मिट्टी और मॉल, लालू प्रसाद यादव के लिए परेशानी का नया कारण बना, जानें कैसे

मिट्टी और मॉल, लालू प्रसाद यादव के लिए परेशानी का नया कारण बना, जानें कैसे

लालू प्रसाद यादव पर मिट्टी घोटाले के साथ लगा नया आरोप

खास बातें

  • मिट्टी के बहाने बैठे बिठाए बिहार में विपक्ष को एक मुद्दा मिल गया
  • पटना जू के निदेशक ने कहा- सब नियमों के अनुसार
  • रेलवे की जमीन से जुड़ा है ये मामला
पटना:

राष्ट्रीय जनता दल अध्यक्ष लालू यादव ने पटना के संजय गांधी जैविक उद्यान में मिटटी प्रकरण की जांच भले किसी से भी कराने पर अपनी सहमति जताई, लेकिन बिहार में विपक्ष को बैठे-बिठाये एक नहीं दो मुद्दे मिल गए हैं. विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी ने आरोप लगाया है कि लालू यादव के बेटों के नाम से पटना की जिस जमीन पर मॉल का निर्माण कार्य जारी है न केवल उसकी मिटटी पटना के संजय गांधी जैविक उद्यान से जबरदस्ती खरीदवाई गई बल्कि वर्षों पहले जमीन के बदले होटल के जनता दल यूनाइटेड के दो नेताओं के आरोप भी सच साबित हुए.

लल्लन सिंह ने वर्ष 2008 में आरोप लगाया था कि तत्कालीन रेलमंत्री लालू प्रसाद ने रेलवे के रांची और पुरी के दो होटलों को गलत तरीके से लीज पर दे दिया गया था. इसके बदले में 'डिलाइट मार्केटिंग कंपनी' को पटना में दो एकड़ जमीन दी गई थी. अब इसी जमीन पर राजद के सुरसंड से विधायक सैयद अबु दौजाना की कंपनी 'मेरिडियन कंस्ट्रक्शन (इंडिया) लिमिटेड' द्वारा शॉपिंग मॉल का निर्माण करवाया जा रहा है. इस जमीन का मालिकाना हक जिस कंपनी के पास है उसके निदेशक लालू के दोनों बेट और राबड़ी देवी हैं.

विपक्ष के नेता सुशील मोदी का कहना है कि इससे साफ है कि लालू यादव ने जो जमीन दी है वह रेलवे की संपत्ति है. वहीं लालू के करीबी नेताओं का कहना है कि लल्लन सिंह और शिवानंद तिवारी इस मामले को लेकर पटना हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट जा चुके है, जहां उनकी सीबीआई जांच की मांग ख़ारिज हो चुकी है.(मिट्टी घोटाले के आरोपों पर लालू बोले - हम तो उल्टे अपनी गायों का गोबर मुफ्त में जू को दे रहे हैं)

वहीं जानकर मानते हैं कि मॉल का निर्माण लालू यादव और उनके महागठबंधन के लिए राजैनतिक रूप से महंगा पड़ सकता है. मिटटी के बहाने बैठे बिठाये बिहार में विपक्ष को एक मुद्दा मिल गया. वहीं राष्ट्रीय जनता दल के नेता भी मानते हैं कि मोदी और योगी के जमाने में उनके सुप्रीमो अगर परिवार के सदस्य के नाम पर मॉल का निर्माण करते हैं तो चुनाव में उनकी नैया को डूबने से कोई नहीं बचा सकता.

इस बीच इस मुद्दे पर विवाद गहराता जा रहा है कि 45 लाख की मिट्टी की खरीद बिना निविदा के मात्र कोटेशन के आधार पर कैसे की गई. वन विभाग जिसके तहत यह जैविक उद्यान आता है उसके अधिकारी भी मानते हैं कि हाल के वर्षों में इतनी अधिक राशि का खर्च मात्रा कोटेशन के आधार पर करने की कोई परंपरा उन्हें याद नहीं, लेकिन इस पूरे विवाद के केंद्र में पटना चिड़ियाघर के निदेशक नन्द किशोर का दावा है कि सब कुछ नियम संगत किया गया है और उन्होंने कहा कि जिस ठेकेदार ने मिटटी की आपूर्ति की है उसका कहना है कि उन्होंने मिट्टी निर्माणाधीन मॉल की साइट से नहीं ली है.


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