इम्फाल:
सेना के कथित अत्याचारों के विरुद्ध लगभग 16 साल से लगातार अनशन पर रहकर संघर्ष का पर्याय बन चुकीं मानवाधिकार कार्यकर्ता इरोम शर्मिला अपना अनशन 9 अगस्त को खत्म करने जा रही हैं। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि वह अगले साल राज्य विधानसभा का चुनाव लड़ेंगी।
इंफाल की एक स्थानीय अदालत से बाहर आते हुए 44 वर्षीय मानवाधिकार कार्यकर्ता ने मीडिया के सामने घोषणा की, 'मैं 9 अगस्त को अपना अनशन समाप्त कर दूंगी और चुनाव लड़ूंगी।' उन्होंने कहा कि अब उन्हें नहीं लगता कि उनके अनशन से 'कठोर' आफ्सपा हट पाएगा, लेकिन वह लड़ाई जारी रखेंगी। शर्मिला ने कहा, 'इसलिए मैं राजनीति में आऊंगी और मेरी लड़ाई जारी रहेगी।' मणिपुर में विधानसभा चुनाव 2017 में होना है।
42-वर्षीय मानवाधिकार कार्यकर्ता इरोम शर्मिला को कई साल से जबरन नाक में डाली गई ट्यूब के ज़रिये खिलाया-पिलाया जा रहा है। इंफाल स्थित जवाहरलाल नेहरू अस्पताल का एक विशेष वार्ड उनकी जेल के रूप में काम करता है। उन्हें आत्महत्या की कोशिश के आरोप में बार-बार गिरफ्तार, रिहा और फिर गिरफ्तार किया जाता रहा है।
इरोम शर्मिला ने नवंबर, 2000 में सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम (आर्म्ड फोर्सेज़ स्पेशल पॉवर्स एक्ट - अफस्पा - AFSPA) के विरुद्ध अनशन शुरू किया था। इस एक्ट के तहत सेना को मणिपुर में अतिरिक्त शक्तियां मिली हुई हैं।
दरअसल, इरोम शर्मिला के अनशन शुरू करने से 10 दिन पहले ही कथित रूप से असम राइफल्स के सैनिकों ने 10 लोगों को गोलियों से मार डाला था, जिनमें दो बच्चे भी शामिल थे। (एजेंसी इनपुट के साथ)
इंफाल की एक स्थानीय अदालत से बाहर आते हुए 44 वर्षीय मानवाधिकार कार्यकर्ता ने मीडिया के सामने घोषणा की, 'मैं 9 अगस्त को अपना अनशन समाप्त कर दूंगी और चुनाव लड़ूंगी।' उन्होंने कहा कि अब उन्हें नहीं लगता कि उनके अनशन से 'कठोर' आफ्सपा हट पाएगा, लेकिन वह लड़ाई जारी रखेंगी। शर्मिला ने कहा, 'इसलिए मैं राजनीति में आऊंगी और मेरी लड़ाई जारी रहेगी।' मणिपुर में विधानसभा चुनाव 2017 में होना है।
42-वर्षीय मानवाधिकार कार्यकर्ता इरोम शर्मिला को कई साल से जबरन नाक में डाली गई ट्यूब के ज़रिये खिलाया-पिलाया जा रहा है। इंफाल स्थित जवाहरलाल नेहरू अस्पताल का एक विशेष वार्ड उनकी जेल के रूप में काम करता है। उन्हें आत्महत्या की कोशिश के आरोप में बार-बार गिरफ्तार, रिहा और फिर गिरफ्तार किया जाता रहा है।
इरोम शर्मिला ने नवंबर, 2000 में सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम (आर्म्ड फोर्सेज़ स्पेशल पॉवर्स एक्ट - अफस्पा - AFSPA) के विरुद्ध अनशन शुरू किया था। इस एक्ट के तहत सेना को मणिपुर में अतिरिक्त शक्तियां मिली हुई हैं।
दरअसल, इरोम शर्मिला के अनशन शुरू करने से 10 दिन पहले ही कथित रूप से असम राइफल्स के सैनिकों ने 10 लोगों को गोलियों से मार डाला था, जिनमें दो बच्चे भी शामिल थे। (एजेंसी इनपुट के साथ)
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