प्रतीकात्मक फोटो.
नई दिल्ली:
रेलवे की कुल 353 परियोजनाओं में से 60 प्रतिशत की लागत में विभिन्न कारणों से बेतहाशा वृद्धि हुई है. सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय की सितंबर, 2017 के लिए एक रिपोर्ट के अनुसार रेलवे की 213 परियोजनाओं की लागत में 1.61 लाख करोड़ रुपये की वृद्धि हुई है.
मंत्रालय नियमित आधार पर केंद्रीय क्षेत्र की उन परियोजनाओं पर नजर रखता है जिनकी लागत 150 करोड़ रुपये या उससे अधिक है. रिपोर्ट के अनुसार इन 213 परियोजनाओं की कुल मूल लागत 1,21,595.36 करोड़ रुपये आंकी गई थी. यह अब बढ़कर 2,83,482.35 करोड़ रुपये हो जाने का अनुमान है. यह बताता है कि कुल मिलाकर लागत में 133.14 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. मंत्रालय ने इस वर्ष सितंबर में 353 परियोजनाओं की निगरानी की. अध्ययन बताता है कि 36 परियोजनाओं में 12 महीने से लेकर 261 महीनों की देरी हुई.
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रेलवे के बाद बिजली क्षेत्र में ऐसी परियोजनाओं की संख्या अधिक है जिसकी लागत बढ़ी है. मंत्रालय ने बिजली क्षेत्र की 124 परियोजनाओं का आकलन किया जिसमें से 44 की लागत में 57,756.87 करोड़ रुपये की वृद्धि हुई है. इन 44 परियोजनाओं की मूल लागत 1,05,404.62 करोड़ रुपये आंकी गई जो बढ़कर 1,63,161.49 करोड़ रुपये हो गई है. रिपोर्ट के अनुसार बिजली क्षेत्र की 124 परियोजनाओं में से 61 के मामले में तीन महीने से लेकर 136 महीने का विलम्ब हुआ है.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
मंत्रालय नियमित आधार पर केंद्रीय क्षेत्र की उन परियोजनाओं पर नजर रखता है जिनकी लागत 150 करोड़ रुपये या उससे अधिक है. रिपोर्ट के अनुसार इन 213 परियोजनाओं की कुल मूल लागत 1,21,595.36 करोड़ रुपये आंकी गई थी. यह अब बढ़कर 2,83,482.35 करोड़ रुपये हो जाने का अनुमान है. यह बताता है कि कुल मिलाकर लागत में 133.14 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. मंत्रालय ने इस वर्ष सितंबर में 353 परियोजनाओं की निगरानी की. अध्ययन बताता है कि 36 परियोजनाओं में 12 महीने से लेकर 261 महीनों की देरी हुई.
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रेलवे के बाद बिजली क्षेत्र में ऐसी परियोजनाओं की संख्या अधिक है जिसकी लागत बढ़ी है. मंत्रालय ने बिजली क्षेत्र की 124 परियोजनाओं का आकलन किया जिसमें से 44 की लागत में 57,756.87 करोड़ रुपये की वृद्धि हुई है. इन 44 परियोजनाओं की मूल लागत 1,05,404.62 करोड़ रुपये आंकी गई जो बढ़कर 1,63,161.49 करोड़ रुपये हो गई है. रिपोर्ट के अनुसार बिजली क्षेत्र की 124 परियोजनाओं में से 61 के मामले में तीन महीने से लेकर 136 महीने का विलम्ब हुआ है.
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