अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन पर मुहर, राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने दी मंजूरी

अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन पर मुहर, राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने दी मंजूरी

राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी

नई दिल्ली:

राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अरूणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने की केंद्रीय मंत्रिमंडल की सिफारिश पर मंगलवार की रात मुहर लगा दी और इसके साथ ही एक महीने से भी ज्यादा समय से चल रहे राजनीतिक उठापटक के बीच राज्य राष्ट्रपति शासन के अधीन आ गया। मामला उच्चतम न्यायालय में लंबित होने के दौरान उठाए गए इस कदम की कांग्रेस और अन्य दलों ने तीखी आलोचना की और इसे लोकतंत्र की ‘हत्या’ करार दिया।

राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने पिछले दो दिनों में गहन विचार विमर्श के बाद आज केंद्रीय कैबिनेट की सिफारिश को मंजूरी प्रदान कर दी और इस आधार को स्वीकार कर लिया कि राज्य में ‘संवैधानिक संकट’ है।

राष्ट्रपति ने कल गृह मंत्री राजनाथ सिंह को बुलाया था और राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने की जरूरत के बारे में कुछ सवाल पूछे थे। ऐसा लगता है कि राष्ट्रपति सरकार के इस विचार से संतुष्ट हो गए कि राज्य में राजनीतिक अस्थिरता के बाद संवैधानिक व्यवस्था चरमरा गई है।

गृह मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि अरूणाचल प्रदेश के राज्यपाल की रिपोर्ट के अनुसार राज्य में पैदा हुए संवैधानिक संकट पर संज्ञान लेते हुए केंद्रीय कैबिनेट ने 24 जनवरी 2016 को अपनी बैठक में राष्ट्रपति से ऐसी उद्घोषणा जारी करने का अनुरोध किया था।

इसमें कहा गया है कि राष्ट्रपति ने संविधान के अनुच्छेद 356 (1) के तहत अरूणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने संबंधी उद्घोषणा पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। यह उद्घोषणा आज से प्रभावी होगी और प्रदेश की विधानसभा निलंबित रहेगी।

राष्ट्रपति ने कैबिनेट की सिफारिश के दो दिनों बाद इस उद्घोषणा पर हस्ताक्षर किए। कैबिनेट ने रविवार को हुयी विशेष बैठक में राज्य में केंद्रीय शासन लागू किए जाने की सिफारिश की थी। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री किरण रिजिजू ने कहा था कि कैबिनेट यह फैसला लेने को बाध्य थी क्योंकि वहां संवैधानिक संकट पैदा हो गया था और राज्य विधानसभा के दो सत्रों के बीच छह महीने की अवधि पूरी हो गई थी।

प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने की तीखी आलोचना करते हुए कांग्रेस, जदयू, भाकपा और आप ने इसे संघवाद और लोकतंत्र की ‘हत्या’ करार दिया और भाजपा नीत केंद्र सरकार पर देश की सर्वोच्च अदालत को ‘अपमानित’ करने का आरोप लगाया जो अभी मामले की सुनवाई कर रही है।

कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने एक के बाद एक किए गए ट्वीट में कहा ‘सूर्य देश के पूर्व में उदय होता है। हालांकि भाजपा ने संविधान के मूल्यों को अरूणाचल में राष्ट्रपति शासन लागू कर ग्रहण लगा दिया। मोदी जी ने संघवाद को कुचल डाला।’ उन्होंने ट्वीट किया ‘गणतंत्र के संस्थापक लोकतांत्रिक एवं संघवाद संबंधी सिद्धांतों को मोदीजी ने गणतंत्र दिवस पर स्वाहा कर दिया। हम इसके खिलाफ लड़ेंगे।’

भाजपा ने हालांकि इस फैसले का बचाव करते हुए कहा कि इसे कई नजरिए से देखने की जरूरत है और यह संवैधानिक दायित्वों के अनुरूप है। इसके साथ ही पार्टी ने कांग्रेस पर मुद्दे का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाया। कांग्रेस प्रवक्ता टॉम वडक्कन ने कहा, ‘यह लोकतंत्र की हत्या है..। मामला अदालत में है और सरकार ने जल्दबाजी में कार्रवाई की है। यह साफ तौर पर देश के उच्चतम न्यायालय का अपमान है। लोकतंत्र की हत्या की गयी है।’

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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने राष्ट्रपति शासन लगाए जाने की तुलना आपातकाल जैसी स्थिति से की। उन्होंने ट्वीट किया, ‘अरूणाचल में राष्ट्रपति शासन, आडवाणीजी सही कह रहे थे कि देश में आपातकाल जैसी स्थितियां हैं।’’ मुखर्जी ने कल गृह मंत्री राजनाथ सिंह को बुलाया था और राष्ट्रपति शासन लगाए जाने की आवश्यकता के बारे में उनसे कुछ सवाल किए थे। वहीं राज्य में सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी ने भी उनसे मुलाकात की थी और कैबिनेट के फैसले का विरोध किया था।