जम्मू-कश्मीर में हालात न्यायिक आदेश से नहीं, राजनीतिक तरीकों से सुलझेंगे : सुप्रीम कोर्ट

जम्मू-कश्मीर में हालात न्यायिक आदेश से नहीं, राजनीतिक तरीकों से सुलझेंगे : सुप्रीम कोर्ट

जम्मू-कश्मीर में तनाव के चलते लंबे समय से कर्फ्यू लगा है...

खास बातें

  • पेंथर पार्टी ने जम्मू-कश्मीर के हालात पर दी थी याचिका
  • गवर्नर रूल लागू करने के लिए याचिका
  • केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट सौपीं थी
नई दिल्ली:

जम्मू-कश्मीर के हालात को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामले न्यायिक आदेश से नहीं, बल्कि राजनीतिक तरीकों से सुलझ सकते हैं. जम्मू-कश्मीर के लोग प्रधानमंत्री से मिल रहे हैं.याचिकाकर्ता भी जाकर मिल सकते हैं.याचिकाकर्ता पेंथर पार्टी के भीम सिंह को कोर्ट ने कहा कि वह भी सरकार के पास जाकर हालात बताएं.

CJI ठाकुर ने SG को कहा कि वह भीम सिंह को सरकार से मिलाने की कोशिश करें.अगर सरकार उनसे मिलेगी तो कोई नुकसान नहीं है.SG ने कोर्ट को भरोसा दिलाया कि वह इस मसले पर गृह सचिव से बात करेंगे.

सीजेआई ठाकुर ने भीम सिंह की उस बात पर नाराजगी भी जताई, जिसमें कहा गया था कि RSS उन्हें पसंद नहीं करता.सीजेआई ने कहा कि राजनीतिक बयान नहीं चलेंगे, ऐसे बयान कोर्ट से बाहर जाकर दीजिए.RSS हो या कोई और इससे कोर्ट को फर्क नहीं पड़ता.

जम्मू-कश्मीर के हालात को लेकर गर्वनर रूल लागू करने की मांग वाली इस याचिका सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है.पिछली सुनवाई में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट सौपीं थी.रिपोर्ट में कहा गया था कि कश्मीर में 8 जुलाई से शुरू हुई हिंसा में 3 अगस्त तक कुल 872 घटनाओं में 42 नागरिकों की मौत हुई जबकि 2656 नागरिक जख्मी हुए.इस दौरान 3783 सुरक्षाकर्मी घायल हुए जबकि दो सुरक्षाकर्मियों की मौत हुई.सबसे ज्यादा हिंसा 10 जुलाई को हुई जब कश्मीर में 153 घटनाएं हुई, लेकिन अब हालात सुधर रहे हैं. पहले 22 में से 10 जिलों में कर्फ्यू था और अब सिर्फ तीन जगह श्रीनगर शहर, अनंतनाग शहर और पुलवामा में कर्फ्यू है.

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा गया है कि जम्मू-कश्मीर में पिछले दो हफ्ते से रूल ऑफ गन चल रहा है.लोग घरों से बाहर नहीं निकल पा रहे, राज्य में जैसे मार्शल लॉ चल रहा है.लोग जेल कैदियों से भी बदतर हालात में रह रहे हैं, उनके पास ना खाना है, नलों में पानी नहीं है और दवा तक नहीं है.राज्य में नागरिकों के मौलिक अधिकारों का हनन हो रहा है.


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