जीएसटी रिटर्न : जीएसटीएन ने जारी किया एक्सेल फॉर्मेट, इस समय सीमा तक देना होगा लेनदेन का ब्योरा

वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) व्यवस्था के लागू होने से पहले जीएसटी नेटवर्क (जीएसटीएन) ने शुक्रवार को एक एक्सेल प्रारूप जारी किया.

जीएसटी रिटर्न : जीएसटीएन ने जारी किया एक्सेल फॉर्मेट, इस समय सीमा तक देना होगा लेनदेन का ब्योरा

जीएसटी के तहत हर महीने के सभी बिक्री और व्यापार रिटर्न अगले महीने की 10 तारीख तक दाखिल करना है...

खास बातें

  • जीएसटी रिटर्न दाखिल करने में मिलेगी कारोबारियों को मदद
  • एक्सल शीट में बेचे गए सामान या बिक्री का ब्योरा देना होगा
  • कंपिनयों को अगस्त तक फाइल करना होगा जीएसटी रिटर्न
नई दिल्ली:

वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) व्यवस्था के लागू होने से पहले जीएसटी नेटवर्क (जीएसटीएन) ने शुक्रवार को एक एक्सेल फॉर्मेट जारी किया. जीएसटी पोर्टल पर इस ऑफलाइन फॉर्मेट को कारोबारियों और व्यापारियों के लिए जारी किया गया है. इससे उन्हें जीएसटी रिटर्न दाखिल करने और बिक्री के आंकड़े अपलोड करने में मदद मिलेगी. इस आठ वर्कशीट वाले एक्सेल फॉर्मेट का मकसद नई कर प्रणाली के अनुपालन को करदाता के लिए आसान और सुविधाजनक बनाना है साथ ही इसके अनुपालन के समय को कम करना है.

एक्सल शीट में कंपनियों को इनवॉयस संख्या, खरीदार का जीएसटीआईएन, बेचे गए सामान या सेवाएं, वस्तुओं का मूल्य या बिक्री की गयी सेवाएं, कर प्रभाव तथा भुगतान किए गए कर जैसे लेन-देन का ब्योरा देना होगा. कंपिनयों को इसे अगस्त में फाइल करना होगा. 

जीएसटी अधिनियम के अनुसार इस प्रणाली के तहत हर महीने के सभी बिक्री और व्यापार रिटर्न को अगले महीने की 10 तारीख तक ऑनलाइन दाखिल करना है. जीएसटीएन इस पूरी प्रणाली के लिए सूचना प्रौद्योगिकी उपलब्ध कराने वाली कंपनी है.

जीएसटी-नेटवर्क के चेयरमैन नवीन कुमार पहले ही बता चुके हैं कि सभी प्रकार के व्यापार/बिक्री के लिए जीएसटी रिटर्न फॉर्म जीएसटीएन वेबसाइट पर जुलाई के मध्य तक डाला जाएगा. जीएसटी एक जुलाई से लागू हो गया है ऐसे में तो बिक्री आंकड़ा 10 अगस्त तक अपलोड करना होगा. 

जीएसटी परिषद राष्टीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) को ऐसी प्रणाली विकसित करने के लिए कह सकती है जो वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) प्रणाली के तहत वस्तु की आवाजाही के लिए इलेक्टॉनिक बिलों को बना सके. हालांकि 50,000 रुपये से ज्यादा मूल्य के माल की राज्य के भीतर या अन्य राज्यों में आवाजाही के लिए पंजीकरण करवाना ही होगा. इसके लिए उद्योगों को कोई रियायत नहीं दी गई है. 
(इनपुट भाषा से भी)

 


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