शिमला:
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले 34 सीटों वाले शिमला नगर निगम में सर्वाधिक सीटें जीतकर इतिहास रच दिया, लेकिन वह 18 सदस्यों के सामान्य बहुमत के आंकड़े को हासिल करने में नाकाम रही. पार्टी ने 17 सीटों पर जीत दर्ज की है. वहीं, निगम पर 26 वर्षों तक काबिज रहने वाली कांग्रेस के 12 उम्मीदवार निर्वाचित हुए हैं.
साथ ही चार निर्दलीय तथा मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) का एक उम्मीदवार भी चुनाव जीतने में कामयाब रहा.
पीएम नरेंद्र मोदी ने समर्थन के लिए ट्वीट कर शिमला के लोगों को धन्यवाद दिया. उन्होंने कहा कि 'शिमला नगर निगम में बीजेपी की जीत ऐतिहासिक है फिर से विकास की राजनीति में लोगों की आस्था को दर्शाता है'. उन्होंने अगले ट्वीट में कहा, 'मैं भाजपा को समर्थन के लिए शिमला के लोगों को धन्यवाद देता हूं और भाजपा हिमाचल के कार्यकर्ताओं और नेताओं को उनकी कड़ी मेहनत के लिए बधाई देता हूं'.
तीन निर्दलीय पार्षदों शारदा चौहान, कुसुम लता तथा संजय परमार ने कांग्रेस को अपना समर्थन देने का ऐलान किया है. इसका अर्थ है कि कांग्रेस के पास 15 पार्षदों का समर्थन है, लेकिन भाजपा के 17 पार्षदों की तुलना में आंकड़े अभी भी उसके पक्ष में नहीं हैं.
भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, "एक निर्दलीय पार्षद के सहयोग से हम अपने महापौर तथा उप महापौर का निर्वाचन करने जा रहे हैं".
चौथे निर्दलीय पार्षद राजेश कुमार भाजपा के बागी हैं और उनके पार्टी का समर्थन करने की संभावना है, जिससे बहुमत का आंकड़ा पूरा हो जाएगा.
महापौर पद अनुसूचित जाति की महिला उम्मीदवार के लिए आरक्षित है, जबकि उप महापौर पद अनारक्षित है. दोनों पदों का कार्यकाल ढाई साल का है.
वर्ष 2012 में माकपा ने महापौर, उप महापौर और साथ ही एक पार्षद की सीट जीती थी. इस प्रकार माकपा ने केवल तीन सदस्यों की बदौलत 25 सदस्यीय सदन में शासन किया था. अधिकांश पार्षद कांग्रेस के थे.
नए इलाकों के विलय से पार्षदों की संख्या बढ़कर 34 हो गई है.
भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर ने कहा कि यह चुनाव विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा के लिए सेमीफाइनल था.
ठाकुर ने कहा, "शिमला नगर निगम चुनाव हमारे लिए सेमीफाइनल था, जिसमें हमारी जीत हुई है. अब हम फाइनल (विधानसभा चुनाव) जीतने जा रहे हैं".
मतदाताओं का जनादेश स्वीकार करते हुए माकपा महापौर संजय चौहान ने कहा, "हम स्थानीय लोगों की मांगों तथा मुद्दों के लिए लड़ाई जारी रखेंगे".
मतदान शुक्रवार को हुआ था, जिसमें 91,000 से भी अधिक मतदाताओं में से करीब 58 प्रतिशत ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था. चुनाव में निर्वासित तिब्बतियों ने भी अपने मताधिकार का प्रयोग किया. चेन्नई तथा कोलकाता के बाद शिमला सबसे पुराना नगर निगम है.
चुनाव में मुख्य मुकाबला सत्तारूढ़ कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच था. हालांकि उम्मीदवारों ने पार्टी के चुनाव चिन्हों पर चुनाव नहीं लड़ा.
भाजपा ने 34 उम्मीदवारों, कांग्रेस ने 27 और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने 22 उम्मीदवारों का समर्थन किया था. शिमला नगर निगम पर 26 वर्षों तक कांग्रेस काबिज रही है.
