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This Article is From May 24, 2018

दो सांसदों ने की IIM रोहतक के डायरेक्टर की नियुक्ति में गड़बड़ी की शिकायत, जावड़ेकर को लिखी चिट्ठी

आरटीआई कार्यकर्ता का दावा- डायरेक्टर नियुक्त किए गए प्रोफेसर धीरज शर्मा के बायोडाटा से कहीं भी उनके ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन में फर्स्ट क्लास का पता नहीं चलता

दो सांसदों ने की IIM रोहतक के डायरेक्टर की नियुक्ति में गड़बड़ी की शिकायत, जावड़ेकर को लिखी चिट्ठी
भारतीय प्रबंधन संस्थान रोहतक.
नई दिल्ली: क्या आईआईएम रोहतक के निदेशक की नियुक्ति प्रक्रिया में नियमों की अनदेखी हुई? कम से कम दो सांसदों और सूचना अधिकार के लिए काम कर रही दिल्ली स्थित संस्था एनसीपीआरआई के एक सदस्य ने राष्ट्रपति और मानव संसाधन विकास मंत्री को चिट्ठी लिखकर नियुक्ति में गड़बड़ी की शिकायत की है.

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट यानी आईआईएम रोहतक के निदेशक पद पर हुई नियुक्ति में गड़बड़ी की शिकायत की गई है. दो सांसदों ने मानव संसाधन विकास मंत्री को चिट्ठी लिखी है और एक आरटीआई कार्यकर्ता की राष्ट्रपति से शिकायत की है. एनडीटीवी इंडिया के पास इन चिट्ठियों की कॉपी है जिसमें आईआईएम रोहतक के निदेशक पद पर हुई नियुक्ति की पूरी प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए जांच की मांग की गई है.

पिछले साल IIM रोहतक में निदेशक के पद पर प्रोफेसर धीरज शर्मा को नियुक्त किया गया. तृणमूल कांग्रेस के लोकसभा सांसद सौगत रॉय ने इस बारे में मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को पत्र लिखा है. उन्होंने लिखा है कि ''मैं इस पत्र के साथ कुछ दस्तावेज़ संलग्न कर रहा हूं जो आईआईएम रोहतक में निदेशक की नियुक्ति में गड़बड़ी के बारे में हैं. शिकायत वास्तव में गंभीर है. इस मामले के जल्दी उचित कार्रवाई की जाए.''
 
iim rohtak   saugat roy letter

उधर राज्यसभा में वामपंथी सांसद डी राजा ने भी इस बारे में HRD मंत्री से शिकायत की है. राजा ने एनडीटीवी इंडिया से कहा, "हां मैंने मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को पत्र लिखा है. ये मामला वाकई जांच के लायक है. मैंने संस्थान के हित और भविष्य को ध्यान में रखकर मामले की जांच की है. मुझे उम्मीद है कि मंत्री जावड़ेकर कदम उठाएंगे."
 
iim rohtak   d raja letter


आईआईएम अहमदाबाद में रह चुके प्रोफेसर धीरज शर्मा की नियुक्ति पिछले साल इस आईआईएम रोहतक के निदेशक पद पर की गई. लेकिन कोलकाता के एक RTI कार्यकर्ता और NCPRI के सदस्य अमिताभ चौधरी कहते हैं कि सूचना का अधिकार कानून के तहत इस नियुक्ति से संबंधित जो दस्तावेज उन्होंने हासिल किए हैं वह सवाल खड़े करते हैं.

साल 2015 में इस पद के लिए इश्तेहार निकाला गया. इसमें ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन में फर्स्ट क्लास के अलावा किसी प्रतिष्ठित संस्थान से पीएचडी और कम से कम 15 साल का टीचिंग और रिसर्च अनुभव मांगा गया.

