकार के बाद पुलिस को रामपुर में 26 लोगों पर से हत्या का केस वापस लेना पड़ा. वहीं, मुजफ्फरनगर में सबूत न होने पर पुलिस ने आठ लोगों को जेल से बाहर निकलवाया और बहराइज में दो ऐसे लोगों पर हत्या के प्रयास को लेकर मामला दर्ज किया गया था जो घटना के समय सऊदी अरब में थे.
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यूपी पुलिस ने ऐसा ही कुछ 22 साल के अनस के साथ भी किया जो बीटेक में तीसरे सेमेस्टर का इम्तेहान दे रहा था. उसके पिता कहते हैं कि मस्जिद से जुमे की नमाज पढ़ के निकला ही था कि देखा कि प्रदर्शनकारियों की धरपकड़ हो रही है. पुलिस उसे भी पकड़ ले गई, मारा और हत्या के प्रयास समेत 14 संगीन धाराओं में जेल भेज दिया. कोर्ट ने जमानत देते हुए अपने आदेश में लिखा कि अभियोजन ने निजी गाड़ियों और दुकान में तोड़फोड़ के कोई सबूत नहीं दिए, ना ही ऐसी गाड़ियों या दुकानों को कोई ब्योरा. 13 पुलिस वालों के घायल होने का दावा है लेकिन मेडिकल रिपोर्ट में सबको मामूली चोटें हैं. सिर्फ एक को मामूली काटने की चोट है.
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बाकी के जिस्म पर नील पड़ने जैसे निशान बताए गए हैं. भीड़ के पुलिस पर फायरिंग का जिक्र है लेकिन कोई घायल नहीं हुआ और ना ही पुलिस असलहा पेश कर पाई. ऐसे ही बुलंदशहर में अदालत ने कल 13 लोगों को जमानत दी जिनके खिलाफ पुलिस एक भी सबूत नहीं पेश कर सकी. पुलिस ने प्रदर्शन वाली जगह से 8 किलोमीटर दूर एक मुस्लिम आबादी वाले गांव से इन्हें पकड़ कर जेल भेज दिया था. सीसीटीवी फुटेज समेत कहीं भी इनकी मौजूदगी नहीं पाई गई. रामपुर में 21 दिसंबर को प्रदर्शन में एक शख्स की मौत हुई जिसे एक गोली लगी.
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करीब 125 लोगों पर हत्या का मुकदमा कायम हुआ, यानी एक हत्या में 125 लोग शामिल थे. 34 लोगों को जेल भेजा गया. अब उनमें से 26 लोगों पर से हत्या का इल्जाम वापस लिया गया. मुजफ्फरनगर में 8 लोगों को सीआरपीसी की दफा 169 इस्तेमाल कर पुलिस ने जेल से निकाला क्योंकि उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं थे. बहराइच में ऐसे दो लोगों पर हत्या के प्रयास समेत तमाम दफाओं में एफआईआर हुई जो उस वक्त उमरा करने मक्का में थे.
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