(इनपुट आईएएनएस से)
साथ ही चार निर्दलीय तथा मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) का एक उम्मीदवार भी चुनाव जीतने में कामयाब रहा.
पीएम नरेंद्र मोदी ने समर्थन के लिए ट्वीट कर शिमला के लोगों को धन्यवाद दिया. उन्होंने कहा कि 'शिमला नगर निगम में बीजेपी की जीत ऐतिहासिक है फिर से विकास की राजनीति में लोगों की आस्था को दर्शाता है'. उन्होंने अगले ट्वीट में कहा, 'मैं भाजपा को समर्थन के लिए शिमला के लोगों को धन्यवाद देता हूं और भाजपा हिमाचल के कार्यकर्ताओं और नेताओं को उनकी कड़ी मेहनत के लिए बधाई देता हूं'.
BJP's victory in the Shimla Municipal Corporation is historic & yet again reflects people's faith in development politics.
— Narendra Modi (@narendramodi) June 17, 2017
I thank the people of Shimla for their support to BJP & congratulate @BJP4Himachal Karyakartas & leaders for their hardwork.
— Narendra Modi (@narendramodi) June 17, 2017
तीन निर्दलीय पार्षदों शारदा चौहान, कुसुम लता तथा संजय परमार ने कांग्रेस को अपना समर्थन देने का ऐलान किया है. इसका अर्थ है कि कांग्रेस के पास 15 पार्षदों का समर्थन है, लेकिन भाजपा के 17 पार्षदों की तुलना में आंकड़े अभी भी उसके पक्ष में नहीं हैं.
भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, "एक निर्दलीय पार्षद के सहयोग से हम अपने महापौर तथा उप महापौर का निर्वाचन करने जा रहे हैं".
चौथे निर्दलीय पार्षद राजेश कुमार भाजपा के बागी हैं और उनके पार्टी का समर्थन करने की संभावना है, जिससे बहुमत का आंकड़ा पूरा हो जाएगा.
महापौर पद अनुसूचित जाति की महिला उम्मीदवार के लिए आरक्षित है, जबकि उप महापौर पद अनारक्षित है. दोनों पदों का कार्यकाल ढाई साल का है.
वर्ष 2012 में माकपा ने महापौर, उप महापौर और साथ ही एक पार्षद की सीट जीती थी. इस प्रकार माकपा ने केवल तीन सदस्यों की बदौलत 25 सदस्यीय सदन में शासन किया था. अधिकांश पार्षद कांग्रेस के थे.
नए इलाकों के विलय से पार्षदों की संख्या बढ़कर 34 हो गई है.
भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर ने कहा कि यह चुनाव विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा के लिए सेमीफाइनल था.
ठाकुर ने कहा, "शिमला नगर निगम चुनाव हमारे लिए सेमीफाइनल था, जिसमें हमारी जीत हुई है. अब हम फाइनल (विधानसभा चुनाव) जीतने जा रहे हैं".
मतदाताओं का जनादेश स्वीकार करते हुए माकपा महापौर संजय चौहान ने कहा, "हम स्थानीय लोगों की मांगों तथा मुद्दों के लिए लड़ाई जारी रखेंगे".
मतदान शुक्रवार को हुआ था, जिसमें 91,000 से भी अधिक मतदाताओं में से करीब 58 प्रतिशत ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था. चुनाव में निर्वासित तिब्बतियों ने भी अपने मताधिकार का प्रयोग किया. चेन्नई तथा कोलकाता के बाद शिमला सबसे पुराना नगर निगम है.
चुनाव में मुख्य मुकाबला सत्तारूढ़ कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच था. हालांकि उम्मीदवारों ने पार्टी के चुनाव चिन्हों पर चुनाव नहीं लड़ा.
भाजपा ने 34 उम्मीदवारों, कांग्रेस ने 27 और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने 22 उम्मीदवारों का समर्थन किया था. शिमला नगर निगम पर 26 वर्षों तक कांग्रेस काबिज रही है.
(इनपुट आईएएनएस से)
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