वायुसेना का बचाव अभियान.
नई दिल्ली:
जम्मू एवं कश्मीर के रियासी जिले में एक बस गहरी खाई में जा गिरी, जिसमें 22 लोगों की मौत हो गई और 30 से ज्यादा लोग घायल हो गए. हादसे के तुरंत बाद वायुसेना का बचाव दल हैलिकॉप्टर से घटनास्थल पर पहुंचा. सेना ने जोखिमपूर्ण अभियान चलाकर गंभीर घायलों को जम्मू पहुंचाया.
पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि यहां से 80 किलोमीटर दूर रियासी के गुरु नानक चौक की सड़क से बस फिसल गई जिससे यह हादसा हुआ. बस कथित तौर पर अपनी क्षमता से अधिक भरी थी और यह रियासी से बकल गांव की ओर जा रही थी, तभी गहरी खाई में जा गिरी.
हादसे के तुरंत बाद वायुसेना के जम्मू में तैनात हेलीकॉप्टर यूनिट से पांच बजकर 20 मिनट पर मदद मांगी गई. दुर्घटना जम्मू से 70 किलोमीटर उत्तर में रियासी में हुई थी. सूचना मिलते ही मिनटों में एमआई-17 हेलीकॉप्टर घायलों की मदद के लिए उड़ पड़ा.
सूरज डूबने के दस मिनट बाद हेलीकॉप्टर घटना स्थल पर पहुंचा लेकिन लैंड करने में कई रुकावटें थीं. न तो वहां हेलीपैड था और न ही जरूरी उपकरण. ऊपर से रोशनी भी कम थी. जाहिर है ऐसे हालात में हेलीकॉप्टर लैंड कराने के लिए काफी पेशेवर क्षमता की जरूरत होती है. बड़ी बात यह है कि यह अभियान कम रोशनी में चला जो कि काफी खतरनाक था. वायुसेना के अनुभवी पायलटों ने काफी जांबाजी और सावधानी के साथ इस बचाव अभियान को अंजाम दिया.
19 ऐसे गंभीर रूप से घायलों को हेलीकॉप्टर में लाया गया जो चल नहीं सकते हैं और स्ट्रेचर भी घायल लेटे हुए थे. दो और घायलों को भी हेलीकॉप्टर ने 6 बजकर 33 मिनट पर जम्मू लाया गया. इसके बाद सभी घायलों को जम्मू के अस्पताल में भर्ती कराया गया.
(इनपुट आईएएनएस से भी)
पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि यहां से 80 किलोमीटर दूर रियासी के गुरु नानक चौक की सड़क से बस फिसल गई जिससे यह हादसा हुआ. बस कथित तौर पर अपनी क्षमता से अधिक भरी थी और यह रियासी से बकल गांव की ओर जा रही थी, तभी गहरी खाई में जा गिरी.
हादसे के तुरंत बाद वायुसेना के जम्मू में तैनात हेलीकॉप्टर यूनिट से पांच बजकर 20 मिनट पर मदद मांगी गई. दुर्घटना जम्मू से 70 किलोमीटर उत्तर में रियासी में हुई थी. सूचना मिलते ही मिनटों में एमआई-17 हेलीकॉप्टर घायलों की मदद के लिए उड़ पड़ा.
सूरज डूबने के दस मिनट बाद हेलीकॉप्टर घटना स्थल पर पहुंचा लेकिन लैंड करने में कई रुकावटें थीं. न तो वहां हेलीपैड था और न ही जरूरी उपकरण. ऊपर से रोशनी भी कम थी. जाहिर है ऐसे हालात में हेलीकॉप्टर लैंड कराने के लिए काफी पेशेवर क्षमता की जरूरत होती है. बड़ी बात यह है कि यह अभियान कम रोशनी में चला जो कि काफी खतरनाक था. वायुसेना के अनुभवी पायलटों ने काफी जांबाजी और सावधानी के साथ इस बचाव अभियान को अंजाम दिया.
19 ऐसे गंभीर रूप से घायलों को हेलीकॉप्टर में लाया गया जो चल नहीं सकते हैं और स्ट्रेचर भी घायल लेटे हुए थे. दो और घायलों को भी हेलीकॉप्टर ने 6 बजकर 33 मिनट पर जम्मू लाया गया. इसके बाद सभी घायलों को जम्मू के अस्पताल में भर्ती कराया गया.
(इनपुट आईएएनएस से भी)
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