यह ख़बर 23 फ़रवरी, 2014 को प्रकाशित हुई थी

जेल में रहकर कैदी ने की एमएससी, बांट रहा ज्ञान

रायपुर:

छत्तीसगढ़ के जेलों में हत्या लूट, डकैती और ऐसे ही कई संगीन आरोपों में सजा काट रहे बंदी कारागार में रहकर न सिर्फ शिक्षित हो रहे हैं, बल्कि शिक्षा की उच्च डिग्रियां भी हासिल कर रहे हैं। इनमें से एक हत्या के दोषी ने तो जेल में रहकर गणित में बीएससी-एमएससी तक कर ली। अब वह अन्य बंदियों को न सिर्फ पढ़ा रहा है, बल्कि पढ़ाई के लिए प्रेरित भी कर रहा है।

जेल अधीक्षक डॉ. केके गुप्ता कहते हैं कि जेल में रहते हुए दो बंदियों ने गणित में एमएससी की है। एक तो रिहा होने के बाद नौकरी कर रहा है और दूसरा अभी जेल में है, जो अन्य बंदियों को पढ़ा भी रहा है।

सूबे के रायपुर केंद्रीय कारागार में पहली से लेकर बीए,एमए, एमएससी और कई व्यावसायिक पाठ्यक्रम करने वाले बंदियों ने जो नतीजे दिए हैं, वह बेहद सुखद हैं। सत्र 2012.13 में (जनवरी 2014 तक) विभिन्न परीक्षाओं में शामिल 416 बंदियों में से 361 पास हो गए। जबकि सत्र 2013-14 में 1037 बंदियों ने अलग-अलग पाठ्यक्रमों में दाखिला लिया है।

रायपुर कारागार में हत्या का दोषी बोधनराम यादव आठ साल से जेल में है। बताते हैं कि जेल में रहते-रहते उसने बीएससी, एमएससी कर ली। पचास वर्षीय बोधनराम अपर डिवीजन टीचर था। हत्या का आरोप सिद्ध हुआ और उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। विपरीत परिस्थितियों में भी उसने हार नहीं मानी और पढ़ाई को अपने जीवन का लक्ष्य बना लिया।

केंद्रीय कारागार में संचालित स्कूल के शिक्षक नेतराम नागपोड़े ने बताया कि बोधनराम कक्षाएं भी लेता है, दूसरे बंदियों को पढ़ाई के लिए प्रेरित भी करता है और उनके सवालों को हल करता है। वह बाकी बंदियों के लिए एक उदाहरण बन गया है।

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रायपुर केंद्रीय जेल के अधीक्षक डॉ. केके गुप्ता कहते हैं कि बंदियों के लिए पढ़ाई की व्यवस्था है। कुछ और नए कोर्स इस सत्र से जोड़े जा रहे हैं। इसका मकसद सिर्फ इतना है कि जिन्हें पढ़ना-लिखना नहीं आता, वे साक्षर बनें और प्रोफेशनल कोर्स को पूरा कर जब जेल से बाहर निकलें तो अपना व्यवसाय शुरू कर सकें।