पीएम मोदी ने बिहार को 'बीमारू राज्य' कहकर यहां के लोगों का अपमान किया : नीतीश

पीएम मोदी ने बिहार को 'बीमारू राज्य' कहकर यहां के लोगों का अपमान किया : नीतीश

पटना:

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जेडीयू को 'जनता का दमन और उत्पीड़न' की संज्ञा दिए जाने पर रविवार को उन पर पलटवार करते हुए बीजेपी को 'बड़का झूठा पार्टी' बताया। बिहार के गया में एक रैली को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री के आरजेडी को 'रोजाना जंगलराज का डर' तथा जेडीयू को 'जनता का दमन और उत्पीड़न' बताया था।

नीतीश कुमार ने कहा 'बीजेपी को हमलोग 'भारतीय जुमला पार्टी' कहते थे, लेकिन आप जिस स्तर पर चुनावी बातचीत को ले जा रहे हैं अब उससे काम नहीं चलने वाला है, अब उस व्याकरण के अनुसार बीजेपी का नाम 'बड़का झूठा पार्टी' को छोड़कर कोई दूसरा नाम नहीं सूझ रहा है।'

नीतीश कुमार की प्रेस कॉन्फ्रेंस की अहम बातें

उन्होंने कहा, 'हम एक ही निवेदन करेंगे कि एक स्तर को बनाए रखा जाना चाहिए। बीजेपी आपकी है और अब सिर्फ आपकी तथा बची-खुची अमित शाह जी की है, जिन्होंने नए-नए गुण (जेल से लौटने के बाद) सीख लिए हैं, जिसके लिए आपने उन्हें प्रतिष्ठित किया। अब यह न तो आडवाणी जी, न जोशी जी, यशवंत सिन्हा और न ही जसवंत जी की है।'
चारा घोटाले में दोषी ठहराए जाने पर आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद पर चुटकी लेते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के यह कहे जाने कि जो व्यक्ति जेल जाते हैं अच्छी चीज नहीं बुरी-बरी चीजें सीखकर तथा बुराईयां लेकर आते हैं, नीतीश ने कहा कि वह अमित शाह के बारे में जो कुछ भी राय कायम की है वह मोदी जी के कथनानुसार कायम की है, क्योंकि वे जेल को सुधार गृह मानते हैं।

मोदी के पूछे गए उस सवाल कि हाल ही में पटना में दिन के उजाले में, सरकार की नाक के नीचे बीजेपी के एक कार्यकर्ता को गोली मार दी गई, क्या यह एक और जंगलराज की शुरुआत नहीं है, नीतीश ने कहा कि इस मामले में त्वरित कार्रवाई करते हुए आरोपियों को पकड़ा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस आरोप को कि बोधगया में बम विस्फोट की खबरों से विदेशी पर्यटक यहां आने से रुक गए, विस्फोटों के बाद बोध गया को विकसित करने के लिए कोई प्रयास नहीं किया गया, तथा जो लोग वोट बैंक की राजनीति में विश्वास करने वाले हैं उन्हें इसकी कहां परवाह है।

इस पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि बोधगया में बम धमाके का केंद्रीय एजेंसी एनआईए भंडाफोड़ नहीं कर पाई पर पटना में हुए सिलसिलेवार धमाके के बाद, जिस प्रकार से पटना पुलिस ने त्वरित कार्रवाई कर न केवल आतंकियों को पकड़ा बल्कि उसके आधार पटना सहित बोधगया में हुए सिलसिलेवार धमाके का भी उदभेदन हुआ। इन सब बातों को लेकर बिहार में हुए काम और यहां की सरकार पर आक्षेप लगाते हैं।

