यह ख़बर 15 जुलाई, 2013 को प्रकाशित हुई थी

बंगाल पंचायत चुनाव में हिंसा, तीन की मौत

खास बातें

  • पश्चिम बंगाल में सोमवार को हुए पंचायत चुनाव के दूसरे चरण के दौरान हुई हिंसा में मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) की उम्मीदवार के पति सहित तीन लोगों की मौत हो गई।
कोलकाता:

पश्चिम बंगाल में सोमवार को हुए पंचायत चुनाव के दूसरे चरण के दौरान हुई हिंसा में मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) की उम्मीदवार के पति सहित तीन लोगों की मौत हो गई।

पुलिस ने बताया कि पंचायत चुनाव के दौरान हिंसा में हुई इन मौतों की खबर बर्दवान जिले से आई हैं, जहां हुगली एवं पूर्वी मिदनापुर के लिए एकसाथ चुनाव कराए जा रहे थे। दूसरे चरण में पंचायत चुनाव में 75 फीसदी मतदान हुआ।

मृतक की पहचान बर्दवान जिले में मधुडांगा ग्राम पंचायत सीट से माकपा उम्मीदवार मनोवरा बीबी के पति मोहम्मद हसमत के रूप में की गई है। वह मतदान केंद्र पर अपना वोट डालने जा रहे थे कि कुछ अराजक तत्वों ने उन पर बम फेंक दिया। उनकी वहीं मौत हो गई।

इसकी प्रतिक्रिया में तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ता राजकुमार खोड़ा को एक भीड़ ने अगवा कर लिया और पीट-पीटकर मार डाला। भीड़ में कथित तौर पर माकपा से जुड़े लोग थे। बाद में खोड़ा का शव एक खेत से बरामद किया गया।

मंगलकोटे के नवापुरा में तृणमूल प्रत्याशी और एक निर्दलीय प्रत्याशी के समर्थकों के बीच हुई झड़प में तृणमूल के एक कार्यकर्ता की मौत हो गई।

राज्य में प्रमुख विपक्षी वाम दल और कांग्रेस ने हिंसा के लिए तृणमूल पर आरोप लगाए। बर्दवान से कृषि मंत्री मोलोय घटक ने बताया कि मृतकों में से दो सत्ताधारी दल के ही समर्थक थे।

बर्दवान जिले में ही भटार में माकपा तथा तृणमूल के बीच हुई हिंसा में चार अन्य व्यक्ति घायल हो गए।

हुगली, पूर्वी मिदनापुर और बर्दवान जिलों में पंचायत की 12,869 सीटों के लिए चुनाव हो रहे हैं, जहां 28,342 उम्मीदवार मैदान में हैं।

पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव के दूसरे चरण में 50,000 सुरक्षाकर्मियों, राज्य सुरक्षा बल के 35,000 जवानों तथा 15,000 केंद्रीय बलों को तैनात किया गया था।

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सभी की निगाह पंचायत चुनाव में हुगली के सिंगुर तथा पूर्वी मिदनापुर के नंदीग्राम पर लगी हुई हैं, क्योंकि वाम दल के पिछले शासनकाल के दौरान दोनों ही जगहें राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में आ गई थीं। यहां किसानों की भूमि अधिग्रहण के खिलाफ ममता बनर्जी के नेतृत्व में तृणमूल ने मोर्चा खोल दिया था, जिसने उन्हें सत्ता तक पहुंचाया।