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This Article is From Jul 29, 2017

अपने सशस्त्र बलों के लिए ढंग की एक राइफल भी विकसित नहीं कर सका भारत : उपराष्ट्रपति अंसारी

रक्षा क्षेत्र में सरकार की ओर से अनुसंधान एवं विकास पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिए जाने पर उप-राष्ट्रपति हामिद अंसारी ने अफसोस जताया.

अपने सशस्त्र बलों के लिए ढंग की एक राइफल भी विकसित नहीं कर सका भारत : उपराष्ट्रपति अंसारी
उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने कहा कि भारत अपनी रक्षा जरूरतों का 60 फीसदी अब भी आयात करता है... (फाइल फोटो)
नई दिल्ली: रक्षा क्षेत्र में सरकार की ओर से अनुसंधान एवं विकास पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिए जाने पर अफसोस जताते हुए उप-राष्ट्रपति हामिद अंसारी ने शनिवार को कहा कि भारत अपनी रक्षा जरूरतों का 60 फीसदी अब भी आयात करता है और अपने सशस्त्र बलों के लिए ढंग की एक राइफल भी विकसित नहीं कर सका है. अंसारी ने यह टिप्पणी ऐसे समय में की है जब देश में ही विकसित एक राइफल थलसेना की ओर से किए गए फायरिंग परीक्षण में 'बुरी तरह नाकाम' हो गई. यह राइफल सालों पुराने इंसास मॉडल की जगह नई राइफलें सेना को मुहैया कराने के मकसद से विकसित की गई थी.

उप-राष्ट्रपति ने यह भी कहा कि भारत अपने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का महज 0.9 फीसदी वैज्ञानिक अनुसंधान पर खर्च करता है जबकि चीन इस मद में 2 फीसदी, जर्मनी 2.8 फीसदी और इस्राइल 4.6 फीसदी खर्च करता है. उन्होंने कहा कि देश में विशुद्ध विज्ञान विषयों में पीएचडी धारियों की संख्या 'बेहद कम' है और भारत तेजी से बदलती इस दुनिया में 'काफी पीछे' है. उन्होंने सवाल किया कि एक के बाद एक कर आई कई सरकारों ने इस पर ध्यान क्यों नहीं दिया.

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अंसारी ने कहा, "अनुसंधान एवं विकास में सरकार की कोशिशें नाकाफी हैं. आजादी के 70 साल बाद भी हम अपनी रक्षा जरूरतों का 60 फीसदी आयात करते हैं. रसोई की जरूरतें नहीं, रक्षा क्षेत्र की जरूरतें."  

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उन्होंने कहा कि कुछ क्षेत्रों में हमने बहुत अच्छा काम किया है। परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष जैसे विभाग अच्छा काम कर रहे हैं. उन्होंने सवाल किया कि अन्य क्षेत्रों में हम काफी पीछे क्यों हैं? यदि हम इन सवालों का जवाब ढूंढ़ सकते हैं तो हम जान पाएंगे कि हमें किस दिशा में जाना है. 

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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