नीतीश ने कहा कि दलाई लामा सहित कई अन्य प्रमुख आए और वे यहां के बारे में क्या बोले और कोई व्यक्ति नकारात्मक बात कहे। बोधगया और गया में आने वालों की संख्या बढीं और बहुत सारी सुविधाएं भी बढीं। मोदी के गया को पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की कर्मभूमि बताने पर नीतीश ने कहा कि उन्हीं ने उन्हें मुख्यमंत्री बनाया था और उनके नौ महीनों के कार्यकाल के दौरान बीजेपी के लोगों ने उनके बारे में कहा है।

मुजफ्फरपुर की रैली में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए 'डीएनए' वाली टिप्पणी करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रविवार के भाषण को नीतीश ने निराश करने वाला बताते हुए कहा कि जिस प्रकार की बातें कही गई हैं वह देश के इतने बड़े नेता के मुंह से शोभा नहीं देती। लोगों को उम्मीद थी कि वे अपनी कही हुई बातों और शब्दों को वापस लेकर अपनी भूल का सुधार करेंगे पर उन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया, बल्कि उल्टे फिर 'दुर्भाग्यशाली और बीमारू' बताकर चले गए।

नीतीश ने कहा, 'मुझे उम्मीद थी कि प्रधानमंत्री बड़प्पन दिखाते हुए 'डीएनए' संबंधी टिप्पणी को वापस ले लेंगे, पर ऐसा नहीं करके उन्होंने बिहार के स्वाभिमान को ठेस पहुंचायी और हमला किया है। बिहार के लोग शांत नहीं बैठेंगे। मैं यही आग्रह करूंगा कि तार्किक बात करें और देश की राजनीति को स्तरीय बनाए रखिए।'

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रविवार के भाषण के बारे में नीतीश ने कहा कि जो उन्होंने प्रकट किया है वह देश के संघीय ढांचा और उसकी मूल भावना के प्रतिकूल विचार है। इसलिए सहयोग्य संघवाद की बात करना लोगों के साथ विश्वासघात के समान हैं, क्योंकि आपने जो कुछ कहा उसे कर नहीं रहे हैं। बोलने से विकास नहीं होता। अगर सहयोग्य संघवाद है तो उसका उदाहरण होना चाहिए।

उन्होंने प्रधानमंत्री के भाषण को निराशजनक, उन पर केवल भाषण देने तथा कुछ नहीं करने का आरोप लगाते हुए कहा कि जितनी घोषणाएं यथा कालाधन को वापस लाकर सभी नागरिक के बीच 15 से 20 लाख रुपये वितरित किए जाने, किसानों के न्यूनतम समर्थन मूल्य, विशेष राज्य का पैकेज और विशेष ध्यान दिए जाने पर अमल नहीं किया तथा उनके 15 महीने के शासनकाल का ट्रैक रिकॉर्ड है उससे लोगों को अब उन पर भरोसा नहीं रहा है क्योंकि केंद्र से पूर्व से जो बिहार को मिल रहा था वह भी रुक गया।

नीतीश ने बीजेपी नेताओं की जोर-जोर से बोलने, झूठ का सहारा लेने की आदत होने का आरोप लगाते हुए कालाधन को वापस लाकर सभी नागरिक के बीच 15 से 20 लाख रुपये वितरित किए जाने को अमित शाह के 'चुनावी जुमला' बताए जाने पर कहा कि अब उनके बारे में मोदी ने खुद ही बता दिया है कि वे क्या-क्या गुण (जेल से लौटने के बाद) लेकर आए हैं।

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मोदी के नीतीश और लालू पर निजी स्वार्थ के लिए गठबंधन करने के आरोप पर नीतीश ने कहा कि राजनैतिक गठबंधन होते हैं। अगर गठबंधन निजी स्वार्थ के लिए किया जाता है तो पहले वह बताएं कि क्या-क्या उनका निजी स्वार्थ था। ...जब तक आपके साथ गठबंधन था तो हम ठीक थे और जब खत्म हो गया तो सारी बुराई हममें और हमारी पार्टी में नजर आती है। यह सब अवसरवाद है।