बाबरी विध्वंस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने लालकृष्ण आडवाणी समेत 13 नेताओं पर मुकदमा चलाने का आदेश दिया है.
नई दिल्ली:
बाबरी विध्वंस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी समेत 13 नेताओं पर मुकदमा चलाने का आदेश दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को अपने फैसले में कहा कि बाबरी मस्जिद ढहाने के मामले में आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, कल्याण सिंह समेत 13 लोगों पर आपराधिक साजिश के तहत मुकदमा चलेगा. इस पूरे घटनाक्रम को नीचे दिए गए 13 प्वाइंट में समझें.
1. सन 1992 मे बाबरी मस्जिद गिराने को लेकर दो एफआईआर 197 और 198 दर्ज की गई.
2.197 कार सेवकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई.
3.मस्जिद से 200 मीटर दूर मंच पर मौजूद 198 नेताओं के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज की गई.
4.यूपी सरकार ने 197 के लिए हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस से इजाजत लेकर ट्रायल के लिए लखनऊ में दो स्पेशल कोर्ट बनाईं.
5.शेष 198 के लिए रायबरेली के कोर्ट में मामला चला.
6.197 के केस की जांच सीबीआई को दी गई जबकि 198 की जांच यूपी सीआईडी ने की.
7. 198 के तहत रायबरेली में चल रहे मामले में नेताओं पर 120 बी एफआईआर में नहीं था लेकिन 13 अप्रैल 1993 में पुलिस ने चार्जशीट में आपराधिक साजिश की धारा जोड़ने की कोर्ट में अर्जी लगाई और कोर्ट ने इसकी इजाजत दे दी.
8.इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका लगाई गई जिसमें मांग की गई कि रायबरेली के मामले को भी लखनऊ स्पेशल कोर्ट में ट्रांसफर किया जाए.
9.साल 2001 में हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि इस मामले में ज्वाइंट चार्जशीट भी सही है और एक ही जैसे मामले हैं. लेकिन रायबरेली के केस को लखनऊ ट्रांसफर नहीं किया जा सकता क्योंकि राज्य सरकार ने नियमों के मुताबिक 198 के लिए चीफ जस्टिस से मंजूरी नहीं ली
10.केस सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और सुप्रीम कोर्ट ने भी हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा. पुनर्विचार और क्यूरेटिव पिटीशन भी खारिज कर दी गई. रायबरेली की अदालत ने बाद में सभी नेताओं से आपराधिक साजिश की धारा हटा दी.
11.इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 20 मई 2010 को आदेश सुनाते हुए ट्रायल कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा.
12.2011 में करीब 8 महीने की देरी से सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी.
13 .2015 में पीड़ित हाजी महमूद हाजी ने भी सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दायर की.
1. सन 1992 मे बाबरी मस्जिद गिराने को लेकर दो एफआईआर 197 और 198 दर्ज की गई.
2.197 कार सेवकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई.
3.मस्जिद से 200 मीटर दूर मंच पर मौजूद 198 नेताओं के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज की गई.
4.यूपी सरकार ने 197 के लिए हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस से इजाजत लेकर ट्रायल के लिए लखनऊ में दो स्पेशल कोर्ट बनाईं.
5.शेष 198 के लिए रायबरेली के कोर्ट में मामला चला.
6.197 के केस की जांच सीबीआई को दी गई जबकि 198 की जांच यूपी सीआईडी ने की.
7. 198 के तहत रायबरेली में चल रहे मामले में नेताओं पर 120 बी एफआईआर में नहीं था लेकिन 13 अप्रैल 1993 में पुलिस ने चार्जशीट में आपराधिक साजिश की धारा जोड़ने की कोर्ट में अर्जी लगाई और कोर्ट ने इसकी इजाजत दे दी.
8.इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका लगाई गई जिसमें मांग की गई कि रायबरेली के मामले को भी लखनऊ स्पेशल कोर्ट में ट्रांसफर किया जाए.
9.साल 2001 में हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि इस मामले में ज्वाइंट चार्जशीट भी सही है और एक ही जैसे मामले हैं. लेकिन रायबरेली के केस को लखनऊ ट्रांसफर नहीं किया जा सकता क्योंकि राज्य सरकार ने नियमों के मुताबिक 198 के लिए चीफ जस्टिस से मंजूरी नहीं ली
10.केस सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और सुप्रीम कोर्ट ने भी हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा. पुनर्विचार और क्यूरेटिव पिटीशन भी खारिज कर दी गई. रायबरेली की अदालत ने बाद में सभी नेताओं से आपराधिक साजिश की धारा हटा दी.
11.इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 20 मई 2010 को आदेश सुनाते हुए ट्रायल कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा.
12.2011 में करीब 8 महीने की देरी से सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी.
13 .2015 में पीड़ित हाजी महमूद हाजी ने भी सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दायर की.
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