अमिताभ चौधरी आरटीआई से मिले दस्तावेजों के आधार पर दावा करते हैं कि प्रो धीरज शर्मा के बायोडाटा से कहीं भी उनके ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन में फर्स्ट क्लास का पता नहीं चलता. जबकि निदेशक की नियुक्ति करने वाली सर्च और सिलेक्शन कमेटी के मिनट्स  बताते हैं कि फर्स्ट क्लास न होने की वजह से कमेटी ने एक आवेदक प्रोफेसर भार्गव को रिजेक्ट किया था. चौधरी कहते हैं कि इसके अलावा प्रो शर्मा के पेशेवर अनुभव को लेकर भी स्थिति साफ नहीं है. अमिताभ चौधरी ने एनडीटीवी इंडिया से कहा, "मेरे को लगता है कि एक खास उम्मीदवार को शामिल करने के लिए सारी कोशिशें हुई हैं."

एनडीटीवी इंडिया ने सर्च कम सिलेक्शन कमेटी के तत्कालीन सदस्य और आईआईएम रोहतक के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के तत्कालीन चेयरमैन रविकांत को इस बारे में सवाल भेजे और ईमेल और एसएमएस के ज़रिए संपर्क किया लेकिन कोई जवाब नहीं मिला.

ये भी महत्वपूर्ण है कि निदेशक पद के लिए बनाई गई सर्च और सिलेक्शन कमेटी में कुल 5 सदस्य होने थे लेकिन इस पद पर नियुक्ति के लिए प्रस्तावित नामों का जो पैनल भेजा गया उस पत्र पर तीन लोगों के ही हस्ताक्षर हैं.
 
iim rohtak


दस्तावेज बताते हैं कि एक सदस्य अनंत नारायण ने कमेटी का हिस्सा बनने से इनकार कर दिया और एक अन्य सदस्य वीके सारस्वत ने कमेटी की मीटिंग में हिस्सा नहीं लिया. गंभीर बात ये है कि टाइप किए गए इस पत्र में जिन उम्मीदवारों की सिफारिश की गई उनके नाम हाथ से लिखे गए हैं. सिफारिश करने वाले कमेटी के सदस्यों के दस्तखत के साथ कोई तारीख नहीं है.
 
iim rohtak


कमेटी के जिन तीन सदस्यों ने दस्तखत किए हैं उनमें से एक विनयशील ओबेराय तो उस वक्त मंत्रालय में उच्च शिक्षा के सचिव थे. जानकार इसे चयन प्रक्रिया की निष्पक्षता पर सवाल खड़ा करता है.

आईआईएम अहमदाबाद में डीन और डायरेक्टर इन चार्ज रह चुके जगदीप छोकर को भी इस प्रक्रिया में गड़बड़ी की पूरी आशंका दिखती है. जगदीप छोकर कहते हैं, "मैं न सिर्फ आईआईएम अहमदाबाद में बल्कि दूसरी आईआईएम में भी चयन प्रक्रिया में रहा हूं. विदेश के विश्वविद्यालयों में भी सिलेक्शन प्रोसेस में शामिल रहा हूं, लेकिन इस तरह का सिलेक्शन प्रोसेस मैंने देखा नहीं है. 5 में से 2 लोगों का चयन प्रक्रिया में शामिल न होना एक अजीब सी बात लगती है. आम तौर पर ऐसा होता मैंने नही देखा है."

हमने इस बारे में मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर से पूछा तो उन्होंने कहा कि उन्हें इस बारे में अभी कोई जानकारी नहीं है. जावड़ेकर ने कहा जब उन्हें पत्र मिलेगा तो वे उसे पढ़ेंगे.

VIDEO : सांसदों ने उठाए सवाल

एनडीटीवी इंडिया ने इस बारे में प्रो धीरज शर्मा को सवाल भेजे. कई बार ई मेल, एसएमएस, व्हाट्सऐप और फोन के ज़रिए उनसे संपर्क किया, लेकिन उन्होंने भी हमारे सवालों का कोई जवाब नहीं भेजा. अमिताभ चौधरी ने अब इस नियुक्ति के खिलाफ राष्ट्रपति को चिट्ठी लिखी है.

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