यह ख़बर 27 दिसंबर, 2013 को प्रकाशित हुई थी

नरेंद्र मोदी को वीजा देने से मना करना 'अपरिपक्व कूटनीति' : भाजपा

अरुण जेटली की फाइल फोटो

नई दिल्ली:

भाजपा ने नरेंद्र मोदी को वीजा देने से इनकार करने के लिए शुक्रवार को अमेरिका पर पलटवार करते हुए कहा कि कई जांच में गुजरात के मुख्यमंत्री के खिलाफ सबूत नहीं मिलने के बावजूद उन्हें दोषी घोषित करना 'अपरिपक्व कूटनीति है' और जवाबी कार्रवाई के लिए मिसाल कायम करता है।

भाजपा ने यह हमला गुजरात की एक अदालत के साल 2002 के दंगों में नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट देने के एक दिन बाद किया है।

राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरुण जेटली ने कहा कि मुद्दे पर अमेरिकी रुख का निर्धारण साफ तौर पर उनकी अवैध अदालत ने किया है।

जेटली ने कहा, 'इस मुद्दे पर अमेरिकी रख का निर्धारण साफ तौर पर अवैध अदालत ने किया है। जांच और दोबारा जांच के बावजूद कोई सबूत नहीं होने पर मोदी को दोषी घोषित करना अपरिपक्व कूटनीति है।' जेटली ने कहा, 'यह भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप है। इस अदूरदर्शी अमेरिकी रख का अमेरिका पर उल्टा प्रभाव पड़ने की संभावना है। यह जवाबी कार्रवाई के लिए मिसाल भी कायम करता है। यह समय है जब अमेरिकी दर्शाते हैं कि कैसे उन्होंने खुद को इस असमर्थनीय स्थिति में कैद कर लिया है।'

उन्होंने कहा, 'भाजपा की ओर से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार को मेरी निजी राय है कि उन्हें अमेरिकी वीजा के लिए आवेदन नहीं करना चाहिए।' मोदी ने साल 2005 में अमेरिकी वीजा दिए जाने से इनकार किए जाने के बाद आवेदन नहीं किया है।

जेटली ने कहा कि दुष्प्रचार की वजह से इस मुद्दे पर चर्चा पलट गई है उसका आत्ममंथन करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, 'भारत के एक प्रधान न्यायाधीश ने सभी तथ्यों पर गौर किए बिना अनुचित शब्द 'नीरो' का प्रयोग किया। क्या अब वह उसे वापस लेंगे। एक संपादक ने 'सामूहिक हत्यारा' शब्द का इस्तेमाल किया।'

उन्होंने कहा कि कुछ देश जो वैसे भारत से मित्रवत हैं उन्होंने 'अवैध अदालत' लगाई और मोदी को दोषी घोषित करने का फैसला किया।

उन्होंने इस तथ्य की अनदेखी की कि स्वतंत्रता के बाद से किसी अन्य नेता को इस तरह की जांच से नहीं गुजरना पड़ा जिस तरह की जांच से साल 2002 के दंगा मामले मोदी को गुजरना पड़ा।

इस बीच, अमेरिका ने कहा है कि मोदी की वीजा नीति में कोई बदलाव नहीं आया है और वीजा के लिए आवेदन करने के लिए उनका स्वागत है और समीक्षा के लिए इंतजार करना चाहिए जो अमेरिकी कानून पर आधारित होगा।

वाशिंगटन में विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने कहा, 'हमारी वीजा नीति में कोई बदलाव नहीं आया है। गुजरात के मुख्यमंत्री के संबंध में हमारी लंबे समय से नीति है कि वीजा के लिए आवेदन करने के लिए उनका स्वागत है और अन्य आवेदकों की तरह समीक्षा का इंतजार करना चाहिए।'

गुजरात की एक अदालत के फैसले पर टिप्पणी करने को कहे जाने पर उन्होंने कहा, 'वह समीक्षा अमेरिकी कानून पर आधारित होगी। क्या नतीजा होगा उसपर मैं अटकल लगाने नहीं जा रहा हूं।' गुजरात की एक अदालत ने उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें साल 2002 के गुजरात दंगा मामले में मोदी को क्लीन चिट देने वाली एसआईटी की रिपोर्ट को चुनौती दी गई थी। एसआईटी का गठन उच्चतम न्यायालय ने किया था।

मोदी को साल 2005 में कूटनीतिक वीजा देने से अमेरिका ने मना कर दिया था। अमेरिका ने इससे पहले उन्हें जारी बी-1, बी-2 वीजा को भी वापस ले लिया।

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तत्कालीन बुश प्रशासन ने यह फैसला प्रवासन एवं राष्ट्रीयता अधिनियम की एक धारा के तहत किया था। यह प्रावधान करता है कि कोई भी विदेशी सरकारी अधिकारी जो जिम्मेदार था या किसी भी वक्त जिसने सीधे तौर पर खास तौर पर धार्मिक स्वतंत्रता का घोर उल्लंघन किया वह वीजा के लिए अयोग्य है।