'पहले दिन ही कोरोना के लक्षण हो गए गायब' : एंटीबॉडी का कॉकटेल लेने वाले 40 मरीजों पर दिखा असर

मोनोक्लोनल एंटीबॉडी थेरेपी को हल्के से मध्यम लक्षणों वाले रोगियों में रोग की गंभीरता को कम करने के लिए दिया जाता है. यह तब सुर्खियों में आया जब इसे पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को दिया गया था, जब वो पिछले साल कोविड पॉजिटिव हुए थे.

'पहले दिन ही कोरोना के लक्षण हो गए गायब' : एंटीबॉडी का कॉकटेल लेने वाले 40 मरीजों पर दिखा असर

कोविड-19 केस में संक्रमण ज्यादा होने पर मोनोक्लोनल एंटीबॉडी थेरेपी दिया जाता है. (सांकेतिक तस्वीर)

हैदराबाद:

हैदराबाद के एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ गैस्ट्रोएंटरोलॉजी में 40 से अधिक कोविड रोगियों ने मोनोक्लोनल एंटीबॉडी की सिंगल डोज वाली दवा कॉकटेल ली है. अस्पताल के अध्यक्ष डॉ नागेश्वर रेड्डी ने कहा, "24 घंटों में, वे सभी कोविड मरीज बुखार, अस्वस्थता आदि जैसे नैदानिक लक्षणों से ठीक हो गए." हैदराबाद स्थित एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ गैस्ट्रोएंटरोलॉजी यह पता लगाने के लिए सबसे बड़े अध्ययनों में से एक है कि क्या यह उपचार अत्यधिक संक्रामक डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ प्रभावी है. डॉ रेड्डी ने कहा, "अमेरिका के अध्ययनों से पता चला है कि यह ब्रिटिश वेरिएंट, ब्राजीलियाई और दक्षिण अफ्रीकी वेरिएंट्स के खिलाफ भी प्रभावी है. किसी ने भी हमारे यहां मौजूद डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ इसका परीक्षण नहीं किया है, तो हम जो कर रहे हैं वह यह है कि हम समानांतर रूप से परीक्षण कर रहे हैं कि क्या यह म्यूटेंट वायरस के खिलाफ प्रभावी है. परिणाम अब हमारे पास 40 रोगियों में हैं, जिनका हमने एक सप्ताह के बाद विश्लेषण किया. लगभग 100 प्रतिशत मामलों में वायरस गायब हो गया, जब हमने आरटी-पीसीआर किया.”

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मोनोक्लोनल एंटीबॉडी थेरेपी को हल्के से मध्यम लक्षणों वाले रोगियों में रोग की गंभीरता को कम करने के लिए दिया जाता है. यह तब सुर्खियों में आया जब इसे पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को दिया गया था, जब वो पिछले साल कोविड पॉजिटिव हुए थे. कोविड पॉजिटिव मरीजों को तीन से सात दिनों के भीतर एंटीबॉडी का सिंगल डोज कॉकटेल दिया गया. कासिरिविमैब (Casirivimab) और इमदेविमाब (Indevimab) दो दवाएं हैं, जो मोनोक्लोनल एंटीबॉडी थेरेपी के लिए ड्रग कॉकटेल में जाती हैं, जिसकी कीमत भारत में लगभग ₹ 70,000 या 1000 अमेरिकी डॉलर है, जबकि अमेरिका में लागत लगभग 20,000 डॉलर है. बावजूद इतना कीमती होने के बाद भी इसकी मांग बढ़ रही है. लेकिन डॉक्टरों ने चेतावनी दी है कि इसका अधिक उपयोग नहीं किया जा सकता है.

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डॉ रेड्डी ने कहा, "हमें (थेरेपी) का दुरुपयोग नहीं करना चाहिए. केवल विशिष्ट संकेत के तहत दिया जाना चाहिए जैसा कि EUA के तहत स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा अधिकृत है, क्योंकि यदि इसका अधिक उपयोग किया जाता है, तो अधिक म्यूटेंट वायरस आ सकते हैं. इसे चुनिंदा आबादी में सावधानी से उपयोग किया जाना चाहिए.” उन्होंने कहा, “जिन कोविड मरीजों को थेरेपी दी गई है, उन्हें सलाह दी जाती है कि प्रक्रिया के बाद एंटीबॉडी के उच्च स्तर की उपस्थिति के केवल तीन महीने के बाद ही टीका लगवाएं.”

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VIDEO: मोनोक्लोनल एंटीबॉडी थेरेपी पर हैदराबाद में चल रहा है शोध