लखनऊ:
पृथक तेलंगाना राज्य के गठन की तैयारियों के बीच बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती ने आज विदर्भ एवं गोरखालैंड के गठन के साथ-साथ उत्तर प्रदेश को भी चार हिस्सों में बांटने की मांग दोहराई।
मायावती ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा, हमारी पार्टी तेलंगाना राज्य स्थापित करने की मांग का शुरू से ही समर्थन करती आ रही है। अब तेलंगाना राज्य बनने जा रहा है। ऐसी स्थिति में बसपा की मांग है कि केन्द्र देश के अन्य बड़े राज्यों का पुनर्गठन करने के साथ-साथ विदर्भ और गोरखालैंड को भी गठित करे। साथ ही उत्तर प्रदेश को भी चार राज्यों में बांटने की प्रक्रिया जल्द से जल्द पूरी की जाए ताकि विकास और सामाजिक न्याय का मार्ग प्रशस्त हो सके।
उन्होंने कहा, उत्तर प्रदेश के जो लोग केन्द्र में मंत्री हैं, उन्हें राज्य पुनर्गठन के मामले में हवाई बयानबाजी करने के बजाय इस पर केन्द्र की मुहर लगवाने के लिए दबाव बनाना चाहिए। मायावती ने कहा कि बसपा डॉ. भीमराव अम्बेडकर की मानवतावादी सोच के मुताबिक, देश में छोटे राज्यों और अन्य छोटी प्रशासनिक इकाइयों की प्रबल समर्थक रही है ताकि जनता को बेहतर और आसानी से सुविधा मिल सके।
उन्होंने कहा कि इसी अवधारणा को अमली जामा पहनाते हुए उनकी पिछली सरकारों ने न सिर्फ अनेक नई तहसीलें, जिले, मण्डल और पुलिस रेंज बनाए, बल्कि उत्तराखंड बनने के बावजूद उत्तर प्रदेश को चार अलग-अलग भागों पूर्वाचल, बुंदेलखंड, पश्चिमी प्रदेश तथा अवध प्रदेश में बांटने का प्रस्ताव विधानसभा से पारित कराकर 23 नवम्बर 2011 को केन्द्र को भेजा गया।
मायावती ने कहा, लेकिन दुख की बात यह है कि अभी तक यह मामला केन्द्र के समक्ष लम्बित है। हालांकि संविधान की धारा तीन के तहत नए राज्यों का प्रावधान संसद के द्वारा केन्द्र में निहित है।
मायावती ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा, हमारी पार्टी तेलंगाना राज्य स्थापित करने की मांग का शुरू से ही समर्थन करती आ रही है। अब तेलंगाना राज्य बनने जा रहा है। ऐसी स्थिति में बसपा की मांग है कि केन्द्र देश के अन्य बड़े राज्यों का पुनर्गठन करने के साथ-साथ विदर्भ और गोरखालैंड को भी गठित करे। साथ ही उत्तर प्रदेश को भी चार राज्यों में बांटने की प्रक्रिया जल्द से जल्द पूरी की जाए ताकि विकास और सामाजिक न्याय का मार्ग प्रशस्त हो सके।
उन्होंने कहा, उत्तर प्रदेश के जो लोग केन्द्र में मंत्री हैं, उन्हें राज्य पुनर्गठन के मामले में हवाई बयानबाजी करने के बजाय इस पर केन्द्र की मुहर लगवाने के लिए दबाव बनाना चाहिए। मायावती ने कहा कि बसपा डॉ. भीमराव अम्बेडकर की मानवतावादी सोच के मुताबिक, देश में छोटे राज्यों और अन्य छोटी प्रशासनिक इकाइयों की प्रबल समर्थक रही है ताकि जनता को बेहतर और आसानी से सुविधा मिल सके।
उन्होंने कहा कि इसी अवधारणा को अमली जामा पहनाते हुए उनकी पिछली सरकारों ने न सिर्फ अनेक नई तहसीलें, जिले, मण्डल और पुलिस रेंज बनाए, बल्कि उत्तराखंड बनने के बावजूद उत्तर प्रदेश को चार अलग-अलग भागों पूर्वाचल, बुंदेलखंड, पश्चिमी प्रदेश तथा अवध प्रदेश में बांटने का प्रस्ताव विधानसभा से पारित कराकर 23 नवम्बर 2011 को केन्द्र को भेजा गया।
मायावती ने कहा, लेकिन दुख की बात यह है कि अभी तक यह मामला केन्द्र के समक्ष लम्बित है। हालांकि संविधान की धारा तीन के तहत नए राज्यों का प्रावधान संसद के द्वारा केन्द्र में निहित है।
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